मंगलवार, 5 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Why China is not speaking on India Pakistan tension
Written By
Last Updated : शुक्रवार, 1 मार्च 2019 (17:35 IST)

भारत-पाकिस्तान तनाव पर चीन की चुप्पी के 3 राज, पाक को दिखाया आईना

भारत-पाकिस्तान तनाव पर चीन की चुप्पी के 3 राज, पाक को दिखाया आईना - Why China is not speaking on India Pakistan tension
पुलवामा में सीआरपीएफ पर जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद से ही भारत-पाकिस्तान में भारी तनाव था। इस तनाव की परिणिती तब हुई जब 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद भारतीय वायु सेना द्वारा पहली बार पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकवादी शिविर के खिलाफ हवाई हमले करने के एक दिन बाद पाकिस्तानी लड़ाकू जहाजों ने भारतीय क्षेत्र में बमबारी की।


नियंत्रण रेखा में बढ़ते तनाव के बीच भारत-पाकिस्तान युद्ध की कगार पर हैं लेकिन पाकिस्तान का संकट मोचक चीन कहीं भी उसके साथ खड़ा नहीं दिखाई दे रहा है। वैसे तो चीन के पाकिस्तान के साथ अधिक घनिष्ठ आर्थिक, कूटनीतिक और सैन्य संबंध हैं, जो इसे क्षेत्र में पाकिस्तान के निकटतम सहयोगियों में से एक बनाता है। पाकिस्तान में चीन को बड़े भाई का दर्जा मिला है।

लेकिन चीन से भारतीय हमले की सूरत में मदद की आस लगाए पाकिस्तान को बड़ा झटका तब लगा जब दोनों देशों के बीच तनाव के चलते चीन के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान और भारत दोनों को आत्म-संयम बनाए रखने और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया।

यहीं नहीं जब बुधवार की देर रात हुई चर्चा के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी को वर्तमान तनाव को कम करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए कहा तो चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जोर देकर कहा कि सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए, और चीन अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंडों का उल्लंघन करने वाले कृत्यों को नहीं देखना चाहता है।

इस समय बीजिंग के लिए पाकिस्तान और भारत दोनों के साथ महत्वपूर्ण संबंध हैं, जिसे संतुलित करने की आवश्यकता है। दरअसल अमेरिका के साथ चीन के लंबे समय से चल रहे व्यापार युद्ध ने बीजिंग को वैकल्पिक व्यापारिक भागीदारों की तलाश करने के लिए मजबूर कर दिया है। नतीजतन, चीन ने प्रतिद्वंद्वी बढ़ती शक्ति भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संबंधों को फिर से बनाना शुरू कर दिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के दो दौरे किए।

इसके अलावा एक बड़ा कारण चीनी सरकार द्वारा चीन के उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में मुस्लिम बहुसंख्यक उइगरों के खिलाफ सख्ती है। इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उइगरों पर कठोर सैन्य और पुलिस कार्यवाईयां चीन की सबसे विवादास्पद अंतर्राष्ट्रीय नीतियों में से एक है और इन्हें लेकर चीन पर लगातार अंतर्राष्ट्रीय दबाव रहता है। यही कारण है कि चीन ने इस बार भारत की कार्यवाई को इस आधार पर उचित ठहराया गया कि यह आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक आवश्यक उपाय है।

इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर चीन को किसी भी मोर्चे पर कोई फायदा नहीं होता दिख रहा है। पाकिस्तान में अत्यधिक निवेश झोंक रहा चीन पाकिस्तान को विफल राष्ट्र के रूप में नहीं देखना चाहता लेकिन आतंकवाद के मसले पर चीन वास्तव में पाकिस्तान को लेकर पर भारतीयों के साथ कभी भी कोई लड़ाई नहीं चाहता है।

चीन में विदेश मामलों के जानकारों का भी मानना है कि चीन का पाकिस्तान में अधिक प्रभाव है, जबकि अमेरिका भारत में अधिक बोलबाला रखता है। अमेरीकी राष्ट्रपति ट्रंप का भी मानना है कि एशिया में भारत जैसे सहयोगी होने से ही अमेरिका चीन का मुकाबला कर सकता है। चीन द्वारा पाकिस्तान का समर्थन करने से पश्चिमी देश तुरंत भारत के साथ आ जाएंगे जो चीन के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर देगा।

साथ ही भारत के विशाल बाजार और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को दोनों ही देश नजरंदाज नहीं कर सकते। इसी वजह से चीन और अमेरिका इस मामले पर भारत के लिए सहयोगी रवैया अपनाए हुए हैं। भारत में अपने बाजार और पाकिस्तान में निवेश को देखते हुए चीन का संदेश दोनों पक्षों को स्पष्ट है: संयम बरतें, क्योंकि दक्षिण एशिया की स्थिरता में ही चीन का हित निहित है।