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Last Modified: शुक्रवार, 15 नवंबर 2024 (12:13 IST)

बिरसा मुंडा की जयंती के सहारे आदिवासी वोटर्स की गोलबंदी में जुटी भाजपा?

बिरसा मुंडा की जयंती के सहारे आदिवासी वोटर्स की गोलबंदी में जुटी भाजपा? - BJP trying to woo tribal voters with the help of Birsa Munda's birth anniversary
भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के जुमई में जनजातीय गौरव दिवस के कार्यक्रम में शामिल हो रहे है। जनजातीय गौरव दिवस का कार्यक्रम बिहार के साथ-साथ चुनावी राज्य झारखंड से लेकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सरकारी स्तर पर मानाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में आज शहडोल और धार में राज्यस्तरीय कार्यक्रम में आयोजित किए जा रहे है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती प्रति वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि अतीत में इतिहास के पन्नों पर स्वर्ण बिहार, झारखंड की धरती से उन्होंने अंग्रेजों का प्रबल प्रतिरोध स्थापित किया, जहां से आदिवासी अंचल में दो स्वतंत्रता आंदोलन की भूमिका बनी।

झारखंड में आदिवासी ही तय करेंगे सरकार?- 2014 में केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद भाजपा ने जीत का जो अचूक फॉर्मूला तैयार किया है, उसमें ओबीसी-दलित के साथ आदिवासी वोटरों की अहम भूमिका रही है। भाजपा भगवान बिरसा मुंडा के सहारे चुनावी राज्य झारखंड के साथ-साथ अगले साल बिहार के साथ ही मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के आदिवासी वोटरों को साध रही है। झारखंड की कुल 81 विधानसभा सीटों में से 28 विधानसभा सीटें आदिवासी समुदाय के लिए रिजर्व हैं। वहीं झारखंड में कुल आदिवासी मतदाता 26 प्रतिशत हैं।

झारखंड में साल 2019 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर भाजपा को 34 फीसदी वोट मिलने के बावजूद उसे केवल दो सीटें मिली थी। वहीं जेएमम और कांग्रेस गठबंधन को 25 सीटें मिली थी। वहीं इस साल लोकसभा चुनाव में कुल 14 सीटों में से 9 सीटें एनडीए गठबंधन और पांच सीटें इंडिया गठबंधन को मिली थी। अगर लोकसभा चुनाव को विधानसभा सीटों वाइज देखा जाए तो एनडीए को 49 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी, वही इंडिया गठबंधन को 29 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी।

ऐसे में इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी सीटों पर अपने लिए एक मौका देख रही है। आदिवासी वोटरों को साधने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। आदिवासी वोटों को गोलबंद करने के लिए भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया है। भाजपा ने घुसपैठियों के साथ-साथ आदिवासी के जल-जंगल-जमीन को साधने के लिए रोटी-बेटी-माटी का नारा बुलंद किया। वहीं इंडिया गठबंधन सत्तारूढ़ पार्टी जेएमएम के नेता और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लोकसभा चुनाव के वक्त जेल जाने और फिर उनके बाहर आने को जेएमएम गठबंधन विधानसभा चुनाव में खूब भुना रहा है और इसे आदिवासी सम्मान से जोड़ दिया है ऐसे आदिवासी सीटों पर भाजपा सोरेन को कितना नुकसान पहुंचा पाती है, यह देखना होगा।
 

वहीं आदिवासी महिला वोटर्स को साधने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी जेएमएम के मुखिया मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव से ठीक पहले मईया सम्मान योजना लाकर  किया। वहीं भाजपा ने गोगो दीदी योजना लाने का वादा किया है। लोकसभा चुनाव में झारखंड में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में कहीं अधिक अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था, ऐसे में विधानसभा चुनाव में भी महिला वोटर्स के बड़ी संख्या में वोट करने का अनुमान है। महिला वोटर्स की बड़ी संख्या और विधानसभा चुनाव में उनका रूख यह तय करेगा कि झारखंड में अगली सरकार किसकी होगी।  ।

मध्यप्रदेश में आदिवासी भाजपा के साथ!- मध्यप्रदेश पिछले साल हुए विधानसभा और इस साल हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम बताते है कि आदिवासी वोटर पूरी तरह भाजपा के साथ है। दिसंबर 2023 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो तो प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित 47 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने 24 सीटों पर जीत हासिल की है वहीं कांग्रेस ने 22 सीटों पर जीत हासिल की है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 2018 विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है। वहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जहां प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत हासिल की, वहीं गौर करने वाली बात यह है आदिवासी वोटर्स की बाहुल्यता वाली सीटों पर सबसे अधिक मतदान हुआ।

मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर मतदान पैटर्न को देखा जाए तो प्रदेश की 10 विधानसभा सीटें ऐसी है जहां पर 80 फीसदी से उपर सबसे अधिक मतदान हुआ, उसमें 8 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वोटर्स की संख्या अधिक है। रतलाम लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली सैलाना विधानसभा सीट में प्रदेश में सबसे अधिक मतदान हुआ। सैलाना आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है, यहां कुल वोटर्स का 85% आदिवासी है।

वहीं भाजपा ने जिस छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को पहली बार जीता वहां की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर 82.70% मतदान हुआ है जो प्रदेश में दूसरी सबसे ज्यादा वोटिंग वाली विधानसभा सीट है। अमरवाड़ा विधानसभा में सबसे अधिक आदिवासी मतदाताओं की संख्या है। इसके साथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की जुन्नादेव विधानसभा सीट पर 81.86%, सौंसर विधानसभा सीट पर 80.84%, पांढुर्ना विधानसभा सीट पर 80.66%, चौरई विधानसभा सीट पर 80.51% फीसदी मतदान हुआ जो आदिवासी बाहुल्य वोटर्स वाली सीटें है।
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