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Last Modified: सोमवार, 4 मार्च 2024 (20:37 IST)

रिलायंस मेट सिटी में स्वीडिश कंपनी 'साब' लगाएगी हथियार बनाने का संयंत्र

रिलायंस मेट सिटी में स्वीडिश कंपनी 'साब' लगाएगी हथियार बनाने का संयंत्र - Swedish company will set up a weapons manufacturing plant in Met City
Swedish company will set up a weapons manufacturing plant in Met City : रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Reliance Industries Limited) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी मेट सिटी (Met City) ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह भारत में प्रसिद्ध कार्ल-गुस्ताफ वेपन सिस्टम कंपनी 'साब' की पहली मैन्युफैक्चरिंग सुविधा का घर बन गया है।

डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण  उपलब्धि है क्योंकि यह रक्षा क्षेत्र में भारत की पहली 100 फीसदी एफडीआई होगी। इसके साथ ही भारत को प्रमुख रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर बनाने में एक नया अध्याय शुरू होगा। 'साब' एक स्वीडिश डिफेंस कंपनी है और उसके पास रक्षा उत्पादों की विस्तृत रेंज है, साथ ही भारत के साथ उसके मधुर संबंध हैं।

हरियाणा में प्लांट का निर्माण शुरू करने के लिए 'साब' एफएफवीओ इंडिया द्वारा आज दोनों कंपनियों के बीच समझौता हुआ। जो 'ग्राउंड ब्रेकिंग', रिलायंस मेट सिटी से संचालित होने वाले पहले से मौजूद क्षेत्रों की विस्तृत रेंज में रक्षा क्षेत्र के एक नए जुड़ाव का भी प्रतीक है। इसके साथ ही इस सहभागिता से नए और विस्तारित अवसरों के द्वार खुलेंगे।

रिलायंस मेट सिटी पहले से ही विभिन्न क्षेत्रों में 9 विभिन्न देशों की कंपनियों की मेजबानी करता है। उत्तर भारत में तेजी से बढ़ते बिजनेस सेंटर्स में से एक के रूप में यह रक्षा, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो कंपोनेंट्स, मेडिकल उपकरणों, एफएमसीजी, जूते, प्लास्टिक, उपभोक्ता उत्पादों और कई अन्य उद्योगों के लिए एक पसंदीदा डेस्टिनेशन के रूप में तेजी से उन्नति कर रहा है।

यह भारत की सबसे बड़ी आईजीबीसी प्लैटिनम रेटेड इंटीग्रेटेड स्मार्ट सिटी में से एक है और हरियाणा में एकमात्र जापान औद्योगिक टाउनशिप (जेआईटी) के रूप में मौजूद है।  यहां इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटो-कंपोनेंट्स से लेकर चिकित्सा उपकरण क्षेत्रों तक 6 जापानी कंपनियां पहले से ही हैं। इस परियोजना में दक्षिण कोरिया की 6 कंपनियां और स्वीडन सहित यूरोप की कई कंपनियां भी शामिल हैं।

सेल डीड पर हस्ताक्षर और भूमि पूजन समारोह पर प्रतिक्रिया : मैट पामबर्ग, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, 'साब' इंडिया टेक्नोलॉजीज और 'साब' एफएफवीओ इंडिया के बीओडी के सदस्य का कहना है कि भारत में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए मंजूरी हासिल करने वाली पहली ग्लोबल रक्षा कंपनी होने पर हम बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं।

भारत में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए रिलायंस मेट सिटी के साथ साझेदारी करना मेक इन इंडिया पहल और भारतीय रक्षाबलों के साथ हमारे करीबी सहयोग के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। हमने रिलायंस मेट सिटी को उसकी रणनीतिक स्थिति, अच्छी तरह से विकसित बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर और प्रशिक्षित जनशक्ति की उपलब्धता के कारण चुना है।

मेट सिटी के सीईओ और पूर्णकालिक डायरेक्टर एसवी गोयल ने कहा कि 'हम रिलायंस मेट सिटी में 'साब' का स्वागत करते हुए रोमांचित हैं, जो मेट सिटी में प्रमुख वैश्विक कंपनियों को आमंत्रित करने की हमारी यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। भारत के पहले 100 फीसदी एफडीआई अनुमोदित रक्षा निर्माता के रूप में 'साब' न केवल सर्वोत्तम श्रेणी के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के हमारे संकल्प को मजबूत करेगा बल्कि मेट सिटी को वैश्विक कंपनियों के लिए व्यापार करने के लिए एक पसंदीदा स्थान के रूप में भी स्थापित करेगा।
उन्होंने कहा कि अपने प्लग-एन-प्ले इंफ्रास्ट्रक्चर, आईजीबीसी प्लेटिनम रेटेड सर्टिफिकेशन और 9 अलग-अलग देशों की कंपनियों के साथ मेट सिटी विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों को आकर्षित करने वाले भारत के एक प्रमुख कमर्शियल डेस्टिनेशन के रूप में उभरा है। यह सतत विकास का एक प्रमुख प्रोजेक्ट है, जिसमें 8000 करोड़ रुपए का निवेश पहले से ही प्रतिबद्ध है। वर्तमान में मेट सिटी के पास 2200 एकड़ से अधिक का लाइसेंस है और इस प्रोजेक्ट ने पहले ही 40000 से अधिक व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया है।
मेट सिटी के वीपी और हेड-बिजनेस डेवलपमेंट वैभव मित्तल ने कहा, हम मेट सिटी में 'साब' जैसे वैश्विक रक्षा निर्माता को पाकर बहुत उत्साहित हैं। यह वैश्विक कंपनियों को भारत और हरियाणा में निवेश के लिए प्रोत्साहित करने की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इसके साथ ही मेट सिटी अब दुनियाभर में डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक प्रमुख स्थान के रूप में दिखाई देगी और इस प्रकार क्षेत्र के समग्र विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। जैसे ही भारत रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भर हो जाएगा, यह संयंत्र कई अन्य लोगों के लिए अग्रणी बनने में काफी मदद करेगा।
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