जिस आशियाने में बसी थी खान साब की आत्मा उस पर चल रहे हथौड़े !
Photo: Social media
जिस भारतीय शहनाई सम्राट ने अमेरिका के आमंत्रण को यह कहकर ठुकरा दिया कि अमेरिका में उनके लिए घर तो बसा दोगे लेकिन वो गंगा कहां से बहाओगे जो भारत में बहती है, उन्हीं शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह के आशियाने पर आजकल बुल्डोजर चल रहा है।
दरअसल, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के घर को व्यावसायिक भवन में तब्दील करने की योजना चल रही है। यह कवायद परिवार के कुछ सदस्यों की रजामंदी से चल रही है। जबकि परिवार के कुछ अन्य सदस्यों ने इस पर ऐतराज जताया है जिसके बाद खान साहब के कुनबे में विवाद हो रहा है।
शास्त्रीय संगीत जगत का शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के नाम से वाकिफ न हो। बिस्मिल्लाह खान तो अब नहीं हैं, लेकिन उनकी यादों को संजोने के बजाय उनका खुद का कुनबा उसे नेस्तनाबूद करने में लगा है।
बिस्मिल्लाह खान को जो सबसे ज्यादा प्रिय था वो है बनारस और उनका घर भी। यह शहर के चौक क्षेत्र के बेनियाबाग सराय हड़हा इलाके में स्थित है। कोई ऐसा नहीं होगा जो यहां आए और खान साब के घर माथा टेकने न जाए। ऐसे उनके घर को अब ढहाया जा रहा है। यह काम कोई और नहीं बल्कि बिस्मिल्लाह खान के बेटे-पोते खुद कर रहे हैं। खान साहब के सबसे अजीज कमरे की छत भी हथौड़ा चलाकर तोड़ दी गई है। उनका भरा-पूरा कमरा भी आगे की तोड़फोड़ के लिए उजाड़ दिया गया है।
परिवार में ही कुछ लोग हैं जिन्हें यह काम रास नहीं आ रहा है। इनमें एक बिस्मिल्लाह खान की बेटी जरिना भी हैं जो यह सब देखकर रो रही है। उन्होंने मीडिया को बताया कि जिस मकान को मरम्मत करके संजोकर रखा जा सकता था, उसे तोड़ा जा रहा है। उनका आरोप है कि तोड़फोड़ के दौरान खान साहब की कई यादगार तस्वीरों को फाड़ दिया गया या जला दिया गया। उनके पिता का पलंग भी कमरे से निकाल कर बाहर फेंक दिया गया। वे बताती हैं उनकी इच्छा है कि उनके बाबा (पिता) का कमरा न टूटे। तोड़फोड़ का काम खान साहब के पोतों में से एक सिफ्तेन करवा रहे हैं।
बिस्मिल्लाह खान के मकान में तोड़फोड़ पर आपत्ति दर्ज करने वालों में उनके पोते अफाक हैदर भी हैं। वे बताते हैं कि खान साहब ने बड़ी मेहनत से अपने घर को खड़ा किया था। इसीलिए कोई नहीं चाहता कि मकान तोड़ा जाए। हालांकि यह बात सच है कि मकान जर्जर भी हो चला है, उसकी रिपेयरिंग के लिए दरख्वास्त की थी। लेकिन परिवार के लोगों की सहमति न बन पाने के कारण यह नहीं हो सका।
इसके अलावा हृदय योजना के तहत भी मकान को धरोहर के रूप में बनवाने के लिए पैसा प्रशासन के पास आया है, लेकिन उनके बड़े पिता के बेटे यानी खान साहब के दूसरे पोते चाहते हैं कि पूरी बिल्डिंग तोड़कर कॉमर्शियल बिल्डिंग बने। इस पर परिवार के दो लोग सहमत हैं, जबकि अन्य इसके लिए तैयार नहीं हैं।