गुरुवार, 19 दिसंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. The doors of Badrinath Dham will open on May 8
Written By Author हिमा अग्रवाल
Last Modified: शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022 (23:53 IST)

बद्रीनाथ धाम के कपाट 8 मई खुलेंगे, 60 सुहागिन महिलाओं ने निकाला तेल

बद्रीनाथ धाम के कपाट 8 मई खुलेंगे, 60 सुहागिन महिलाओं ने निकाला तेल - The doors of Badrinath Dham will open on May 8
ऋषिकेश। हिंदू के पवित्रधाम बदरीनाथ में प्राचीन काल से तिल का तेल निकालने की परंपरा रही है। इस तिल के तेल को राजमहल में डिमरी समाज की सुहागिन महिलाएं सिल-बट्टे और मूसल से निकालती हैं। इस तेल से बद्रीनाथ बाबा का ग्रीष्मकालीन पूजापाठ के दौरान लेप और अखंड ज्योति के लिए प्रयोग किया जाता है। तिल से तेल निकालने की प्रक्रिया सदियों पुरानी है और आज भी टिहरी के नरेन्द्र नगर के राजमहल में आज भी देखने को मिलती है। 
 
शुक्रवार को टिहरी के नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी की अगुवाई में राज परिवार और डिमरी समाज की 60 सुहागिन महिलाओं ने पीले वस्त्र धारण करके मूसल, सिल-बट्टे से तिल का तेल निकाला। इस बार राजमहल की परंपरा को निभाने के लिए रानी की पुत्री श्रीजा के नेतृत्व में तेल निकाला गया। प्राचीन काल से मान्यता रही है कि तेल निकालने की परंपरा के साथ ही बद्रीनाथ के कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है, इस बार 8 मई को ब्रदीनाथ के कपाट खुलेंगे। 
 
धरती का बैकुंठ कहे जाने वाले बाबा बद्रीनाथ में सदियों से चली आ रही पंरपरा के मुताबिक बद्रीविशाल के लेप और अखंड ज्योति प्रज्वलित करने के लिए तिल का तेल इस्तेमाल होता है। इस तिल के तेल को नरेन्द्रनगर स्थित टिहरी राजमहल में महारानी के अगुवाई में राज परिवार और नगर की सुहागिन महिलाओं द्वारा पीला वस्त्र धारण कर मूसल और सिलबट्टे से निकाला जाता है। 22 अप्रैल (शुक्रवार) को महारानी की पुत्री श्रीजा शाह अरोड़ा की अगुवाई में नगर की 60 से अधिक सुहागिन ने पीले वस्त्र धारण करके मूसल और सिलबट्टे से परंपरागत तौर तरीकों को अपनाते हुए हाथों से निकाला गया है। 
 
राजपुरोहित कृष्ण प्रसाद उनियाल द्वारा महाराजा मनुजेंद्र शाह की पुत्री श्रीजा शाह अरोड़ा के हाथों विधिविधान के साथ पूजा अर्चना करते हुए तिलों का तेल पिरोने का शुभारंभ किया गया। शुक्रवार को तिल से तेल निकालने की प्रक्रिया के साथ ही सांकेतिक रूप से बद्रीनाथ कपाट खुलने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
 
विधि विधान से शुरू हुई प्रक्रिया : तेल पिरोने के बाद तिल के तेल को एक विशेष पात्र में गरम करके जड़ी बूटी डाली जाती है, यह जड़ीबूटी पानी को सोखने की क्षमता रखती है। पूजा-अर्चना और भोग लगाने के बाद तिलों के तेल को चांदी के कलश गाडू घड़ा में परिपूरित किया जाता है, तत्पश्चात यह गाडू घड़ा बद्रीनाथ धाम की धार्मिक पंचायत डिमरी समुदाय को सौंपा जाता है, जो गाडू घड़ा भव्य कलश शोभा यात्रा लेकर बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना हो गए हैं।
 
कलश यात्रा शुरू : बदरीनाथ धाम के कपाट वर्ष 2022 में साल 8 मई को प्रातःकाल 6.15 मिनट पर खुल रहे हैं। जिसके चलते तेल कलश यात्रा 22 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजदरबार से शुरू हुई है और यह 23 अप्रैल को दोपहर में पहुंचेगी। इस पवित्र कलश यात्रा को चेला चेतराम धर्मशाला ऋषिकेश में श्रद्धालु गाडू घड़ा के दर्शन कर सकेंगे। 23 अप्रैल अपराह्न तेल कलश यात्रा श्रीनगर गढ़वाल प्रस्थान करेगी. 24 अप्रैल को सुबह दर्शन के पश्चात तेल कलश उमा देवी मंदिर कर्णप्रयाग का रुख करेगी। 
 
ये भी पढ़ें
पुलिस को अपराधियों से दो कदम आगे रहना चाहिए : शाह