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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : शुक्रवार, 30 सितम्बर 2022 (16:50 IST)

कांग्रेस अध्यक्ष के लिए 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे को क्या चुनौती दे पाएंगे शशि थरूर?

कांग्रेस अध्यक्ष के लिए 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे को क्या चुनौती दे पाएंगे शशि थरूर? - Shashi Tharoor will be able to challenge 80-year-old Mallikarjun Kharge for Congress President?
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में 24 साल बाद अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर का होगा, अब यह पूरी तरह साफ हो गया है। अध्यक्ष पद के लिए हो चुनाव के आखिरी दिन आज कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष 80 वर्षीय मल्लिकार्जुन खड़गे और केरल के तिरूवंतपुरम से लोकसभा सांसद शशि थरूर ने नामांकन भरा। अगर कांग्रेस इन दोनों बड़े चेहरों से से किसी भी आठ अक्टूबर (नाम वापसी की तारीख) तक अपना नामांकन वापस नहीं लिया और 17 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 19 अक्टूबर को चुनाव परिणाम की घोषणा होगी। 
 
कांग्रेस आलाकमान ने आगे बढ़ाया खड़गे का नाम?-कांग्रेस में अध्यक्ष पद के चुनाव के नामांकन के आखिरी दिन सुबह अचानक से मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सामने आया और नामांकन के आखिरी घंटे में मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के बड़े नेताओं के साथ जाकर नामांकन भरा। गुरुवार तक कांग्रेस अध्यक्ष की रेस में शामिल दिग्विजय सिंह और अशोक गहलोत मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के प्रस्ताव भी बने। 
 
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार का उम्मीदवार माना जा रहा है। कांग्रेस परिवार के लगभग सभी करीबी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के दौरान मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि गुरुवार देर रात मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी की मुलाकात के बाद तय किया गया। 

मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम को दक्षिण भारत में कांग्रेस के जनाधार को मजबूत बनाने के साथ पार्टी के दलित चेहरे के तौर स्थापित करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं विवादों से दूर रहना और गांधी परिवार के प्रति वफादारी का इनाम भी मल्लिकार्जुन खड़गे को मिला और एक तरह से अघोषित रूप से गांधी परिवार ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम पर अपनी सहमति दे दी है।   

खड़गे को चुनौती दे पाएंगे शशि थरूर?-कांग्रेस अध्यक्ष पद के मुख्य चुनावी मुकाबला 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे और 66 साल के शशि थरूर के बीच है। मल्लिकार्जुन खड़गे को जहां गांधी परिवार के करीबी और विश्वस्त सहयोगी के तौर पर देखा जाता है तो दूसरी ओर केरल से सांसद शशि थरूर कांग्रेस में उस G-23 के प्रमुख चेहरा है जिसको गांधी परिवार के विरोधी के तौर पर देखा जाता रहा है। 

वहीं दिलस्पत बात यह है कि आज मल्लिकार्जुन खड़गे के नामांकन के समय उस G-23 के कई नेता उनके साथ मौजूद रहे वहीं शशि थरूर नामांकन के वक्त एक अलग-थलग पड़ते हुए दिखाई दिए। वहीं नामांकन भरने के बाद शशि थरूर ने कहा जिनको हाईकमान कल्चर पंसद है वह खड़गे को वोट दें और जो कांग्रेस में बदलाव चाहते है वह उनका समर्थन करे। शशि थरूर ने एक ट्वीट के जरिए अपनी दावेदारी को रखते हुए कहा कि “भारत एक पुराना, लेकिन एक युवा राष्ट्र है, मैं मानवता की सेवा में भारत के मजबूत, स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और दुनिया के सभी राष्ट्रों से आगे होने का सपना देखता हूं।’

कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार के रबर स्टैंप के तौर पर देखा जा रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे की छवि गांधी परिवार के विश्वस्त नेता के तौर पर होती है। मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से आते है जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने है और इसे भी संयोग कहे या कांग्रेस की स्किप्ट का प्लान की आज जब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा कर्नाटक में पहुंची तभी मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए आगे आया। 

मल्लिकार्जुन खड़गे से क्यों पिछड़े दिग्विजय सिंह?-कांग्रेस में अध्यक्ष पद के नामांकन के आखिरी दिन आज पार्टी के अंदर एक और सियासी ड्रामा देखने को मिला। गुरुवार तक कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन भरने की तैयारी करने वाले मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जिनको गांधी परिवार का करीबी माना जा रहा था वह एकाएक पीछे छूट गए। गुरुवार तक नामांकन की तैयारी करते हुए दिखाई देने वाले दिग्विजय सिंह ने कहा कि अगर उनको पहले मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव लड़ने की जानकारी होती तो वह नामांकन फॉर्म ही नहीं खरीदते। इतना ही दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा उनको मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव लड़ने की खबर उनको मीडिया के जरिए लगी। 
 
दिग्विजय सिंह के नामांकन के लिए दिल्ली पहुंचे मध्यप्रदेश के कांग्रेस विधायकों ने निराशा जताई। बताया जा रहा है कि दिग्विजय सिंह के हिंदुत्व विरोधी छवि और उनके विवादित बयान उनके दावेदारी के आड़े आ गया है। गुरुवार को जब दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की बात कही थी तब से सोशल मीडिया पर दिग्विजय सिंह अपने पुराने बयानों और हिंदुत्व विरोधी नेता के तौर पर ट्रोल होने लगे थे। गौरतलब है कि भाजपा दिग्विजय सिंह को एक हिंदुत्व विरोधी नेता के तौर पर स्थापित करती आई है। 
 
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