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Written By उमेश चतुर्वेदी
Last Modified: शनिवार, 11 मार्च 2017 (11:32 IST)

वेबदुनिया ने यूपी को लेकर पहले ही जता दिया था अपना आकलन

वेबदुनिया ने यूपी को लेकर पहले ही जता दिया था अपना आकलन - UP election result
फरवरी के दूसरे हफ्ते में पूर्वी उत्तर प्रदेश के दौरे के बाद वेबदुनिया ने चार रिपोर्टें प्रकाशित कीं थीं। उन रिपोर्टो में वेबदुनिया ने जता दिया था कि उत्तर प्रदेश का मतदाता अपना राज भारतीय जनता पार्टी को देने का मन बना चुका है। वेबदुनिया ने यह भी साफ कर दिया था कि इस बार उत्तर प्रदेश में जाति और धर्म से भी आगे मतदान होगा।
 
पंद्रह साल से लगातार कभी समाजवादी पार्टी तो कभी बहुजन समाज पार्टी की सरकारें देख चुके मतदाताओं के बड़े वर्ग को अब अपने राज्य की बदहाली और पिछड़ापन सालने लगा था। मतदाताओं के इस रुझान को समझते हुए वेबदुनिया ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जाति-धर्म से आगे विकास की उम्मीद पर भी होगा मतदान। इसके पहले वेबदुनिया ने साफ लिख दिया था कि दिलचस्प और हैरतअंगेज हो सकते हैं पूर्वी उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे। इसमें साफ जताया गया था कि जो पूर्वी उत्तर प्रदेश पिछले दो विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी को सत्ता के द्वार तक पहुंचाने में पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने भूमिका निभाई थी। उसी तरह इस बार भी भारतीय जनता पार्टी को सत्ता के दरवाजे पर पहुंचाने में पूर्वी उत्तर प्रदेश के मतदाता भूमिका निभाएंगे। वेबदुनिया ने सबसे आखिर में यह रिपोर्ट छापी थी, पूर्वांचल होगा उत्तर प्रदेश के भाग्य का निर्णायक। जब वेबदुनिया ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना दो दिनों का रोड शो काशी में नहीं किया था।
 
एक तरफ जहां राष्ट्रीय मीडिया उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव और राहुल गांधी के गठबंधन को लेकर आश्वस्त दिख रहा था। लेकिन वेबदुनिया ने इसकी तरफ पहली बार ध्यान दिलाया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा बड़ी बढ़त की ओर है और गठबंधन को लेकर लोग खुश नहीं है। वेबदुनिया ने यह भी जताने की कोशिश की थी, इस बार धार्मिक ध्रुवीकरण की बजाय उससे अलग चुनाव होंगे।
 
चुनाव नतीजों से यह साबित हुआ कि वेबदुनिया का आकलन सही रहा। इन पंक्तियों के लेखक ने इसके लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में सवारी गाड़ियों में यात्रा की। बसों से यात्रा की और रेलवे प्लेटफार्मों, चाय की दुकानों पर बैठकर लोगों की राय जानने की कोशिश की। इस पूरी यात्रा के दौरान कभी भी इन पंक्तियों के लेखक ने खुद को न पत्रकार बताया और न ही लेखक के तौर पर अपना परिचय दिया। इन पंक्तियों के लेखक का मानना है कि जब भी किसी व्यक्ति के सामने टीवी का कैमरा या पत्रकार का परिचय देकर सवाल पूछा जाता है तो वह पोलिटिकली करेक्ट जवाब देने लगता है।
 
अपने परिवेश और सामाजिक दबाव में वह अपने दिल की बात बोलने से बचता है। लेकिन सहज सवालों में वह खुल जाता है। वह सामाजिक दबाव में भले ही किसी खास उम्मीदवार या पार्टी को वोट देने की वकालत करे और सार्वजनिक इजहार करे, लेकिन मतदान केंद्र के अंदर वह अपने दिल की सुनता है। वेबदुनिया ने लोगों की राय इसी तरह जानी और उसके चलते उत्तर प्रदेश को लेकर उसका आकलन बिल्कुल सही साबित हुआ है।
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