गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Uniform Civil Code: Who will be affected by the implementation of UCC?
Written By
Last Updated : बुधवार, 28 जून 2023 (14:34 IST)

Uniform Civil Code: यूसीसी लागू होने से किस पर क्या असर होगा? अभी दुनिया में कहां- कहां लागू हैं ये कानून?

Uniform civil code
Uniform Civil Code:  मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पीएम नरेंद्र मोदी ने Uniform Civil Code का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि जैसे एक घर में एक नियम चलता है, ठीक वैसे ही एक देश भी एक ही कानून से चलता है। पीएम मोदी के इस बयान के बाद एक बार फिर से देश में Uniform Civil Code की चर्चा हो रही है। यह माना जा रहा है कि अब जल्‍द ही सरकार Uniform Civil Code कानून ला सकती है।

वहीं इसे लेकर अब राजनीति भी तेज हो गई है। सत्ता पक्ष जहां इसे देश के लिए जरूरी बता रहा है तो वहीं विपक्ष ने भाजपा पर धार्मिक धु्व्रीकरण के लिए वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के फायदे और नुकसान क्या हैं? कहां-कहां पहले से लागू हैं?

UCC लागू होने से क्या होगा?
UCC के बारे में बहुत बातें हो रही हैं, ये क्‍या कानून यह भी लगभग सभी जानते हैं। लेकिन यह किस तरह से और कहां-कहां बदलाव लाएगा यह जानते हैं। बता दें कि यूसीसी मोटेतौर पर विवाह, तलाक, संपत्‍ति के अधिकार और दत्‍तक लेने जैसे मामलों में बदलाव करेगा। यह खासतौर से मुस्‍लिम संप्रदाय के नियम-कायदो में बदलाव करेगा। जानते हैं क्‍या बदलाव होंगे।

पर्सनल लॉ बोर्ड खत्‍म हो जाएगा
UCC लागू होने पर शरीयत कानून, पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे। धार्मिक स्थलों के अधिकारों पर भी असर पड़ेगा। अगर मंदिरों का प्रबंधन सरकार के हाथों में हैं, तो फिर मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि का प्रबंधन भी सरकार के हाथों में होगा। लेकिन अगर मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरिजाघर का प्रबंधन उनके अपनी-अपनी धार्मिक संस्थाएं करती हैं तो मंदिर का प्रबंधन भी धार्मिक संस्थाओं को ही देना होगा।

कहां-कहां होंगे बदलाव?
  • बहु-विवाह यानी एक से ज्‍यादा शादी पर रोक लगेगी।
  • लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें।
  • लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता-पिता को सूचना जाएगी।
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों का बराबर का हिस्सा मिलेगा, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों।
  • मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
  • हलाला और इद्दत (भरण-पोषण) पर रोक लगेगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
  • नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी।
  • पत्नी पुर्न-विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।
क्यों है जरूरी?
बता दें कि भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। अलग-अलग कानून के कारण न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। भारत में हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट 1956 है, मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है। शादी, तलाक, संपत्ति विवाद, गोद लेने और उत्तराधिकार आदि के मामलों में हिंदुओं के लिए अलग कानून हैं, जबकि मुसलमानों के लिए अलग। सरकार चाहती है कि जब देश एक है तो कानून भी एक होना चाहिए। जिन कानूनी प्रक्रिया से हिंदुओं को गुजरना पडता है, मुस्‍लिम भी उसे फॉलो करे। कुल मिलाकर एक देश में एक कानून हो। हालांकि कुछ मुस्‍लिम नेता और धर्म गुरू इसका विरोध कर रहे हैं।

गोवा में लागू है सिविल कोड
बता दें कि गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। यहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाईयों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं। यहां सभी के लिए एक जैसा एक ही कानून है और सभी को उसे मानना होता है। जिसे गोवा सिविल कोड कहा जाता है। इस राज्य में सभी धर्मों के लिए फैमिली लॉ है। यानी शादी, तलाक, उत्तराधिकार के कानून सभी धर्मों के लिए एक समान हैं।

दुनिया में कहां-कहां है UCC?
फ्रांस, अमेरिका, रोम, सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देशों में पहले से कॉमन सिविल कोड लागू है। लंबे समय से मांग और बहस के बाद अब इसे भारत में लागू करने पर चर्चा हो रही है। अब तक सरकार के कई नेता इस कानून के लिए मांग कर चुके हैं, लेकि हाल ही में भोपाल में पीएम मोदी ने जब इसका जिक्र किया तो अटकलें लगाई जा रही हैं कि जल्‍द ही सरकार Uniform Civil Code लागू कर सकती है।

क्‍या लिखा है संविधान में?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में यूनिफॉर्म सिविल कोड शब्द का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि भारत में हर नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास होना चाहिए। संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर ने संविधान को बनाते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी है। यूनिफार्म सिविल कोड की विचारधारा एक देश-एक कानून-एक विधान पर आधारित है।
Edited by navin rangiyal