लखनऊ। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की नोटबंदी को लेकर की गई टिप्पणी के लिए उन्हें आड़े हाथ लेते हुए बुधवार को कहा कि नोटबंदी नेहरू-गांधी परिवार के लिए निश्चित तौर पर त्रासदी है, क्योंकि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हार रही है।
स्मृति ईरानी ने यहां भाजपा के उत्तर प्रदेश कार्यालय में कहा, निश्चित तौर पर ये (नोटबंदी) नेहरू-गांधी परिवार के लिए त्रासदी है, क्योंकि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हार रही है। उन्होंने दावा किया कि दो राज्यों (गुजरात और हिमाचल प्रदेश) के चुनावों में भी वहीं परिणाम आने वाले हैं। स्थिति यह है कि अब कांग्रेस पशोपेश में है कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाया जाए अथवा नहीं।
स्मृति ईरानी ने राहुल पर हमला जारी रखते हुए कहा, जिस नेता पर उनकी पार्टी ही विश्वास नहीं करती, उस पर गुजरात की जनता क्यों विश्वास करेगी। स्मृति ईरानी नोटबंदी का एक वर्ष पूरे होने के मौके पर संबोधित कर रही थीं। भाजपा आज पूरे देश में ‘कालाधन विरोधी दिवस’ मना रही है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राहुल गांधी आंतरिक रूप से कई समस्याओं से घिरे हैं इसलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साध रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने अपनी एक टिप्पणी में नोटबंदी को त्रासदी बताया था। इसी बात को लेकर केन्द्रीय सूचना प्रसारण एवं वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी से सवाल किया गया था। स्मृति ईरानी ने नोटबंदी को अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि गांधी परिवार भ्रष्टाचार का पर्याय रहा है। पहले 2—जी, फिर कामनवेल्थ और कोयला घोटाले की चर्चा दुनिया में होती थी, लेकिन अब परिदृश्य बदला है।
उन्होंने कहा, जनता परिवर्तन चाहती थी...उसने मोदी के नेतृत्व में विश्वास व्यक्त किया। तीन-साढ़े तीन साल में उस विश्वास पर प्रधानमंत्री खरे उतरे हैं। भ्रष्टाचार एवं कालेधन के खिलाफ ऐतिहासिक मुहिम में सफलता जनता के सहयोग से हासिल हुई है। एक अन्य सवाल के जवाब में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में गुजरात का चुनाव हमेशा विकास के नाम पर लड़ा गया। वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव भी विकास के नाम पर लड़ा गया।
उन्होंने कहा कि आज से एक साल पहले कालेधन के खिलाफ भारत सरकार की बहुत बड़ी मुहिम शुरू हुई। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कालेधन के खिलाफ नोटबंदी का ऐतिहासिक कदम उठाया गया जो आजाद हिन्दुस्तान में पारदर्शिता की दृष्टि से, अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने की दृष्टि से और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस संकेत की दृष्टि से था कि भारत नव निर्माण के रास्ते पर चल पड़ा है।
स्मृति ईरानी ने कहा कि कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ इस महायज्ञ में नागरिकों ने बढ़-चढ़कर सहयोग दिया। समर्पण भाव से राष्ट्र के उत्थान के लिए हमारा साथ दिया। उन्होंने कहा कि मई 2014 के पहले उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र की कांग्रेस सरकार को आदेश दिया था कि कालेधन के खिलाफ एसआईटी की स्थापना हो। इस आदेश का पालन तब की कांग्रेस सरकार ने नहीं किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार की कैबिनेट का पहला फैसला ही एसआईटी की स्थापना का था।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा, आप सबको याद है कि बेनामी संपत्ति कानून 28 साल पहले इतिहास के पन्ने में दर्ज हुआ, लेकिन उसे 28 साल बाद भाजपा की केन्द्र सरकार ने लागू किया। उन्होंने कालेधन के खिलाफ मुहिम के परिणाम गिनाते हुए वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताए। उन्होंने कहा, पिछले साल करंसी जो सर्कुलेशन में थी, उसकी संख्या 17 लाख 77 हजार करोड़ थी। अब वो घट गई है। तीन लाख 90 करोड़ तक। स्मृति ईरानी ने कहा कि गत एक वर्ष में संदिग्ध लेनदेन एक लाख 60 हजार करोड़ से लेकर एक लाख 70 हजार करोड़ तक था। जांच एजेंसियां अब इस संदिग्ध लेनदेन के संबंध में पड़ताल कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि बैंकों ने सरकार तक जो जानकारी पहुंचाई है, उसके मुताबिक एक वर्ष में बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए संदिग्ध लेनदेन में बहुत बड़ी वृद्धि हुई है। पिछले साल यह आंकडा 61, 361 था जो इस एक वर्ष में बैंकों से प्रेषित संदिग्ध लेनदेन के ब्यौरे के मुताबिक, तीन लाख 61 हजार 214 हो गया है।
उन्होंने जानकारी दी कि वित्तीय संस्थान भी संदिग्ध लेनदेन की सूचना देते हैं। पिछले साल यह आंकड़ा 40 हजार 333 था, जो एक साल में दोगुने से ज्यादा यानी 94 हजार 836 तक पहुंच गया है। स्मृति ईरानी ने बताया कि आयकर विभाग तलाशी अभियान चलाता है, उनसे अघोषित आय की जो जानकारी मिली है, उसमें 38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। आयकर विभाग सर्वे भी करता है। इसमें अघोषित आय के सूचित हुए मामलों की संख्या 41 प्रतिशत बढ़ गई। कर का स्व आंकलन होता है, जिसमें व्यक्ति स्वेच्छा से कर भरता है। उसमें 34.25 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि यह जगजाहिर हो चुका है कि जितनी जानकारी सरकार एवं एजेंसियों के पास आई, उसके चलते दो लाख 24 हजार मुखौटा कंपनियां बंद की गईं। वर्तमान में एजेंसियां पड़ताल कर रही हैं कि कहां-कहां इन मुखौटा कंपनियों के माध्यम से कालेधन को छिपाया गया है।
उन्होंने कहा कि कई श्रमिक, जिनके नाम पर वेतन अन्यत्र चला जाता था, उसे लेकर सबसे बड़ी उपलब्धि ये भी रही कि देश में एक करोड़ से अधिक श्रमिक अब ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) के दायरे में आ चुके हैं।
जीएसटी से जुड़े एक सवाल पर स्मृति ईरानी ने कहा कि जीएसटी परिषद में भारत सरकार ही नहीं बल्कि प्रदेशों की सरकारें भी हैं। सारे निर्णय एक स्वर में हुए हैं। जब भी प्रांतीय या किसी क्षेत्र को लेकर चिंता की जाती है तब परिषद का सकारात्मक रुख होता है। (भाषा)