नई दिल्ली। वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने गुरुवार को कहा कि वायुसेना की अभियान क्षमताओं को और अधिक बढ़ाने तथा इसकी संचालन प्रणाली को और बेहतर करने की जरूरत है। उन्होंने यह बात ऐसे वक्त कही है, जब चीन के साथ सीमा पर तनाव बढ़ने के कारण वायुसेना हाई अलर्ट पर है।
सीनियर एयर स्टाफ ऑफिसर्स के 2 दिवसीय सम्मेलन में उद्घाटन भाषण देते हुए एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने भारतीय वायुसेना को एक पराक्रमी लड़ाकू बल बनाने के लिए (लड़ाकू विमानों के) मौजूदा बेड़े को बनाए रखने और नए शामिल किए जाने वाले लड़ाकू विमानों का अधिकतम संचालन उपयोग करने का जिक्र किया।
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर पिछले 7 हफ्तों से गतिरोध की स्थिति बनी हुई है। गलवान घाटी में 15 जून को हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने बाद तनाव काफी बढ़ गया है। चीनी सैनिक भी इसमें हताहत हुए लेकिन चीन ने इस बारे में अभी तक ब्योरा नहीं दिया है।
वायुसेना की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि वायुसेना प्रमुख ने अपने संबोधन के दौरान इस पर जोर दिया कि हमारी अभियान क्षमताओं को और अधिक मजबूत करने तथा इसकी संचालन प्रणाली को और बेहतर करने की जरूरत है। भदौरिया ने वर्तमान एवं भविष्य की अभियान जरूरतों को पूरा करने के लिए वायुसेना की सभी शाखाओं के युद्धक कर्मियों के समन्वित प्रशिक्षण की दिशा में किए गए प्रयास की भी सराहना की।
विज्ञप्ति के मुताबिक गुरुवार और शुक्रवार को हो रहे इस सम्मेलन में अभियान क्षमताओं को बढ़ाने, समकालिक चुनौतियों से निपटने के लिए लक्ष्य केंद्रित प्रशिक्षण के साथ-साथ वायुसेना के पास उपलब्ध संसाधनों से इसे अत्याधुनिक बनाने की कोशिशों पर चर्चा की जाएगी। यह द्विवार्षिक सम्मेलन वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हुआ, जो इस तरह की पहली कोशिश है।
इस बीच रक्षा मंत्रालय ने सैन्य बलों की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए 38,900 करोड़ रुपए की लागत से 33 लड़ाकू विमानों, मिसाइल सिस्टम और अन्य सैन्य उपकरणों की खरीद को गुरुवार को मंजूरी दी। अधिकारियों ने बताया कि 21 मिग-29 लड़ाकू विमान रूस से जबकि 12 एसयू-30 एमकेआई विमान हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से खरीदे जाएंगे। मंत्रालय ने मौजूदा 59 मिग-29 विमानों को उन्नत बनाने के एक अलग प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
अधिकारियों ने बताया कि मंत्रालय ने 248 अस्त्र बीवीआर मिसाइल सिस्टम की खरीद को भी स्वीकृति दी है। हवा से हवा में प्रहार में सक्षम ये मिसाइल सिस्टम सुपरसोनिक लड़ाकू विमानों से मुकाबला कर सकते हैं और सभी तरह के मौसम में दिन-रात हमेशा इनके काम करने की क्षमता होगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) की बैठक में ये फैसले लिए गए। खरीद के संबंध में डीएसी रक्षा मंत्रालय की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है। डीएसी ने पिनाका मिसाइल सिस्टम के साथ ही लंबी दूरी तक मारक क्षमता वाले मिसाइल सिस्टम की खरीद को भी मंजूरी दी है। इसकी क्षमता 1,000 किलोमीटर तक होगी।
एक प्रेस विज्ञप्ति में मंत्रालय ने कहा है कि मौजूदा परिस्थिति और हमारी सीमाओं पर रक्षा के लिए सैन्य बलों को मजबूत करने के वास्ते डीएसी ने यह निर्णय किया है। डीएसी द्वारा मंजूर प्रस्तावों में पिनाका हथियार की खरीद तथा अन्य उपकरण शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 21 मिग-29 लड़ाकू विमानों और मिग-29 के मौजूदा बेड़े को उन्नत बनाने पर अनुमानित तौर पर 7,418 करोड़ रुपए खर्च होंगे जबकि हिन्दुस्तान एरोनॉटिकल्स लिमिटेड से 12 नए एसयू-30 एमकेआई विमान की खरीद पर 10,730 करोड़ रुपए की लागत आएगी। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डीएसी ने करीब 38,900 करोड़ रुपए की लागत से खरीद को मंजूरी दी है।
मंत्रालय ने कहा कि स्वदेशी डिजाइन और विकास पर जोर दिया गया है। इस मंजूरी में भारतीय उद्योग से 31,130 करोड़ रुपए की खरीद भी शामिल है। उपकरण का निर्माण भारत में होगा। अग्रणी विक्रेता के तौर पर कई एमएसएमई कंपनियों की भागीदारी से भारतीय रक्षा उद्योग इसे अंजाम देगा।
मंत्रालय ने कहा कि इनमें से कुछ परियोजनाओं में स्वदेशी सामग्री का खर्च परियोजना लागत के 80 प्रतिशत तक होगा। इनमें से काफी परियोजनाएं डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) द्वारा तकनीक हस्तांतरण के कारण संभव हो पाएंगी। (भाषा)