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Last Modified: शनिवार, 22 फ़रवरी 2020 (20:22 IST)

संविधान के तीनों अंगों ने चुनौतियों के बीच देश को दिखाया रास्ता : मोदी

Narendra Modi | संविधान के तीनों अंगों ने चुनौतियों के बीच देश को दिखाया रास्ता : मोदी
नई दिल्ली। ने शनिवार को जहां कहा कि तमाम चुनौतियों के बीच संविधान के तीनों स्तम्भों (न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका) ने संतुलन कायम रखते हुए देश को उचित रास्ता दिखाया है, वहीं भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे ने कहा कि कानून के शासन की सफलता इस बात पर निर्भर है कि न्यायपालिका किस प्रकार विभिन्न चुनौतियों से निपटती है।

मोदी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश में कानून का शासन भारतीय लोकनीति का आधार स्तंभ है और तमाम चुनौतियों के बीच संविधान के तीनों स्तम्भों (न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका) ने अपनी-अपनी सीमाओं में रहते हुए संतुलन बरकरार रखा है और देश को उचित रास्ता दिखाया है।

उन्होंने कहा, तमाम चुनौतियों के बीच, कई बार देश के लिए संविधान के तीनों स्तम्भों ने उचित रास्ता ढूंढा है। हमें गर्व है कि भारत में इस तरह की एक समृद्ध परंपरा विकसित हुई है। बीते 5 वर्षों में भारत की अलग-अलग संस्थाओं ने इस परंपरा को और सशक्त किया है।

उन्होंने कहा कि यह दशक भारत सहित दुनिया के सभी देशों में बदलावों का दशक है। यह बदलाव सामाजिक, आर्थिक और तकनीक हर मोर्च पर होंगे। ये बदलाव तर्कसंगत और न्यायसंगत भी होने चाहिए तथा सबके हित में भी। ये बदलाव भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर किए जाने चाहिए।

इस मौके पर सरकार के सबसे बड़े विधि अधिकारी एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने गरीबी का मुद्दा उठाया और इसे मिटाने के लिए लगातार सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों और कल्याणकारी परियोजनाओं का उल्लेख किया। 
मुख्य न्यायाधीश ने भारतीय न्यायशास्त्र के 2000 साल पुराने इतिहास का उल्लेख करते हुए कहा, भारत में अदालतों की एक अच्छी तरह से स्थापित प्रणाली थी। नियम धर्मग्रंथों में निहित थे, जो अदालतों में खुली सुनवाई अनिवार्य बनाते थे। उन्होंने ‘व्यास स्मृति’ का भी उल्लेख किया और कहा कि वह एक वैध निर्णय के विभिन्न चरण प्रदान करता था।

इस मौके पर एटर्नी जनरल वेणुगोपाल ने गरीबी का मुद्दा उठाया और इसे मिटाने के लिए लगातार सरकारों द्वारा उठाए गए कदमों और कल्याणकारी परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, भारत एक विशाल देश है और जब हमें आजादी मिली और 1950 में जब संविधान लागू किया गया, तो जनगणना से पता चला कि 70 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन कर रहे थे।

उन्होंने कहा, 200 साल के ब्रिटिश शासन के बाद देश की यही स्थिति थी। अब यह आज घटकर 21 प्रतिशत रह गई है और मुझे लगता है कि यह विभिन्न सरकारों के प्रयासों के चलते हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार सामाजिक सुधारों सहित कई सुधार लेकर आई है। उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, प्रधानमंत्री जीवन बीमा योजना, स्वास्थ्य योजना और खाद्य सुरक्षा कानून जैसी योजनाओं का भी इस मौके पर उल्लेख किया।

उच्चतम न्यायालय में वरीयता क्रम में दूसरे नंबर के न्यायाधीश एनवी रमन ने जहां सम्मेलन के बारे में जानकारी दी, वहीं न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव ने स्वागत भाषण किया। न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा ने उद्घाटन सत्र का समापन भाषण दिया। 
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