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Last Updated : गुरुवार, 7 अक्टूबर 2021 (00:05 IST)

विपक्षी नेताओं को लखीमपुर जाने की इजाजत, जानिए ऐसा क्या हुआ कि बैकफुट पर आई योगी सरकार

विपक्षी नेताओं को लखीमपुर जाने की इजाजत, जानिए ऐसा क्या हुआ कि बैकफुट पर आई योगी सरकार - Why did the Uttar Pradesh government come on the backfoot in the Lakhimpur Khiri case
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मंत्री के बेटे की गाड़ी से किसानों को कुचलने के बाद प्रदेश में जहां किसान आंदोलित हो गए थे तो वहीं विपक्षी पार्टी के नेता सड़कों पर उतरकर योगी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे और वहीं विपक्ष को रोकने के लिए योगी सरकार ने सख्त पहरा उत्तर प्रदेश में लगा दिया था और विपक्ष की नेता चाहे वह कांग्रेस की प्रियंका गांधी हों या फिर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव,बीएसपी के सतीश मिश्रा हो या फिर आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कोई भी पीड़ित किसानों तक पहुंच नहीं पा रहा था और सभी नेताओं को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था।

लेकिन आज अचानक कुछ ऐसा हुआ कि योगी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और सभी विपक्ष के नेताओं को हिरासत से आजाद करते हुए लखीमपुर जाने की इजाजत देनी पड़ी। आइए आपको बताते हैं, ऐसा क्या हुआ जो योगी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा।

2 धड़े में बंट गई थी बीजेपी : पार्टी सूत्रों की मानें तो योगी आदित्यनाथ को बैकफुट पर लाने में कोई और नहीं बल्कि उन्हीं के विधायक ने लाने को मजबूर कर दिया। पार्टी सूत्र बताते हैं कि विपक्ष को हिरासत में रखने को लेकर बीजेपी के कई विधायक योगी सरकार के इस फैसले को गलत ठहरा रहे थे और कह रहे थे कि लोकतंत्र में अपनी बात रखने का अधिकार सभी को है।

लेकिन जिस तरह से कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी व आम आदमी पार्टी के संजय सिंह को हिरासत में रखा गया है, यह संवैधानिक तौर से गलत है और जैसा हम आज कर रहे हैं, ऐसा ही कल हमारे साथ भी हो सकता है, जिसको लेकर पार्टी के कई विधायकों ने पार्टी फोरम में यह बात भी रखी थी, जिसकी जानकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हो गई थी।

बढ़ गई थी लोकप्रियता : वहीं अगर पार्टी सूत्रों की मानें तो लगातार सोशल मीडिया के माध्यम से प्रियंका गांधी हिरासत में होते हुए भी सरकार पर जमकर निशाना साध रही थीं तो वहीं कांग्रेसी कार्यकर्ता पूरे प्रदेश में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे जिसको लेकर आम जनता के बीच पिछले 3 दिनों के अंदर प्रियंका गांधी की लोकप्रियता बढ़ने लगी थी।

जिसकी जानकारी होते ही बीजेपी संगठन ने योगी सरकार पर दबाव बनाते हुए तत्काल प्रभाव से प्रियंका गांधी को रिहा करने के लिए कहा और जल्द से जल्द आरोपियों पर कार्रवाई करने को लेकर भी संगठन ने योगी आदित्यनाथ पर दबाव बनाया जिसके बाद आनन-फानन में संगठन के दबाव के आगे प्रियंका गांधी के साथ-साथ संजय सिंह की रिहाई का रास्ता साफ हो गया और वहीं राहुल गांधी के साथ आ रहे अन्य मुख्यमंत्रियों को भी लखीमपुर जाने की अनुमति मिल गई।

क्या बोले जानकार : योगी सरकार के बैकफुट पर आने की वजह को लेकर वरिष्ठ पत्रकार राजेश कुमार बताते हैं कि इसके पीछे दो मुख्य वजह हैं, सबसे बड़ी वजह यह है कि जब तक किसानों से सरकार की वार्ता नहीं हो गई और वार्ता में निर्णय नहीं ले लिया गया तब तक इन नेताओं को किसान तक पहुंचाने का खतरा योगी सरकार मोल नहीं लेना चाहती थी।

योगी सरकार इस बात को भलीभांति जानती है कि अगर विपक्षी नेताओं का संपर्क किसानों से हो जाता तो शायद इतनी आसानी से किसानों को मनाना योगी सरकार के लिए आसान नहीं होता, तो वहीं दूसरी वजह यह थी कि देशभर में योगी सरकार पर सभी राजनीतिक पार्टियां सवाल खड़े कर रही थीं और जगह-जगह उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ लोग प्रदर्शन कर रहे थे।जिसका नुकसान योगी सरकार को 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल सकता था।

2022 के चुनाव में नुकसान को कम करने के लिए आनन-फानन में रिहाई का फैसला लिया गया लेकिन कहीं ना कहीं लखीमपुर कांड ने कांग्रेस को नई संजीवनी दे दी है और उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी का कद अन्य विपक्षी नेताओं से बड़ा हो गया है क्योंकि विपक्ष की असली भूमिका प्रदेश में सबसे कम सीटों वाली पार्टी कांग्रेस ने निभाई है और कार्यकर्ताओं में नया जोश भरते हुए प्रियंका गांधी ने सरकार के खिलाफ लखीमपुर कांड को लेकर जमकर मोर्चा खोला था जिसकी वजह से भी योगी सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है।