मंगलवार, 19 नवंबर 2024
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Union Budget 2024-25 : क्या इन समस्याओं की ओर ध्यान देंगी वित्त मंत्री?

Budget 2024
Union Budget 2024-25 : नरेन्द्र मोदी 3.0 सरकार का पहला बजट पेश करने जा रहीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण हर क्षेत्र को काफी अपेक्षाएं हैं। लघु और छोटे व्यापारियों की भी अपनी समस्याएं हैं। टैक्स पेयर भी चाहते हैं कि उन्हें भी बजट में राहत मिले। इसी सिलसिले में हमने सीए प्रकाश वोहरा से बात की तो उन्होंने वेबदुनिया के माध्यम से व्यापार से जुड़ी समस्याओं पर प्रकाश डाला और उम्मीद जताई कि वित्त मंत्री इस दिशा में आवश्यक कदम उठाएंगी। 
  
सीए वोहरा कहते हैं कि कुछ समस्याओं की तरफ विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। सबसे बड़ी समस्या लघु एवं सूक्ष्म व्यापारियों को लेकर हैं। एमएसएमई को सेक्शन 43BH में 45 दिन और 15 दिन के भीतर भुगतान की कठिनाई आ रही है। इससे छोटे व्यापारियों को विशेषकर काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उनको देनादारियों नहीं चुकाने के कारण जो एडीशन हो रहा है, उससे उन्हें काफी मुश्किल हो रही हैं। इस पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है।
 

लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन : न्यू टैक्स रिजिम जिसमें 7 लाख रुपए तक की आय को करमुक्त रखने का प्रावधान किया गया है, लेकिन इसमें लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन को छोड़ा गया है। यदि न्यू टैक्स रिजिम में लॉन्ग टर्म कैपिटल की इनकम को भी शामिल किया जाए तो यह छोटे निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। 
 
वोहरा कहते हैं कि छोटी-छोटी पार्टनरशिप फर्म प्रिंजेम्टिव टैक्स 50 प्रतिशत और 8 प्रतिशत वाली फ्रेम में जाकर भरती हैं। उसमें एक बहुत बड़ी समस्या आती है। उनको ब्याज और डिडक्शन का फायदा नहीं मिल पाता है। उसकी वजह से उन्हें अनावश्यक रूप से ऑडिट की ओर जाना पड़ता है। इसमें भी सुधार की जरूरत है। इससे छोटी फर्मों को लाभ होगा और व्यापारी व्यावहारिक कठिनाइयों से बच पाएंगे। 
 
एनजीओ और ट्रस्ट को मिले राहत : सीए वोहरा कहते हैं कि इसी तरह जो छोटे-छोटे एनजीओ और ट्रस्ट को लेकर पिछले वर्ष हमने 12A तथा 12AA और फॉर्म 10 और फॉर्म 10BB को लेकर काफी परेशानियां देखी हैं। छोटे ट्रस्टों और एनजीओ को यदि इस मामले में छूट दी जाए तो उन्हें व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा। एसी व्यवस्था की जाएगी तो ज्यादा बेहतर होगा।
 
टीडीएस और टीसीएस को लेकर काफी परेशानी हैं। विक्रेता और क्रेता दोनों तरफ लिमिट 50-50 लाख रुपए की रहती है। बहुत बार इस बात को लेकर कन्फ्यूजन रहता है कि कौन किसका टीडीएस काटेगा? इसमें गलती होने की संभावना भी बनी रहती है। उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन समस्याओं की ओर गंभीरता से ध्यान देंगी।