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Last Updated : गुरुवार, 28 अप्रैल 2022 (20:10 IST)

Electricity Crisis : कोयले की कमी से देश के 12 राज्यों में गहराया बिजली संकट

Electricity
नई दिल्ली। तापीय बिजली घरों को चलाने के लिए 12 राज्यों में ‘कोयले के कम भंडार’ की स्थिति के कारण बिजली संकट (Electricity Crisis) उत्पन्न हो सकता है। अखिल भारतीय बिजली इंजीनियर महासंघ (एआईपीईएफ) ने यह चेतावनी दी है। महासंघ ने एक बयान में कहा कि अक्टूबर 2021 से ही देश के 12 राज्यों में कोयला आपूर्ति का संकट देखा जा रहा है।
 
एआईपीईएफ ने कहा कि हमने घरेलू तापीय बिजली संयंत्रों को चलाने के लिए जरूरी कोयला भंडार में कमी की तरफ केंद्र एवं राज्यों की सरकारों का ध्यान आकृष्ट किया है। हमने चेतावनी दी है कि 12 राज्यों में बिजली संकट पैदा होने का खतरा मंडरा रहा है।
 
महासंघ के प्रमुख शैलेंद्र दुबे ने कहा कि तापीय विद्युत संयंत्रों में बिजली पैदा करने के लिए जरूरी मात्रा में कोयला स्टॉक नहीं रहने से यह संकट गहरा सकता है। खासतौर पर देशभर में गर्मियों के दौरान बिजली की बढ़ती मांग को देखते हुए इसका खतरा और बढ़ गया है।
 
38 साल के उच्चतम स्तर पर मांग : अप्रैल महीने के पहले पखवाड़े में ही घरेलू स्तर पर बिजली की मांग बढ़कर 38 साल के उच्चस्तर पर पहुंच गई है। दुबे ने कहा कि अक्टूबर 2021 में बिजली की आपूर्ति मांग से 1.1 प्रतिशत कम थी, लेकिन अप्रैल 2022 में यह अंतर बढ़कर 1.4 प्रतिशत हो गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, झारखंड एवं हरियाणा जैसे राज्यों में बिजली कटौती होने लगी है। उत्तरप्रदेश में भी बिजली की मांग बढ़कर 21,000 मेगावॉट पर पहुंच गई है लेकिन आपूर्ति सिर्फ 19,000-20,000 मेगावॉट की ही हो रही है।
 
 
सरकार से कदम उठाने की अपील : उन्होंने मौजूदा स्थिति में सरकार से तापीय विद्युत संयंत्रों में कोयला आपूर्ति तत्काल सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके लिए फौरन जरूरी कदम उठाने चाहिए। उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले में स्थित अनपरा ताप-बिजली परियोजना में 5.96 लाख टन कोयले का स्टॉक होना चाहिए लेकिन अभी उसके पास सिर्फ 3.28 लाख टन कोयला ही है।

इसी तरह हरदुआगंज परियोजना के पास सिर्फ 65,700 टन कोयला है, जबकि उसके पास 4.97 लाख टन कोयले का भंडार होना चाहिए।
 
दुबे ने बिजली उत्पादन संयंत्रों के कामकाज पर पड़ रहे असर के बारे में कहा कि यह स्थिति प्रबंधन की दूरदर्शिता की कमी के कारण पैदा हुई है। पिछले साल अक्टूबर में भी परीछा संयंत्र को कोयला नहीं मिलने के कारण बंद करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, तेलंगाना, मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को भी कोयले की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। (इनपुट भाषा)