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  4. Politicians caught in Note for Vote scandal before BJP General Secretary Vinod Tawde
Last Modified: बुधवार, 20 नवंबर 2024 (12:00 IST)

BJP महासचिव विनोद तावड़े से पहले नोट फॉर वोट कांड में फंसे राजनेता

vinod tawde
महाराष्ट्र विधानसभा में आज सभी 288 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है। वहीं आज वोटिंग के दौरान नोट फॉर वोट कांड और बिट्कॉइन स्कैम की चर्चा भी सियासी गलियारों में हो रही है। वोटिंग के एक दिन पहले कथित तौर पर नोट फॉर वोट कांड में फंसे भाजपा महासचिव विनोद तावड़े आज फिर पूरे मामले पर सफाई देते नजर आए। मीडिया से बात करते हुए भाजपा नेता विनोद तावड़े ने पूरे मामले को साजिश बताते हुए कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के बुलावे पर वह होटल गए थे जहां तक पैसे बांटने की बात है, तो जांच कर लीजिए।

वहीं राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी मेरे पास पांच करोड़ रुपए मिलने का सबूत दें। पूरे मामले पर सफाई देते हुए तावड़े ने कहा कि अगर पैसे बांटे गए तो चुनाव आयोग इसकी जांच करें। उन्होंने कहा कि वायरल वीडियो की भी जांच होना चाहिए। 

गौरतलब है कि मंगलवार को महाराष्ट्र की सियासत में उस वक्त सियासी बखेड़ा खड़ा हो गया था जब  वीबीए नेता क्षितिज ठाकुर ने भाजपा महासचिव विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगाया। बहुजन विकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं ने विनोद तावड़े को मुंबई के एक होटल में घेर लिया। इस दौरान विनोद तावड़े के पास एक शख्स नोट लहराते दिखाई दे रहा था। पूरे मामले में भाजपा महासचिव पर 5 करोड़ बांटने का आरोप लगा था। वहीं तावड़े जिस होटल में ठहरे थे वहां से भी चुनाव आयोग ने 9 लाख रुपए बरामद किए थे।

देश नोट फॉर वोट का सबसे चर्चित मामला-देश के संसदीय इतिहास में नोट फॉर वोट का सबसे चर्चित मामला साल 2008 का है। तब भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद जब सप्रंग सरकार को संसद में विश्वास मत हासिल करना था तब विपक्ष (भाजपा) के कुछ सांसदों ने अचानक से संसद में नोटों गड्डियां लहराई थी। उस वक्त लोकसभा में भाजपा के तीन तत्कालीन सांसदों अशोक अर्गल,फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा ने आरोप लगाया था कि सदन में विश्वास मत के दौरान सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए 9 करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी।

दिलचस्प है कि सांसदों से लेन-देन का पूरा स्टिंग ऑपरेशन भी एक निजी टीवी चैनल ने प्रसारित किया था।सांसदों के नोट फॉर वोट कांड का आरोपी उस वक्त समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता अमर सिंह पर लगा था। गौरतलब है कि अमेरिका के साथ परमाणु संधि के विरोध में तत्कालीन मनोहन सरकारर से लेफ्ट पार्टियों ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और उस वक्त समाजवादी पार्टी सरकार में शामिल थे। भाजपा सांसदों के सदन में नोटों की गड्डियां लहराने के बाद भी सप्रंग सरकार ने सदन में विश्वास प्रस्ताव हासिल कर लिया था।

1993 का नोट फॉर वोट कांड-भारत के संसदीय इतिहास में नोट फॉर वोट कांड का सिलसिला 1991 से शुरु हुआ था। 1991 में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस में पीवी नरसिंहा राव के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ 1993 में सदन में अविश्वात प्रस्ताव आता है। उस वक्त शिबू सोरेन समेत झारखंड मुक्ति मोर्चा के चार सांसदों को पैसा देकर खरीदने का आरोप लगा था और जेएमम के समर्थन से सरकार ने सदन में बहुमत भी हासिल कर लिया। तब आरोप लगे कि शिबू सोरेन और उनकी पार्टी के चार सांसदों ने पैसे लेकर लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की।

इसके साथ ही राज्यसभा चुनाव कई बार पार्टी विशेष के पक्ष में  वोट के लिए नोट देने के आरोप लगे है, लेकिन यह सभी सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप तक ही समिति रहा है। वहीं लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक प्रत्याशियों पर वोटिंग से पहले वोट हासिल करने के लिए पैंसे बांटने के आरोप लगते है, यहीं कारण है कि हर चुनाव में चुनाव आयोग बड़े पैमाने पर नगदी  जब्त करता था लेकिन यह पहला मौका है कि जब राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त किसी राजनीतिक दल के व्यक्ति पर चुनाव से ठीक पहले नोट बांटने का आरोप लगा है।
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