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  4. The friend kept his promise, the dear friend danced with teary eyes during the last rites
Last Updated : गुरुवार, 31 जुलाई 2025 (18:32 IST)

दोस्‍ती हो तो ऐसी, मैं मरूं तो आकर नाचना, दोस्‍त ने निभाया वादा, अंतिम संस्‍कार में नम आंखों से जमकर थिरका जिगरी यार

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मंदसौर जिले में एक बेहद ही दिलचस्‍प वाकया सामने आया है। दरअसल, मंदसौर जिले के जवासिया गांव में रहने वाले सोहनलाल जैन कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे। ऐसे में 9 जनवरी 2021 को उन्होंने अपने मित्र अंबालाल प्रजापत और शंकरलाल पाटीदार के नाम एक पत्र लिखा था।
इसमें अपने दोस्तों को संबोधित करते हुए सोहनलाल ने लिखा- अंबालाल प्रजापत और शंकरलाल पाटीदार को मेरा अंतिम बार राम-राम, अपने साथ वालों को भी मेरा अंतिम राम राम बोल देना। विशेष शुभ समाचार यह है कि मैं कागज लिख कर दे रहा हूं कि मैं जब इस दुनिया में न रहूं, तब तुम मेरी अंतिम यात्रा में शामिल होकर अर्थी के आगे नाचते-कूदते मुझे विदा करना। कोई रोना-धोना नहीं करना। खुशी-खुशी मुझे विदा करना। मनुष्य जीवन में जब से हम साथ हैं, इस बीच मुझसे अंजाने में कोई गलती हुई हो तो मुझे क्षमा करना। समय आने पर मेरी अंतिम इच्छा पूरी करना।
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दिलचस्‍प है कि दोस्‍त ने भी दोस्‍ती निभाई। मंगलवार बुधवार की रात कैंसर से जूझ रहे सोहनलाल जैन का जब निधन हो गया तो इसकी सूचना उनके दोनों दोस्तों को दी गई। इसके बाद उन्हें अपने मित्र सोहनलाल की अंतिम इच्छा पूरी करने का फैसला लिया और बैंड बाजा लेकर अंतिम यात्रा में पहुंच गए। यात्रा में शामिल होकर अंबालाल प्रजापत ने जमकर डांस किया और दोस्त की इच्छा के अनुसार बिना रोए नाचते-कूदते उसे आखिरी विदाई दी। बता दें कि यह वीडियो ओर फोटो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं। दोनों की दोस्‍ती की मिसालें दी जा रही हैं।

क्‍या कहा अंबालाल ने : अंबालाल प्रजापत ने बताया कि मेरे दोस्त की अंतिम इच्छा थी कि उसकी शवयात्रा मैं और शंकरलाल पाटीदार डांस करके उसे अंतिम विदाई दें। शंकरलाल किसी कारणवश अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सका। लेकिन, मैंने मेरे दोस्त की अंतिम इच्छा पूरी की, उसे नाचते हुए विदा किया। भगवान से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति मिले।

साल 2021 लिखा था लेटर, 2025 में मौत : दरअसल, सोहनलाल जैन मंदसौर जिले के जवासिया गांव में रहने वाले थे। उनकी मित्र अंबालाल प्रजापत और शंकरलाल पाटीदार से बेहद गहरी दोस्‍ती थी। जब उन्‍हें कैंसर हुआ और पता  चला कि वे अब शायद ही बच सकेंगे तो उन्‍होंने भावुक होकर अपने दोस्‍तों अंबालाल प्रजापत और शंकरलाल पाटीदार के नाम एक पत्र लिखा था। सोहनलाल ने लिखा था कि अम्बालाल और शंकरलाल को मेरा अंतिम बार राम राम। जब मैं मरुं तो मेरी अंतिम यात्रा में आकर जमकर डांस करना और हंसते हुए मुझे विदा करना। दोस्‍तों ने वादा निभाया और डांस करते हुए दोस्‍त को विदाई दी।