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Last Updated :अंडमान , रविवार, 30 दिसंबर 2018 (19:50 IST)

अंडमान में पीएम मोदी, अब सुभाषचंद्र बोस के नाम से जाना जाएगा यह द्वीप

अंडमान में पीएम मोदी, अब सुभाषचंद्र बोस के नाम से जाना जाएगा यह द्वीप - PM Modi in Port Blair
अंडमान। मोदी सरकार में देश के कई नगरों के नए नामकरण हुए हैं और अब इस कड़ी में पोर्ट ब्लेयर के रॉस द्वीप का नाम भी शरीक हो गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रविवार को पोर्ट ब्लेयर पहुंचे और यहां उन्होंने एक बड़ी घोषणा कर डाली। मोदी कहा कि अब पोर्ट ब्लेयर में रॉस द्वीप का नाम बदलकर सुभाषचंद्र बोस द्वीप किया जाता है। भविष्य में इस द्वीप को इसी नाम से पहचाना जाएगा। 
 
उन्होंने कहा कि द्वीप का नया नामकरण इसलिए किया गया है क्योंकि नेताजी का नाम हमारे दिलों में गौरव भरता है। रॉस द्वीप अब आगे से महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम से पुकारा जाएगा। 
 
सिर्फ रॉस द्वीप का ही नाम नहीं बदलता है, अलबत्ता नील द्वीप का भी नया नाम शहीद द्वीप किया गया है। हैवलाक द्वीप का नाम स्वराज द्वीप रखा गया है।

प्रधानमंत्री ने सेल्युलर जेल में शहीदों को श्रद्धांजलि दी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां सेल्युलर जेल का दौरा किया और औपनिवेशिक भारत में यहां कैद किए गए तथा फांसी पर लटकाए गए राजनीतिक बंदियों को श्रद्धांजलि दी। 
 
जेल परिसर में पहुंचने के बाद मोदी ने शहीद स्तंभ पर पुष्पचक्र अर्पित किया और फिर उस कोठरी में गए जहां हिन्दुत्व विचारक वीर सावरकर को रखा गया था।
 
राजनेता और हिंदू दर्शन में विश्वास करने वाले विनायक दामोदर सावरकर को अंग्रेजों ने कैद करने के बाद 1911 में यहां सेल्युलर जेल स्थानांतरित कर दिया था। 
 
कोठरी में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री वहां जमीन पर बैठ गए और सावरकर के चित्र के समक्ष कुछ देर तक आंखें बंद कर हाथ जोड़कर बैठे रहे। इसके बाद वह जेल के केंद्रीय टावर की ओर गए और संगमरमर की पट्टिका, जिस पर वहां रखे गए कैदियों के नाम अंकित हैं, के समक्ष कुछ देर तक ठहरे। 
 
मोदी फांसी के तख्त की ओर भी गए जहां एक बार में तीन कैदियों को फांसी देने की व्यवस्था थी। जेल परिसर स्थित संग्रहालय का दौरा करने के बाद उन्होंने आंगुतक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किए। 1896 से 1906 के बीच बनी सेल्युलर जेल को काला पानी के तौर पर भी जाना जाता है। 
 
इस जेल में स्वतंत्रता संग्राम के दौरान फज़ल-हक खैराबादी, योगेंद्र शुक्ला, बटुकेश्वर दत्त और सचिन्द्र नाथ सान्याल समेत कई नेताओं का रखा गया था।