हिंदू-मुस्लिम थे दंपत्ति, अधिकारी ने खारिज की पासपोर्ट अर्जी, दी धर्म बदलने की सलाह
नई दिल्ली/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक पासपोर्ट ऑफिसर ने एक दंपत्ति की अर्जी सिर्फ इसलिए खारिज कर दी, क्योंकि वो दोनों अलग-अलग धर्म से हैं। ट्वीटर के माध्यम से मामला केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज और पीएमओ तक पहुंच गया और पासपोर्ट अधिकारी कर तबादला कर मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। मामले पर बवाल मचने के बाद तनवी और अनस को पासपोर्ट जारी कर दिया गया।
मोहम्मद अनस सिद्दीकी की पत्नी तन्वी सेठ ने पासपोर्ट बनवाने के लिए अर्जी दाखिल की थी। पासपोर्ट ऑफिस में उनकी अर्जी को खारिज कर दिया गया।
मोहम्मद अनस सिद्दीकी की पत्नी तन्वी सेठ ने ट्वीट कर सुषमा स्वराज और पीएमओ से मामले को संज्ञान में लेने की गुहार लगाई है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'ये ट्वीट मैं न्याय में अत्यधिक विश्वास के साथ कर रही हूं। मेरे साथ लखनऊ पासपोर्ट आफिस में जिस तरह का व्यवहार किया गया, वो बहुत ही दुखद है। लखनऊ के पासपोर्ट ऑफिस में सिर्फ इसलिए मेरा पासपोर्ट अर्जी को खारिज कर दिया गया, क्योंकि मैंने एक मुस्लिम युवक से शादी की है।'
तन्वी का दावा है कि बुधवार (20 जून) को वो पासपोर्ट सेवा केंद्र में पासपोर्ट बनवाने गए। शुरुआती दो काउंटरों ए और बी पर उनके आवेदन की प्रक्रिया पूरी हो गई, लेकिन जब वो तीसरे काउंटर पर पासपोर्ट अधीक्षक विकास मिश्रा के पास गईं तो वो उनके धर्म को लेकर अपमानित करने लगे।
विकास मिश्रा ने दस्तावेज देखने के बाद मुसलमान से शादी के बारे में सवाल-जवाब शुरू कर दिए। मामला बढ़ता देख तन्वी के पति अनस सिद्दीकी भी उनके पास पहुंच गए। अनस को साथ देख विकास मिश्रा ने अपमानित करते हुए दोनों को एक ही सरनेम करने की सलाह दे डाली। इस पर परिवार ने धर्म बदलने से इनकार कर दिया।
एपीओ विजय द्विवेदी ने विभाग की ओर से माफी मांगते हुए उनसे लिखित शिकायत मांगी। रीजनल पासपोर्ट अफसर का कहना है कि हिंदू पत्नी और मुस्लिम पति के अब तक सैकड़ों पासपोर्ट बन चुके हैं। पति और पत्नी का सरनेम अलग होने पर नियमानुसार आवेदक को एक सादे कागज पर लिखित घोषणा करनी होती है, जिसमें उनकी शादी और सरनेम का जिक्र जरूरी होता है।