Pictures of Ram temple went viral on social media : अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा समारोह देखने के लिए टेलीविजन के सामने लोगों के हाथ जोड़कर खड़े होने और भगवान राम के बाल स्वरूप वाली मूर्ति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साष्टांग प्रणाम करने जैसी तस्वीरें सोमवार को सोशल मीडिया पर छाई रहीं। इस अवसर पर सोशल मीडिया पर बधाई संदेशों का तांता लग गया और कई लोगों ने इसे ऐतिहासिक दिन करार दिया।
अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में सोमवार को श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई, जिसके साक्षी देश-विदेश में लाखों रामभक्त बने। इस अवसर पर विशेष अनुष्ठान में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे अलौकिक क्षण बताते हुए सियावर रामचंद्र की जय और जय श्री राम का उद्घोष किया। लाखों लोगों ने अपने घरों में और देशभर के मंदिरों में टेलीविजन पर पूरे समारोह को देखा।
अयोध्या में धार्मिक उत्साह और उत्सव का माहौल रहा, जिसकी झलक सोशल मीडिया मंचों पर भी दिखी। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने कई गणमान्य व्यक्ति अयोध्या पहुंचे थे और यह समारोह सोशल मीडिया मंच एक्स पर भी ट्रेंड कर रहा था।
विभिन्न धर्मों, भौगोलिक क्षेत्रों और सामाजिक पहचान वाले लोगों ने यह उत्सव मनाया, जिसे भारत के राजनीतिक और धार्मिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवसर माना जा रहा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के पूर्व कार्यकारी निदेशक एरिक सोल्हेम ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट किया, बधाई हो भारत! आज भारत के लिए बहुत गर्व का दिन है। नया मंदिर कला और सुंदरता का चमत्कार जैसा दिखता है।
यह नए भारत के प्रतीक के रूप में खड़ा होने का विश्वास दिलाता है- इसे अपने इतिहास और विरासत पर गर्व है, देश तेजी से विकसित हो रहा है, और 21वीं सदी में एक प्रमुख शक्ति बनने के लिए तैयार है। बीएचकेस्लैम्स नाम के अकाउंट से एक्स पर पोस्ट किया गया, 500 साल का इंतजार खत्म हुआ...।
प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की उपस्थिति में प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में हिस्सा लिया। वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने समारोह का सीधा प्रसारण देखा।
इस समारोह में शामिल होने वाली अन्य हस्तियों में अभिनेता अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, विक्की कौशल, कैटरीना कैफ, पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और उद्योगपति मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी शामिल थे। इस अवसर पर कई लोगों ने रामलला को उनके उपयुक्त स्थान पर स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी।
दीपक कुमार नाम के एक व्यक्ति ने एक्स पर पोस्ट किया, उनसे (मोदी से) प्रेम करो या नफरत, भारतीय सभ्यता अगले 5000 वर्षों तक नरेंद्र मोदी को कभी नहीं भूलेगी। वह अमर हो गए हैं। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा की, रामलला अपने वास्तविक स्थान पर विराजमान हो गए।
इम्जयान007 नाम के एक्स हैंडल से किए गए एक पोस्ट में, 1990 में प्रधानमंत्री मोदी को कथित तौर पर एक भाषण देते देखा जा सकता है। पोस्ट में लिखा गया है, अयोध्या में राम का मंदिर सिर्फ भाजपा का सपना नहीं है, प्रधानमंत्री मोदी की आत्मा से निकलने वाली भक्ति की अभिव्यक्ति है जो 1992 में आयोजित एक रैली में राम मंदिर के लिए उनके दिल से निकले आंसुओं में देखी जा सकती है।
अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर के दृश्यों के अलावा कई लोगों ने दूसरे देशों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाते हुए भारतीय प्रवासियों की तस्वीरें भी साझा कीं। इनमें भगवान राम के चित्रण के साथ न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर को रोशन करना और पेरिस के प्रतिष्ठित एफिल टॉवर पर जय श्री राम के नारे वाली तस्वीर शामिल है।
कई भाजपा शासित राज्यों ने सोमवार को छुट्टी घोषित कर दी थी ताकि लोग टीवी पर समारोह देख सकें और आस-पड़ोस के मंदिरों में आयोजित कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकें। हालांकि ऐसा नहीं था कि सभी लोग प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित नजर आ रहे थे, बल्कि कुछ ने अपनी अलग राय भी सोशल मीडिया मंच पर व्यक्त की।
गौरिश नाम के व्यक्ति ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद हैशटैग के साथ पोस्ट किया, यह कभी न भूलें कि इसकी शुरुआत कैसे हुई। बर्बरता का एक आपराधिक कृत्य राष्ट्रीय उत्सव में बदल दिया जाता है। यह उत्सव दिव्यता के बारे में नहीं है। यह अल्पसंख्यक समुदाय को डराने-धमकाने और अपमानित करने के बारे में है। भारत का पतन पूर्ण हो चुका है।
एक अन्य पोस्ट में खुद को दिल्ली उच्च न्यायालय का वकील बताने वाले अंकुर मिश्रा ने कहा कि वह देश में अन्य धर्मों का पालन करने वाले अपने सभी भाइयों और बहनों से माफी मांगते हैं। मिश्रा ने पोस्ट किया, जो कुछ भी हो रहा है, वह भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को तोड़ रहा है, धर्म का राजनीतिकरण कर रहा है, यह भारत की अखंडता के लिए गंभीर खतरा है। मैं अपने भारत के लिए प्रार्थना करता हूं।
विवादित स्थल पर 16वीं शताब्दी का एक ढांचा था जिसके बारे में कई हिंदू मानते हैं कि इसका निर्माण भगवान राम के जन्मस्थान पर किया गया था। उक्त ढांचे को 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने ध्वस्त कर दिया था। विवादित जमीन पर मालिकाना हक के लिए चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद नवंबर 2019 में उच्चतम न्यायालय ने मंदिर के निर्माण के पक्ष में फैसला दिया और मस्जिद के लिए दूसरी जगह पर 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour