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Last Modified: नई दिल्ली , शनिवार, 16 मार्च 2024 (17:05 IST)

Lok Sabha Elections : मोदी की गारंटी बनाम कांग्रेस की न्याय गारंटी

Narendra Modi_Rahul Gandhi
Prime Minister Modi's guarantee vs Congress's justice guarantee : लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है। राजनीतिक दल इस चुनाव में कई मुद्दों और गारंटी के सहारे जनता के बीच आक्रामक चुनाव अभियान चलाने की तैयारी में हैं। उन 10 प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डालते हैं, जिन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान उठाए जाने की संभावना है।
 
प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका स्पष्ट संकेत दिया है कि इस चुनाव में उनके प्रचार अभियान का मुख्य विषय ‘मोदी की गारंटी’ रहने वाला है। प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के अनुसार, ‘मोदी की गारंटी’ युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तीकरण, किसानों के कल्याण और उन सभी हाशिए पर पड़े तथा कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है।
 
कांग्रेस की न्याय गारंटी : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना के राज्य चुनावों में कुछ हद तक फायदा होता दिखा, जब उसने लोगों को ‘गारंटी’ दी। अब लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने युवाओं, किसानों, महिलाओं, श्रमिकों और आदिवासी समुदाय के लिए न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ ‘भागीदार न्याय’ के उद्देश्य से अपनी 5 ‘न्याय गारंटी’ की बात की है।
मणिपुर से मुंबई तक राहुल गांधी की अगुवाई वाली ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के दौरान लोगों के सामने ‘न्याय की गारंटी’ पेश की गई है। कांग्रेस का घोषणा पत्र इन गारंटी के इर्दगिर्द तैयार किए जाने की संभावना है और पार्टी अपना अभियान इन्हीं गारंटी के इर्दगिर्द तैयार करेगी।
 
बेरोजगारी और महंगाई : कांग्रेस सहित ‘इंडिया’ गठबंधन बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाता रहा है। उन्होंने बार-बार कहा है कि नौकरियों की कमी सबसे बड़ा मुद्दा है और उन्होंने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश भी की है। भाजपा ने रोजगार वृद्धि और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला देते हुए पलटवार किया है। इस चुनावी मौसम में रोज़ी-रोटी से जुड़े इन मुद्दों पर बहस तेज होगी।
 
अनुच्छेद 370, सीएए और समान नागरिक संहिता : ये तीनों मुद्दे भाजपा के लंबे समय से किए गए वादों में शामिल रहे हैं। भाजपा ने संशोधित नागरिकता अधिनियम, 2019 के क्रियान्वयन और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की अपनी उपलब्धि को पेश करना जारी रखा है।
भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा कानून तैयार करने के अपने उद्देश्य के अग्रदूत के रूप में उत्तराखंड में भी समान नागरिक संहिता पर एक कानून पारित किया है। मोदी सरकार ने इन कदमों से यह दिखाने का प्रयास किया है कि वो जो कहती है वो करती है।
 
राम मंदिर : गत 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा ने जबरदस्त उत्साह के साथ मनाया। भाजपा नेताओं ने सदियों पुराने सपने को साकार करने का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया है। इस अवसर पर हिंदी भाषी क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में भगवा झंडे फहराए गए और इसका प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा सकता है। यहां तक ​​कि विपक्षी नेता भी मानते हैं कि राम मंदिर से भाजपा को उत्तर भारत में फायदा हुआ है। विश्लेषकों का मानना ​​है कि भाजपा को कम से कम 370 सीटें मिलने का ज्यादातर भरोसा इसी ‘राम मंदिर लहर’ से पैदा हुआ है।
 
चुनावी बॉण्ड मामला : निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉण्ड का आंकड़ा सार्वजनिक कर दिया है। कांग्रेस ने चुनावी बॉण्ड योजना में कथित भ्रष्टाचार के लिए सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय से उच्चस्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को ‘फ्रीज’ करने की मांग की है। चुनाव से ठीक पहले यह मुद्दा सामने आया है और विपक्ष ने इसे हाथोंहाथ लिया है, लेकिन यह जमीनी स्तर पर काम करेगा या नहीं, यह अभी भी देखना बाकी है।
 
‘अमृत काल’ बनाम ‘अन्याय काल’ : चुनावी मौसम के दौरान भाजपा का यह दावा होगा कि मोदी सरकार ने ‘अमृतकाल’ में सुशासन, तेज गति से विकास और भविष्य के लिए एक दृष्टिकोण का आश्वासन दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस ने मोदी सरकार के 10 वर्षों को ‘बेरोजगारी, बढ़ती कीमतें, संस्थाओं पर कब्ज़ा, संविधान पर हमला और बढ़ती आर्थिक असमानताओं’ वाला ‘अन्याय काल’ करार दिया है।
 
किसानों के मुद्दे और एमएसपी की कानूनी गारंटी : चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के निकट किसानों का आंदोलन भी चर्चा में हावी रहने की संभावना है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। कांग्रेस ने किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा किया है।
भाजपा नेता किसान नेताओं की चिंताओं को दूर करने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं और वे आरोप लगाते रहे हैं कि कई आंदोलनकारी राजनीति से प्रेरित थे। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि कैसे उसकी ‘पीएम-किसान योजना’ ने खेती करने वालों के जीवन को बदल दिया है। अधिकतर चुनावों की तरह किसानों के मुद्दे इस बार भी महत्वपूर्ण होंगे।
 
विचारधाराओं का टकराव : यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चरण का भी प्रतीक है जिसे कई लोग भाजपा और कांग्रेस के बीच विचारधाराओं की लड़ाई कहते हैं। दोनों पार्टियां अपने वैचारिक सिद्धांत लोगों के सामने रखेंगी और उनसे किसी एक को चुनने के लिए कहेंगी।
 
विकसित भारत का दृष्टिकोण : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देश का लक्ष्य एक विकसित राष्ट्र बनना है। उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार 2047 तक इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। विकसित भारत का दृष्टिकोण भाजपा के चुनावी अभियान में महत्वपूर्ण रहने की संभावना है, जबकि विपक्ष इसे एक और जुमला करार दे रहा है। हालांकि चुनाव अभियान के दौरान यह एक प्रमुख विषय बना रहेगा। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 
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