व्हाट्सऐप को हर मैसेज का लेना होगा डिजिटली फिंगरप्रिंट, क्या होता है डिजिटली फिंगरप्रिंट?
अगर आप भी करते हैं इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप व्हाट्सऐप (WhatsApp) का बहुत ज्यादा इस्तेमाल तो ये खास खबर आपके लिए है। मैसेज फॉरवर्ड करने के मामले में अब हो जाइए सावधान, क्योंकि सरकार अब सख्त होने जा रही है। सरकार ने व्हाट्सऐप से कहा है कि वह अपने प्लेटफॉर्म से भेजे जाने वाले हर मैसेज को बिना एनक्रिप्शन तोड़े डिजिटली फ्रिंगरप्रिंट करें। इससे व्हाट्सऐप पर शेयर किए जाने वाले सभी कंटेंट को ट्रेस किया जा सकेगा।
व्हाट्सऐप भारत के सबसे लोकप्रिय मैसेजिंग एप्लिकेशंस में से एक है। 2018 में व्हाट्सऐप पर बच्चों के अपहरण की झूठी खबरों और अफवाह फैलने पर कुछ लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। उसके बाद से ही सरकार व्हाट्सऐप से मैसेज को ट्रेस करने की मांग कर रही है। व्हाट्सऐप मैसेज की फिंगरप्रिंटिंग से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि कोई मैसेज कहां से शुरू हुआ है।
सरकारी जांच एजेंसियों की शिकायत रही है कि व्हाट्सऐप से जो मेटाडेटा (नाम, यूजर्स के डिस्प्ले इमेज और ग्रुप में सदस्यों की संख्या) मिलता है, वह गलत मैसेज भेजने वालों का पता लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। दिसंबर 2008 में आईटी एक्ट में संशोधन का जो मसौदा पेश किया गया था, उसमें सभी इंटरनेट प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किए जाने वाले मैसेज के ओरिजिन का पता लगाने की जवाबदेही संबंधित कंपनियों पर डाली गई थी।
कंपनी ने पिछले साल दिसंबर में कहा था कि वह लोगों को आपस में संवाद करने के लिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म देने को प्रतिबद्ध है। इस सिलसिले में सरकार से लगातार उसकी बातचीत होती है। कंपनी यूनिफाइड पैमेंट इंटरफेस (यूपीआई) पर आधारित पैमेंट बिजनेस के लिए पायलट भी चला रही है, लेकिन अभी तक उसे बड़े पैमाने पर पैमेंट बिजनेस शुरू करने के लिए सरकार की मंजूरी नहीं मिली है।
व्हाट्सऐप के लिए, भारत एक प्रमुख बाजार है क्योंकि 200 मिलियन से अधिक यूजर्स इस प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हैं जिसमें 20 करोड़ से ज्यादा यूजर्स भारतीय हैं। सरकार भी व्हाट्सऐप पर फेक न्यूज को रोकने के लिए दबाव बना रही है। सरकार कुछ ही मामलों में कंपनी से मैसेज के शुरू होने की जानकारी मांगेगी। अभी व्हाट्सऐप मैसेज के डेटा स्टोर नहीं करती।
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर वह सरकार की मांग मानती है तो उसे पूरे आर्किटेक्चर को नए सिरे से तैयार करना होगा। साथ ही कंपनी ऐसी जानकारी देती है तो उसे दुनियाभर में प्राइवेसी एक्टिविस्टों के विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।
सरकार का कहना है कि हम मैसेज पढ़ना नहीं चाहते, लेकिन अगर हमें कोई गलत मैसेज दिखता है और हम व्हाट्सऐप से उसे शुरू करने वाले के बारे में पूछते हैं, तो उसे यह जानकारी देने में सक्षम होना चाहिए। व्हाट्सऐप को यह पता होना चाहिए कि कोई मैसेज कहां से शुरू हुआ, उसे कितने लोगों ने पढ़ा और फॉरवर्ड किया। कंपनी को इसका रास्ता निकालना होगा और यह तकनीकी तौर पर संभव है।
हालांकि व्हाट्सऐप ने अपने प्लेटफॉर्म के जरिए फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाया है। व्हाट्सऐप अब उन यूजर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी, जो बहुत ज्यादा मैसेज भेजते हैं यानी बल्क मैसेजिंग या ऑटोमेटेड मैसेजिंग करते हैं और ऐप का मिसयूज करते हैं। व्हाट्सऐप अपने सर्विस टर्म्स का उल्लंघन करने वाले यूजर्स को बैन भी कर सकती है। व्हाट्सऐप के मुताबिक, कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल करने वाले अकाउंट्स की पहचान की दिशा में भी कोशिशें बढ़ा दी हैं। कंपनी हर माह ग्लोबली 20 लाख अकाउंट बैन कर रही है।