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Last Modified: बुधवार, 25 दिसंबर 2019 (12:46 IST)

Ground report : डिटेंशन सेंटर का सच, देखिए कैसा है असम का डिटेंशन सेंटर

Ground report : डिटेंशन सेंटर का सच, देखिए कैसा है असम का डिटेंशन सेंटर - truth of Detention Center in Assam
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को लेकर सड़क से संसद तक संग्राम छिड़ा हुआ है। इन सबके बीच डिटेंशन सेंटर को लेकर बहस शुरू हो गई है। गृहमंत्री अमित शाह ने सफाई दी है कि डिटेंशन सेंटर को लेकर फैलाई जा रही बातें पूरी तरह निराधार हैं। मोदी सरकार के दौरान कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाया गया है। पिछले रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में नरेंद्र मोदी ने कहा था कि डिटेंशन के नाम पर लोगों को डराया जा रहा है। देशभर में कहीं भी डिटेंशन सेंटर नहीं बन रहे हैं जबकि सचाई कुछ और है। दीपक असीम ने असम में बन रहे डिटेंशन सेंटर्स की जमीनी पड़ताल की थी। 
 
उनकी रिपोर्ट के अनुसार एनआरसी की सूची से 19 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया, लेकिन उन्हें असम की जेलों के एक कोने को डिटेंशन कैंप घोषित कर वहीं पर कथित घुसपैठियों और 'डी वोटरों' को रखा जा रहा है। ऐसे लोगों की संख्या करीब 1000 है, लेकिन संबंध एनआरसी से नहीं है। जो लोग यहां जेल में हैं वह अवैध रूप से सीमा पार करते बिना कागजात यहां रहते पकड़ाने वाले लोग हैं।
 
गोलपारा एक डिटेंशन तैयार किया जा रहा है। इसे पूरा होने में करीब 3 महीने लगेंगे। गोलपारा में जो कैंप बन रहा है, वह 20 बीघा में फैला हुआ है। इसकी लागत 46 करोड़ आ रही है। पुलिस हाउसिंग डिपार्टमेंट द्वारा इसे बनाया जा रहा है।
 
इसमें 3000 लोगों को रखा जा सकेगा। गोलपारा डिटेंशन कैंप में बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल भवन भी बनाया जा रहा है। अगर कोई पूरा परिवार घुसपैठिया साबित होता है तो यहां पूरे परिवार को रखा जा सकेगा। बच्चे औरतों के पास रहेंगे, मर्द अलग सोएंगे। मनोरंजन के लिए भी एक रीक्रिएशन रूम बन रहा है। पानी यहीं जमीन से निकालेंगे। 
 
असम के बुद्धिजीवी इन डिटेंशन सेंटर पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि टैक्स की कमाई इन पर खर्च करने की क्या आवश्यकता है? वर्क परमिट देकर छोड़ दिया जाना चाहिए।
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