क्या फिर उड़ान भर पाएगी जेट एयरवेज, सवाल 20 हजार लोगों के भविष्य का और टिकट रिफंड का...
आसमान में उड़ने वाली 25 बरस पुरानी जेट एयरवेज की आखिरी उड़ान से ही 20 हजार लोगों की किस्मत अधर में लटकी हुई है। 3 महीने से सैलेरी की बाट जोह रहे कर्मचारियों की उम्मीदें और निवेशकों के 700 करोड़ रुपए पर भी अब अनिश्चितता के बादल हावी हो गए हैं।
इसके अलावा जिन मुसाफिरों ने जेट से अग्रिम बुकिंग कराई थी, उन्हें अब अपनी यात्रा फिर से निर्धारित करनी होगी। उड़ान रद्द होने पर मिलने वाले रिफंड पर भी कोई स्थिति साफ नहीं है।
लेकिन, बड़ा सवाल है कि इतनी बड़ी कंपनी के साथ ऐसा कैसे हुआ और आगे क्या होगा। दरअसल बैकों की ओर से जेट को 400 करोड़ रुपए की तत्काल मदद न मिलने के चलते जेट एयरवेज को यह फैसला लेना पड़ा है।
जेट एयरवेज की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बैंकों के समूह द्वारा 400 करोड़ रुपए का तत्काल लोन नहीं मिलने के बाद जेट एयरवेज ने अस्थायी तौर पर ऑपरेशन बंद करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कर्जदाताओं और अन्य किसी भी तरीके से एमरजेंसी फंड नहीं मिला है, ऐसे में कंपनी को चलाने कि लिए आवश्यक नकदी खत्म हो गई है। कंपनी ईंधन और दूसरी अहम सेवाओं का भुगतान नहीं कर पा रही है। इस वजह से हम अपनी सभी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू उड़ानों को तुरंत प्रभाव से रद्द करने के लिए मजबूर हैं।
क्या होगा आगे : बैंक से जुड़े लोगों के अनुसार अब जेट को बचाने के लिए कुछ ही विकल्प हैं। जेट एयरवेज के कर्जदाताओं ने बयान जारी कर कहा, विचार-विमर्श के बाद हमने फैसला किया है कि जेट एयरवेज के अस्तित्व के लिए सबसे अच्छा तरीका संभावित निवेशकों से बोलियां प्राप्त करना है, 16 अप्रैल को बोली दस्तावेज जारी किए गए हैं।
जेट एयरवेज की उड़ान बंद होने से ही यात्रियों की मुसीबत बढ़ गई है। इस मामले में डीजीसीए ने अन्य राहत देने के लिए अन्य एयरवेज से उड़ानों के फेरे बढ़ाने को और अधिक फ्लाइट्स चलाने को भी कहा गया है।
इसके अलावा जिन ग्राहकों ने जेट एयरवेज के विमान का टिकट कराया है, उन्हें एयरलाइन की ओर से जल्द ही रिफंड किया जाएगा। लेकिन कब तक इस पर जेट और डीजीसीए कोई सटीक जवाब नहीं दे पा रही है। राहत वाली बात यह है कि इस माहौल में जेट के लिए बोली लगाने वालों में एतिहाद एयरवेज, राष्ट्रीय निवेश कोष (एनआईआईएफ), निजी क्षेत्र के टीपीजी और इंडिगो पार्टनर सामने आए हैं।