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  4. Rocky bark stopped the disaster, the 5 month old dog became an angel by saving 60 lives in mandi himachal pradesh
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Last Updated : शुक्रवार, 11 जुलाई 2025 (12:45 IST)

रॉकी की आवाज ने रोक दी तबाही, 60 जानों को बचाकर फरिश्ता बना 5 महीने का कुत्ता

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हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के सियाथी गांव में 29 जून की रात एक कुत्ते की बहादुरी ने 60 से अधिक लोगों और 20 से ज्यादा परिवारों की जान बचा ली। यह कुत्ता, रॉकी, सिर्फ 5 महीने का है, लेकिन उसकी बहादुरी ने एक भयानक हादसे से गांववासियों को सुरक्षित निकाल लिया।
 
तेज़ बारिश और भूस्खलन (Land Slide) का खतरा
29 जून की रात तेज़ बारिश और भूस्खलन की आशंका के कारण सियाथी गांव में डर का माहौल था। रात करीब 12:30 बजे से 1 बजे के बीच, एक घर की बाथरूम की दीवारों में दरारें दिखने लगीं, जिससे भूस्खलन का खतरा महसूस होने लगा। घर के लोग इस खतरनाक स्थिति से अनजान थे, लेकिन रॉकी, जो उस समय घर में था, अचानक जोर-जोर से भौंकने लगा। उसकी भौंक ने घर के सदस्य ललित कुमार को जगा दिया, जो बाथरूम में दरारें देख, तुरंत कुत्ते को बाहर ले गया।
 
रॉकी ने दी चेतावनी
जैसे ही ललित ने रॉकी को बाहर निकाला, उसी वक्त बाथरूम की दीवार पूरी तरह से गिर पड़ी। यह दृश्य देखकर ललित और उनके परिवार वाले घबरा गए, लेकिन रॉकी की भौंक ने उन्हें सचेत कर दिया था। परिवार ने बिना देर किए, घर से बाहर निकलकर पास के पड़ोसियों को आवाज़ दी और शोर मचाकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर बुलाया।

गांववालों का सामूहिक प्रयास
कुछ ही पलों में स्याठी गांव के सभी लोग घबराए हुए हालात में अपने-अपने घरों से निकलकर पास के सुरक्षित स्थान, नैणा माता मंदिर,  की ओर भागे। यह पूरी जागरूकता और तेजी रॉकी की चेतावनी की बदौलत संभव हो सकी। जैसे ही लोगों ने उसकी भौंकने की आवाज़ और घरवालों की पुकार सुनी, वे बिना कुछ सोचे समझे अंधेरे में बाहर निकल आए। कुछ ही मिनटों बाद, जब पूरा गांव मंदिर परिसर में इकट्ठा हो चुका था, एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ भूस्खलन हुआ और गांव के अधिकांश घर मलबे में तब्दील हो गए। अगर रॉकी समय रहते चेतावनी न देता, तो यह एक बहुत बड़ी त्रासदी बन सकती थी।
 
रॉकी की बहादुरी
जैसा कि पूर्व ग्राम सरपंच देसराज ने कहा, "ये हमारी किस्मत और रॉकी की बहादुरी थी, जिसने हमें बचा लिया।" अगर रॉकी ने समय रहते भौंककर चेतावनी न दी होती, तो यह भूस्खलन गांव के लिए एक बड़ा नुकसान लेकर आ सकता था। रॉकी की सूझबूझ ने पूरी गांव को जीवित रहने का मौका दिया।
 
सरकार की सहायता
हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस घटना के बाद त्वरित राहत कार्य करते हुए 10,000 रुपए की सहायता राशि प्रदान की है। लेकिन इस सहायता राशि के मुकाबले, रॉकी की निस्वार्थ बहादुरी और उस कुत्ते के योगदान को शब्दों में बयान करना असंभव है। वह न केवल एक पालतू कुत्ता बल्कि एक नायक भी बन गया, जिसने अपनी भौंक से एक पूरा गांव बचा लिया।
 
 
रॉकी की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि किसी भी प्राणी के अंदर अपने मालिक और समुदाय के प्रति गहरी संवेदनशीलता और प्यार हो सकता है। कभी-कभी नायक वह होते हैं, जिनसे हम उम्मीद नहीं करते। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि पालतू जानवर सिर्फ दोस्त ही नहीं, बल्कि परिवार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो अपनी निस्वार्थता और बहादुरी से हमें बचा सकते हैं।