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Last Modified: रविवार, 28 अगस्त 2022 (20:53 IST)

ट्विन टावर ध्वस्त : एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के कई अपार्टमेंट की खिड़कियों के शीशे चटके, दीवारें भी क्षतिग्रस्त

ट्विन टावर ध्वस्त : एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के कई अपार्टमेंट की खिड़कियों के शीशे चटके, दीवारें भी क्षतिग्रस्त - Noida twin towers demolished: Boundary wall of nearby society damaged, windowpanes crack
नोएडा। नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार दोपहर ध्वस्त किए जाने के बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं। हालांकि नजदीक ही स्थित एक सोसायटी की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कई अपार्टमेंट में खिड़कियों के शीशे भी चटक गए।
 
अधिकारियों ने कहा कि गिराए गए ढांचे से गुजरने वाली गेल लिमिटेड की एक गैस पाइपलाइन को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। इससे पहले, अधिकारियों ने कहा था कि टावर ध्वस्त किये जाने के बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित हैं। हालांकि, एक विस्तृत ‘ऑडिट’ जारी है।
 
अवैध रूप से निर्मित ट्विन टावर को ध्वस्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा एक निर्देश दिये जाने के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई। लगभग 100 मीटर ऊंचे ढांचों को विस्फोट कर चंद सेकेंड में धराशायी कर दिया गया।
 
केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डीपी कानूनगो ने कहा कि  ट्विन टावर से सटी एटीएस विलेज सोसायटी की चारदीवारी को नुकसान पहुंचा है। एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के कई अपार्टमेंट की खिड़कियों के शीशे चटक गए।
 
ट्विन टावर को गिराने का कार्य मुंबई की कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग को सौंपा गया था। एडिफिस इंजीनियरिंग के उत्कर्ष मेहता ने पीटीआई से कहा था कि ट्विन टावर को सफलतापूर्वक गिरा दिया गया। आसपास की इमारतों को कोई ढांचागत नुकसान नहीं पहुंचा है। स्थल का निरीक्षण जारी है।
 
नोएडा प्राधिकरण की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) रितु माहेश्वरी ने रविवार को कहा कि सुपरटेक के ट्विन टावर को ध्वस्त करने की कार्रवाई कुल मिलाकर सफल रही और नजदीकी दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज को शाम करीब साढ़े छह बजे तक रहने के लिए सुरक्षा मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
 
डॉक्टरों की चेतावनी : ट्विन टावर को जमींदोज किये जाने के मद्देनजर डॉक्टरों ने उसके आसपास रह रहे और सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक सावधानी बरतने तथा संभव हो तो कुछ दिन इलाके से दूर रहने की सलाह दी है।
 
ट्विन टावर को ध्वस्त करने से अनुमानित 80 हजार टन मलबा निकला है और विस्फोट के दौरान हवा में धूल का गुबार देखने को मिला।
 
डॉक्टरों का कहना है कि अधिकतर धूल कण का आकार पांच माइक्रोन के व्यास या इससे कम है जो तेज हवा और बारिश की अनुपस्थिति जैसे अनुकूल मौसमी दशाओं में कुछ दिन वातावरण में ही बने रह सकते हैं।
 
उन्होंने कहा कि धूल कण से हुए भारी प्रदूषण की वजह से आंखों में जलन, नाक और त्वचा में खुजली, खांसी, छींक, सांस लेने में परेशानी, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होने की समस्या पेश आ सकती है। साथ ही, दमा और हृदय संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
 
सफदरजंग अस्पताल में कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. जुगल किशोर ने कहा कि हवा की गति कम होने की वजह से धूल कण कुछ समय तक हवा में ही रह सकते हैं। जो लोग श्वास की समस्याओं जैसे कि दमा और ब्रोंकाइटिस का सामना कर रहे हैं, उन्हें संभव हो तो कुछ दिन उस इलाके में जाने से बचना चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को कम से कम 48 घंटे तक प्रभावित इलाके में जाने से बचना चाहिए। जो लोग आसपास के इलाके में रह रहे हैं उन्हें कुछ दिन व्यायाम नहीं करना चाहिए। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में ‘क्रिटिकल केयर’ के सहायक प्रोफेसर डॉ. युद्धवीर सिंह ने कहा, ‘‘वातावरण में मौजूद 2.5 माइक्रोन से कम व्यास के मौजूद कण समस्या पैदा कर सकते हैं। इससे खांसी, छींक, दमा की शिकायत, फेफड़ों में संक्रमण, नाक बंद होना, सांस लेने में समस्या के मामले बढ़ सकते हैं। वायरस के प्रसार में भी ये सूक्ष्म कण सहायक होते हैं और इससे संक्रमण दर बढ सकती है।
 
उन्होंने कहा कि लोगों को एहतियात बरतने और दवाओं का बफर स्टॉक रखना चाहिए। जब तक प्रदूषक कण सतह पर बैठ नहीं जाते, तब तक एन-95 मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए और चश्मा पहनना चाहिए। पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए और कुछ दिनों तक सुबह टहलने से बचना चाहिए। समस्या बढ़ने पर चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए।
 
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वायु गुणवत्ता प्रयोगशाला के पूर्व प्रमुख डॉ. दीपांकर साहा ने कहा कि जब तक मलबा हटाया नहीं जाता, तब तक नोएडा प्राधिकरण को सस्ते सेंसर की मदद से वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रखनी चाहिए।
 
उन्होंने कहा कि जबतक मलबा का निस्तारण नहीं हो जाता, वायु प्रदूषण की समस्या बनी रहेगी और लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। डॉ. साहा ने कहा कि इमारतों को ध्वस्त किये जाने से पैदा हुए धूल कण के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर का आकलन करने के लिए अध्ययन किया जा सकता है।
 
एम्स के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. हर्षल साल्वे ने कहा कि इलाके की वायु गुणवत्ता खराब हो सकती है और यही स्थिति अगले 15 दिनों तक बनी रह सकती है।
 
उन्होंने कहा कि वातावरण में हुए प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए स्मॉग गन के इस्तेमाल जैसे कदम कारगर नहीं होंगे। हमें वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करने के लिए इन उपायों से आगे सोचना होगा क्योंकि यह स्थिति संभवत: इलाके में रहने वाले लोगों के लिए स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न कर सकती है। दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुबमीनार से भी ऊंचे दोनों इमारतों को रविवार को 3,700 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल कर ध्वस्त कर दिया गया।
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