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Written By सुरेश डुग्गर
Last Modified: शुक्रवार, 3 मई 2019 (16:04 IST)

बुरहान वानी गैंग का अंतिम आतंकी भी मारा गया

बुरहान वानी गैंग का अंतिम आतंकी भी मारा गया - Security forces last member of burhan wani group
जम्मू। हिज्बुल मुजाहिदीन के पोस्टर बॉय बुरहान वानी गैंग का अब समूल नाश हो गया है क्योंकि बुरहान वानी ग्रुप के अंतिम सदस्य लतीफ टाइगर और उसके दो अन्य साथियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है। 
 
शोपियां जिले के इमाम साहब क्षेत्र में आतंकियों के छिपे होने की सूचना सुरक्षाबलों को विश्वसनीय सूत्रों से मिली। सेना की 34 आरआर, सीआरपीएफ और पुलिस के एसओजी जवानों ने सुबह तड़के ही इमाम साहब के अड़खरा गांव में घेराबंदी कर आतंकियों की तलाश शुरू कर दी। करीब नौ से दस घंटे तक चली इस मुठभेड़ के बाद पुलिस अधिकारी ने डोगरीपोरा पुलवामा के लतीफ अहमद डार उर्फ टाइगर के उसके दो अन्य साथियों के साथ मारे जाने की पुष्टि की।
 
बुरहान वानी के आतंकी हिज्ब में शामिल होने के बाद घाटी में वायरल हुई 11 आतंकियों की ग्रुप फोटो में भी लतीफ टाइगर पीछे खड़ा दिखाई दे रहा है। टाइगर 2014 से आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय था। मारे गए दो अन्य आतंकवादियों की पहचान मुलू चित्रगम के तारिक मौलवी और शोपियां के चोतिगम के शारिक अहमद नेग्रो के रूप में हुई। यह तीनों आतंकी हिज्बुल मुजाहिदीन के सदस्य थे। 
 
इस मुठभेड़ में सेना का एक जवान भी गोली लगने से घायल हो गया है। अधिकारी ने कहा कि मुठभेड़ के दौरान एक घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया, जबकि दो अन्य घरों को आंशिक क्षति हुई है। मुठभेड़ समाप्त होते ही आतंकवादियों की हत्या के विरोध में स्थानीय युवाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। यही नहीं उन्होंने मुठभेड़ स्थल पर मौजूद सुरक्षाबलों पर पत्थर बरसाना भी शुरू कर दिए। कई बार समझाने के बाद भी जब प्रदर्शनकारी नहीं माने तो पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे।
 
इस दौरान कई युवा घायल भी हो गए। प्रदर्शन में शामिल बीस वर्षीय युवक मुदासिर अहमद मीर को गंभीर चोट आने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एहतियात के तौर पर प्रशासन ने दक्षिण कश्मीर में इंटरनेट सेवाओं को फिलहाल बंद कर दिया है।
 
सनद रहे कि हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान मुजफ्फर वानी को जुलाई 2016 में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार दिया गया था। इसके बाद घाटी में कई महीनों तक अशांति फैल गई थी। पत्थरबाजी व सुरक्षाबलों के खिलाफ स्थानीय लोगों द्वारा छेड़ी गई मुहिम में 100 से अधिक लोग मारे जबकि कई घायल भी गए थे। 
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