नई दिल्ली। अमेरिकी चेतावनी के बीच कई महीनों तक संतुलित रूप से आगे बढ़ने के बाद भारत ने रूस से 'एस-400 वायु रक्षा प्रणाली' खरीदने के लिए 5 अरब डॉलर के एक समझौते पर शुक्रवार को हस्ताक्षर किए। दरअसल, अमेरिका ने चेतावनी दी थी कि रूस के साथ यह खास सौदा करने वाले राष्ट्रों के खिलाफ वह दंडात्मक प्रतिबंध लगाएगा।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यहां की यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। हालांकि नई दिल्ली ने काफी संयमित रूख दिखाया है। शायद अमेरिका के साथ अपने बेदाग संबंधों को कायम रखने की कोशिश के तहत इसने ऐसा किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पुतिन ने अपने-अपने संबद्ध प्रेस बयानों में एस-400 समझौते का जिक्र नहीं किया। सरकारी अधिकारियों ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की सार्वजनिक घोषणा नहीं की। हालांकि आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस पर रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी ने भारत की ओर से हस्ताक्षर किए हैं।
एक शीर्ष भारतीय अधिकारी ने बताया कि अब अनुबंध पर हस्ताक्षर हो चुका है, ऐसे में मैं समय सीमा (भुगतान तंत्र) के जल्द होने का अनुमान करता हूं। अधिकारी ने यह भी कहा कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते 'एस-400' की सौदेबाजी में लंबा वक्त लगा तथा यह देश की खास रक्षा जरूरत को पूरा करता है और इसलिए सरकार ने इस बारे में फैसला लिया, बिलकुल राष्ट्रहित में यह किया गया।
समिट के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने 'एस-400 लॉन्ग रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम' की भारत को आपूर्ति के लिए अनुबंध के निष्कर्ष पर पहुंचने का स्वागत किया है। रूसी समाचार एजेंसी तास ने भी इस समझौते पर हस्ताक्षर होने की पुष्टि की है। इसने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव के हवाले से कहा है कि यात्रा से इतर इसे पूरा किया गया। पिछले साल अगस्त में मॉस्को के खिलाफ वॉशिंगटन द्वारा 'काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट' (सीएएटीएसए) लगाए जाने के बाद रूस के साथ भारत का यह पहला रक्षा करार है।
वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा था कि हम अपने सभी सहयोगी और साझेदार देशों से रूस के साथ ऐसे लेन-देन से दूर रहने का अनुरोध करते हैं, जो सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंधों को आमंत्रित करता हो। रूस से अरबों डॉलर के 'एस-400 वायु मिसाइल रक्षा प्रणाली' खरीदने की भारत की योजना के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने यह कहा था।
हालांकि यहां अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि सीएएटीएसए मॉस्को को लक्षित है और इसके सहयोगी एवं साझेदार देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं रखता है।
19वें भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में मोदी और पुतिन ने रक्षा, आतंकवाद निरोध, ऊर्जा और अंतरिक्ष सहित अहम क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की। मोदी और पुतिन के प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन परियोजना 'गगनयान' में सहयोग सहित 8 अन्य समझौतों पर भारत और रूस ने हस्ताक्षर किए।
मोदी ने पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस कार्यक्रम में कहा कि शु्क्रवार को लिए गए फैसले हमारे संबंधों को और बढ़ाएंगे और इस चुनौतीपूर्ण विश्व में शांति एवं स्थिरता बहाल करने में योगदान देंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे दोनों देशों को आतंकवाद निरोध, अफगानिस्तान में विकास कार्य और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन तथा एससीओ, ब्रिक्स, जी-20 एवं आसियान जैसे संगठनों में सहयोग में साझा हित हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि रूस ने भारत को देश के मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान 'गगनयान' में पूरा सहयोग करने का भी भरोसा दिलाया है, वहीं पुतिन ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद और मादक पदार्थों की बुराई का मुकाबला करने में सहयोग करने के लिए कदम उठाने को राजी हुए।
संयुक्त बयान में यह भी कहा गया है कि दोनों देश आतंकी नेटवर्क, उनके धन प्राप्त होने के स्रोत, हथियार एवं लड़ाकों के आपूर्ति माध्यमों, आतंकवादी विचारधारा, दुष्प्रचार और भर्ती का खात्मा करने की अपनी कोशिशें समन्वित करने पर भी राजी हुए। उन्होंने सीमापार से आतंकवाद और आतंकवादियों एवं उनके नेटवर्क को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया किए जाने सहित आतंकवादियों को सभी तरह के सरकारी समर्थन की निंदा की।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान पर सीमापार से आतंकवाद को बढ़ावा देने और पड़ोसी देशों को निशाना बनाने के लिए अपनी (पाकिस्तानी) सरजमीं पर संचालित होने वाले आंतकी संगठनों की सहायता करने का भारत आरोप लगाता रहा है। सीमापार से होने वाले आतंकवाद की निंदा करने वाला यह सख्त बयान खासा मायने रखता है, क्योंकि भारत के पुराने मित्र रूस की हाल के समय में पाकिस्तान के साथ संबंधों में गर्माहट देखने को मिली है।
रक्षा समझौते के अलावा अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, रेलवे के क्षेत्र में भी करार किए गए। साथ ही दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में काफी समय से लंबित अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को स्वीकार करने की दिशा में गंभीर कोशिश किए जाने की अपील की।