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Last Updated : सोमवार, 9 दिसंबर 2024 (15:51 IST)

George Soros के नाम से क्‍यों बढ़ी भारत की सियासी गर्मी, कौन हैं मोदी के आलोचक, कभी बनना चाहते थे फिलोसॉफर

George Soros के नाम से क्‍यों बढ़ी भारत की सियासी गर्मी, कौन हैं मोदी के आलोचक, कभी बनना चाहते थे फिलोसॉफर - Who is George Soros with whom BJP is attacking Congress
जॉज सोरोस को लेकर भारत की सियासत में गर्मी बढ़ गई है। सोरेस को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने सामने हैं। दिलचस्‍प है कि सोरोस पीएम मोदी और राष्‍ट्रपति ट्रंप के कट्टर आलोचक माने जाते हैं। जानते हैं कौन हैं जॉर्ज सोरोस।

विश्वकोश ब्रिटानिका के अनुसार सोरोस का जन्म हंगरी के बुडापेस्ट में 1930 में एक संपन्न यहूदी परिवार में हुआ था। सोरोस ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अपनी पढ़ाई की। इसके लिए उन्हें रेलवे पोर्टर और वेटर के रूप में काम करना पड़ा था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर जब यहूदियों को यातना शिविरों में भेज रहा था तब उससे बचने के लिए सोरोस परिवार से अलग रहने को मजबूर हुए। 1947 में वह परिवार के साथ लंदन चले गए। वहां उन्होंने दर्शनशास्त्र में पढ़ाई पूरी की और दार्शनिक बनने की योजना बनाई। सोरोस पर आरोप लगा है कि बैंक आफ इंग्लैंड को बर्बाद करने में उनकी भूमिका थी।

फिलोसॉफर बनना चाहते थे सोरोस : बता दें कि जॉर्ज सोरोस दार्शनिक बनना चाहते थे। लेकिन इससे पहले कि सोरोस दार्शनिक बनते, उन्होंने अपने लिए कुछ फंड जुटाने का प्लान बनाया। इस क्रम में उन्होंने पहले लंदन मर्चेंट बैंक में काम किया। 1956 में वह न्यूयॉर्क पहुंचे और वहां यूरोपीय प्रतिभूतियों के विश्लेषक (एनालिस्ट) के रूप में काम शुरू किया। जॉर्ज सोरोस पर 1997 में थाईलैंड की मुद्रा (बाहट) पर सट्टा लगाकर उसे कमजोर करने के भी आरोप लगे थे, लेकिन सोरोस ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया। इसके बाद इनका नाम उस समय शुरू हुए वित्तीय संकट से जोड़ा गया जो पूरे एशिया में फैल गया था।

क्‍यों हैं मोदी और ट्रंप के आलोचक : बता दें कि सोरोस को PM मोदी और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप का सबसे बड़ा आलोचक माना जाता है। 2020 में दावोस में विश्व आर्थिक मंच के कार्यक्रम में उन्होंने मोदी की आलोचना की थी। यही वजह है कि बीजेपी अब सोरोस से कांग्रेस नेताओं के संबंध होने और उसके भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप लगा रही है।

क्‍या है अडानी कनेक्‍शन : बता दें कि अडानी रिश्वतकांड मामले में बीजेपी पर हमलावर कांग्रेस को फिलहाल झारखंड के गोड्डा से सांसद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बैकफुट पर ला दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और उनकी पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के जॉर्ज सोरोस से संबंध हैं, जबकि सोरोस की ओर से फंडेड एक संगठन लगातार भारत के खिलाफ साजिश रचता है। आरोप के बाद सोमवार को जब संसद की कार्यवाही शुरू हुई तो वहां भी यह मुद्दा छाया रहा। सत्तारूढ़ एनडीए ने सोरोस से कांग्रेस नेताओं के संबंध पर चर्चा कराने की मांग को लेकर दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया।

18 अरब डॉलर से ज्यादा दान: सोरोस ने 1984 में अपनी संपत्ति के कुछ हिस्सों का उपयोग करके ओपन सोसायटी फाउंडेशन नामक एक एनजीओ की स्थापना की। 1969 से 2001 तक जॉर्ज सोरोस ने एक प्रसिद्ध हेज फंड टाइकून के रूप में न्यूयॉर्क में ग्राहकों के धन का प्रबंधन किया। सोरोस ने 2010 में ह्यूमन राइट्स वॉच को 100 मिलियन डॉलर दान में दिए थे। ब्रिटानिका के अनुसार ओपन सोसायटी फाउंडेशन 21वीं सदी की शुरुआत से 70 से अधिक देशों में काम कर रहा है। 2017 में ऐसी खबरें आई थीं कि सोरोस ने हाल के वर्षों में ओपन सोसायटी फाउंडेशन को करीब 18 अरब डॉलर दिए हैं।
Edited by Navin Rangiyal