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Last Updated : मंगलवार, 25 सितम्बर 2018 (12:15 IST)

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, दागी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते, पार्टियां जनता को बताए दागी है उम्मीदवार

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, दागी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते, पार्टियां जनता को बताए दागी है उम्मीदवार - supreme court verdict on tainted representative
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले में कहा कि चुनाव लड़ने से पहले प्रत्येक उम्मीदवार अपना आपराधिक रिकॉर्ड निर्वाचन आयोग के समक्ष घोषित करे। साथ ही उसने सभी राजनीतिक दलों से कहा कि वे अपने उम्मीदवारों के संबंध में सभी सूचनाएं अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें।


प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि नागरिकों को अपने उम्मीदवारों का रिकॉर्ड जानने का अधिकार है। संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला दिया। पीठ में न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं।

पीठ ने अपने फैसले में विधायिका को निर्देश दिया कि वह राजनीति को अपराधीकरण से मुक्त कराने के लिए कानून बनाने पर विचार करे। साथ ही न्यायालय ने कहा कि सभी राजनीतिक दलों से जुड़े उम्मीदवारों के रिकॉर्ड का प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से गहन प्रचार किया जाना चाहिए।

निर्देश देते हुए न्यायालय ने कहा कि किसी मामले में जानकारी प्राप्त होने के बाद उस पर फैसला लेना लोकतंत्र की नींव है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का अपराधीकरण चिंतित करने वाला है। आपराधिक मामलों में मुकदमों का सामना कर रहे जनप्रतिनिधियों को आरोप तय होने के स्तर पर चुनाव लड़ने के अधिकार से प्रतिबंधित करना चाहिए या नहीं इस सवाल को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने आज यह फैसला दिया। पीठ ने 28 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सांसदों-विधायकों को वकालत से रोकने की मांग भी खारिज : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें मांग की गई थी कि पेशे से वकील जनप्रतिनिधियों के देशभर की अदालतों में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाई जाए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम जनप्रतिनिधियों के वकीलों के तौर पर प्रैक्टिस करने पर रोक नहीं लगाते हैं।

शीर्ष अदालत भाजपा नेता एवं वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें पेशे से वकील जनप्रतिनिधियों (सांसद, विधायकों और पार्षदों) के कार्यकाल के दौरान अदालत में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी।