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Last Updated :नई दिल्ली , बुधवार, 11 मई 2016 (11:54 IST)

सुप्रीम कोर्ट का फैसला, कॉल ड्रॉप पर उपभोक्ताओं को नहीं मिलेंंगे पैसे

Suprime court
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कॉल ड्रॉप के खिलाफ प्रभार लगाने के मामले में मोबाईल सेवा प्रदात्ता कंपनियों को आज राहत प्रदान की। अदालत के इस फैसले से अब उपभोक्ताओं को कॉल ड्रॉप पर पैसा नहीं मिलेगा। 
 


शीर्ष अदालत ने इस संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए सेल्यूलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) की अपील स्वीकार कर ली।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ और आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा कि हमने इस रद्द नियम को अधिकार क्षेत्र से बाहर, मनमाना, अतर्कसंगत और गैर-पारदर्शी करार दिया।
 
उच्चतम न्यायालय ने भारत के एकीकृत दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और वोडाफोन, भारती एयरटेल तथा रिलायंस जैसे 21 दूरसंचार परिचालकों के संगठन सीओएआई द्वारा दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। इस याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी जिसने ट्राइ के इस साल जनवरी से काल ड्राप के संबंध में उपभोक्ताओं को मुआवजा देना अनिवार्य बनाने के फैसले को उचित ठहराया था।
 
दूरसचांर कंपनियों ने इससे पहले उच्चतम न्यायालय से कहा था कि पूरा क्षेत्र भारी-भरकम रिण से दबा है और उन्हें स्पेक्ट्रम के लिए बड़ी राशि का भुगतान करना है इसलिए काल ड्राप को बिल्कुल बर्दाश्त न करने का नियम उन पर लागू नहीं किया जाना चाहिए।
 
कंपनियों ने भारतीय दूरसंचार प्राधिकार :ट्राइ: के इस आरोप को खारिज किया कि वे भारी-भरकम मुनाफा कमाती हैं। दूरसंचार कपंनियों ने कहा कि उन्होंने बुनियादी ढांचे में काफी निवेश किया हुआ है।
 
 
गौरतलब है कि भारतीय दूर संचार नियामक प्राधिरण (ट्राई) ने कॉल ड्रॉप के मामले में मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनियों पर प्रभार लगाने का आदेश दिया था जिसे उच्च न्यायालय ने सही ठहराया था। सीओएआई ने उच्च न्यायालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। (वार्ता)