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Last Modified: नई दिल्ली , रविवार, 17 जुलाई 2016 (08:11 IST)

वीके सिंह का आतंकी बुरहान वानी के हमदर्दों को करारा जवाब

वीके सिंह का आतंकी बुरहान वानी के हमदर्दों को करारा जवाब - vk singh on kashmir slamming burhan wani
खुद को गाजी कहने वाले हिजबुल कमांडर आतंकवादी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद से कश्मीर घाटी में जारी हिंसा में अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी है और 1500 जवान घायल हैं। इस सबके बीच केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने आतंकी बुरहान वानी से हमदर्दी जताने वाले को करारा जवाब दिया है। उन्होंने अपने फेसबुक पर अपने एक पोस्ट के माध्यम से कश्मीर के युवाओं को विकास की राह पर चलने की अपील की है।
वीके सिंह ने लिखा, 'कश्मीर की वर्तमान परिस्तिथि से आप परिचित होंगें ही। 'शहीद' बुरहान वानी के लिए कुछ 'बुद्धिजीवी शुभचिंतक' अविलम्ब अपना शोक व्यक्त कर चुके हैं। उन्होंने भारतीय सरकार एवं जम्मू और कश्मीर की सरकार को कटघरे में खड़ा कर के पूर्णतयः दोषी घोषित कर दिया है। उन्होंने यहां तक बोल दिया कि जनता की आवाज को बलपूर्वक दबाया जा रहा है। सेना और पुलिस सरकारी वेतनभोगी अत्याचारी हैं जिन्हें परपीड़ा में आनंद आता है। सीमा पार से भी जनता के विरोध को पुरजोर समर्थन मिल रहा है। अलगाववादी नेता निरन्तर विरोध के पक्ष में हैं।'
 
'दोस्तों, जब आतंकवादी, ईर्ष्यालु पड़ोसी और देश में रह कर उसे ही तोड़ने वाले देशद्रोही एक सुर में राग अलापें, तो समझ लीजिए कि उनके खेमे में संकट के बादल मंडरा रहे हैं। बाकी आप खुद समझदार हैं। कुछ प्रश्न के उत्तर कश्मीर के लोगों को उनसे पूछने चाहिए जो उन्हें दंगों में जाने के लिए उकसाते हैं।
 
वीके सिंह ने लिखा, 'गत वर्ष जब कश्मीर में बाढ़ आई थी, बुरहान वनी ने कितने कश्मीरियों को बचाया था? जिस भारतीय सेना ने डूबते हुए कश्मीर को एक नई सांस दी थी, बुरहान वानी उसी भारतीय सेना के विरुद्ध हमलों के लिए युवाओं को उकसाता था। क्या ये हमारे शहीद हैं? भारतीय सेना ने उसे मार गिराया और हमें गर्व है अपनी सेना पर। भगवान् न करे कोई आपदा कश्मीर में आए, जिन पर पत्थर बरस रहे हैं, वही संकट मोचक बन कर सबसे आगे खड़े होंगें। इस विश्वास की पुष्टि मुझसे नहीं, किसी कश्मीरी से ही कर लीजिए।
 
उन्होंने लिखा 'कुछ लोग कश्मीर की परिस्तिथि का ठीकरा भारत के सर फोड़ते हैं, और UN Convention का हवाला देते हुए कहते हैं कि भारत ने अभी तक कश्मीरियों से मताधिकार क्यों नहीं करवाया। आप सबको शायद यह जान कर आश्चर्य हो, भारत चाह कर भी कश्मीर को लेकर जनमत नहीं ले सकता, क्योंकि UN Convention के अनुसार जनमत के लिए पाकिस्तान द्वारा ग़ुलाम बनाए कश्मीर से अपनी सेना हटाना पहला चरण है। इस बारे में कश्मीरियों को कौन गुमराह कर रहा है, और क्यों? भारत की ओर जो क्रोध उड़ेला जा रहा है, उसे सही दिशा देना चाहिए।
 
'दुःख है कि जहां कश्मीर का एक युवा civil services में सर्वोच्च स्थान से उत्तीर्ण होता है तो वहीं दूसरा युवा हाथ में पत्थर उठा लेता है। युवाओं को यह निर्णय लेना पड़ेगा कि कौन से विकल्प से वो कश्मीर को बेहतर बना सकते हैं। 
 
वीके सिंह ने लिखा, 'कश्मीर तो हमारा ही रहेगा। 1947 से इस विचार में कोई परिवर्तन नहीं आया और न ही आएगा। 2004 में हमारे प्रधानमंत्री ने कहा था कि भारत की सीमाएं परिवर्तित नहीं होंगी, आवत-जावत के लिए सुविधा अवश्य दी जा सकती है। इस तथ्य को जितनी शीघ्रतापूर्वक स्वीकार करेंगे, उतना सभी के लिए अच्छा होगा।
 
हमारी सहायता करिए, कि हम आपकी सहायता कर सकें। सम्पूर्ण विश्व भारत का लोहा मान रहा है और जानता है कि भविष्य में भारत का अति विशेष स्थान है। क्या आप इस महागाथा का भाग बनेंगे? मेरी विनती है, भीड़ से निकलिए, अपना भविष्य स्वयं निर्धारित करिए।
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