शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024
  • Webdunia Deals
  1. समाचार
  2. मुख्य ख़बरें
  3. राष्ट्रीय
  4. Rohingya case, country cannot become 'capital' of illegal refugees
Written By
Last Modified: शनिवार, 27 मार्च 2021 (00:36 IST)

रोहिंग्या मामला, देश अवैध शरणार्थियों की 'राजधानी' नहीं बन सकता

रोहिंग्या मामला, देश अवैध शरणार्थियों की 'राजधानी' नहीं बन सकता - Rohingya case, country cannot become 'capital' of illegal refugees
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि देश अवैध शरणार्थियों की 'राजधानी' नहीं बन सकता है। गौरतलब है कि न्यायालय ने जम्मू में हिरासत में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों की तत्काल रिहाई और केंद्र द्वारा उन्हें म्यांमार निर्वासित करने के किसी भी आदेश को लागू करने से रोकने के अनुरोध वाली एक नई याचिका पर आज अपना फैसला सुरक्षित रखा।

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के विशेष पदाधिकारी द्वारा दायर हस्तक्षेप अर्जी पर इस स्तर पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। पीठ ने संयुक्त राष्ट्र के पदाधिकारी की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा, हम आपका पक्ष नहीं सुनेंगे। इस पर गंभीर आपत्ति है।

प्रधान न्यायाधीश बोबडे और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने याचिका पर विस्तार से दलीलें सुनने के बाद कहा, हम इसे आदेश के लिए सुरक्षित रख रहे हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि रोहिंग्या समुदाय के बच्चों को मारा जाता है, उन्हें अपंग कर दिया जाता है और उनका यौन शोषण किया जाता है। उन्होंने कहा कि म्यांमार की सेना अंतरराष्ट्रीय मानवतावादी कानून का सम्मान करने में विफल रही है।

केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील म्यांमार की समस्याओं की यहां बात कर रहे हैं। मेहता ने कहा कि वे बिल्कुल भी शरणार्थी नहीं हैं और यह दूसरे दौर का वाद है क्योंकि इस अदालत ने याचिकाकर्ता, जो खुद एक रोहिंग्या है, द्वारा दाखिल एक आवेदन को पहले खारिज कर दिया था।

उन्होंने कहा, इससे पहले असम के लिए भी इसी तरह का आवेदन किया गया था। वे (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि किसी रोहिंग्या को निर्वासित नहीं किया जाए। हमने कहा था कि हम कानून का पालन करेंगे। वे अवैध प्रवासी हैं। हम हमेशा म्यांमार के साथ संपर्क में हैं और जब वे पुष्टि करेंगे कि कोई व्यक्ति उनका नागरिक है, तभी उसका निर्वासन हो सकता है।

पीठ ने कहा, तो यह कहा जा सकता है कि आप (केंद्र) तभी निर्वासित करेंगे, जब म्यांमार स्वीकार कर लेगा। इस पर मेहता ने कहा कि हां, सरकार किसी अफगान नागरिक को म्यांमार नहीं भेज सकती। मेहता ने कहा, हम सभी अवैध शरणार्थियों के लिए राजधानी नहीं बन सकते हैं।

प्रशांत भूषण ने अंतरराष्ट्रीय न्याय अदालत के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कहा गया है कि म्यांमार ने रोहिंग्याओं के संरक्षित समूह के रूप में रहने के अधिकारों का सम्मान करने के लिए विशेष उद्देश्य से कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर प्रशासन ने जम्मू में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को हिरासत में रखा हुआ है, जिनके पास शरणार्थी कार्ड हैं और उन्हें जल्द ही निर्वासित किया जाएगा।

भूषण ने कहा, मैं यह निर्देश जारी करने का अनुरोध कर रहा हूं कि इन रोहिंग्याओं को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हिरासत में नहीं रखा जाए और म्यांमार निर्वासित नहीं किया जाए। पीठ ने कहा कि वह फैसला सुरक्षित रख रही है।(भाषा)
ये भी पढ़ें
अभिनेता परेश रावल कोरोनावायरस से संक्रमित