क्या है NGT यहां जानिए
दिल्ली में पर्यावरण को बचाने पर दिल्ली सरकार को सख्त हिदायत देने का मामला हो या यमुना किनारे आर्ट ऑफ लिविंग के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल का विरोध हो, NGT ने पर्यावरण के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। आखिर क्या है NGT यहां जानिए।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 में भारतीय संसद में पेश हुआ। जिसमें एक ऐसे ट्रिब्यूनल के बनने की बात कही गई जो पर्यावरण के मुद्दों पर फैसला दे। यह एक्ट और इसके अंतर्गत बना ट्रिब्यूनल भारतीय नागरिकों के स्वस्थ पर्यावरण मिलने के अधिकार की बात करता है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का गठन 18 अक्टूबर 2010 में किया गया। यह पर्यावरण से जुड़े मुद्दों के प्रभावी और जल्दी निराकरण के लिए बनाया गया था। ये मुद्दे खासतौर पर पर्यावरण के अंतर्गत जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण सुनिश्चित करने, अन्य प्राकृतिक स्त्रोतों का संरक्षण, पर्यावरण से जुड़े कानूनी अधिकारों की रक्षा और किसी नागरिक के अधिकारों के हनन पर उन्हें आर्थिक सहायता मुहिया कराने से जुड़े थे।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को खासतौर पर ऐसे अधिकार दिए गए जिनके इस्तेमाल से पर्यावरण से जुड़े विवाद सुलझाए जा सकें। इस संस्था के द्वारा पर्यावरण से जुड़े विवादों को जल्दी सुलझाना और बड़े कोर्टों पर से इस तरह के विवादों का भार कम करना संभव बनाना खास उद्देश्य था।
इस ट्रिब्यूनल में किसी भी विवाद को 6 महीने के भीतर सुलझाने की कोशिश की जाती है। प्रारंभ में, एनजीटी के पांच जगह ऑफिस खोलने की योजना है। नई दिल्ली में इस ट्रिब्यूनल का मुख्य ऑफिस है। इसके अलावा ट्रिब्यूनल के ऑफिस भोपाल, पुणे, कोलकाता और चैन्नई में भी खोले जाएंगे।