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Last Modified: नई दिल्ली , बुधवार, 24 अक्टूबर 2018 (17:21 IST)

सुप्रीम कोर्ट: 1 अप्रैल 2020 से बंद होगी इन वाहनों की बिक्री, आदेश से वाहनों की कीमतों में वृद्धि होना तय...

सुप्रीम कोर्ट: 1 अप्रैल 2020 से बंद होगी इन वाहनों की बिक्री, आदेश से वाहनों की कीमतों में वृद्धि होना तय... - No Bharat Stage IV vehicle shall be sold across the country from April 1, 2020
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने प्रदूषण को कम करने के लिए बुधवार को एक बड़े फैसले के अंतर्गत कहा कि देशभर में एक अप्रैल, 2020 से भारत स्टेज उत्सर्जन मानक के अंतर्गत आने वाले वाहन ही बेचे जा सकते हैं, यह मानक सरकार ने मोटर वाहनों से पर्यावरण में होने वाले प्रदूषक तत्वों के नियमन के लिए बनाए हैं।
 
इस तारीख के बाद से भारत स्टेज-4 (बीएस-4) श्रेणी के वाहन नहीं बेचे जाएंगे। भारत स्टेज-6 (या बीएस-6) उत्सर्जन नियम 1 अप्रैल, 2020 से देशभर में प्रभावी हो जाएंगे।  न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि उक्त तारीख से पूरे देश में बीएस-6 के अनुकूल वाहनों की ही बिक्री की जा सकेगी। 
 
पीठ ने कहा कि और अधिक स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ना वक्त की जरूरत है। बीएस-4 नियम अप्रैल 2017 से देशभर में लागू हैं। वर्ष 2016 में केंद्र ने घोषणा की थी कि देश में बीएस-5 नियमों को अपनाए बगैर ही 2020 तक बीएस-6 नियमों को लागू कर दिया जाएगा।
 
अब इनकी बिक्री भी 1 अप्रैल 2020 के बाद से नहीं हो सकेगी। न ही इस मानक के वाहन पंजीकृत होंगे। इसके पीछे का कारण है कि भारत सरकार ने बीएस-5 मानक को पीछे छोड़ते हुए साल 2020 तक बीएस-6 स्टैंडर्ड लागू करने का फैसला किया है, ताकि प्रदूषण को और कम किया जा सके। हालांकि इसका एक असर वाहनों की कीमत बढ़ने के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि बीएस 6 के लिए वाहनों को अपग्रेड करने से 5-10 प्रतिशत कीमतों में उछाल आ सकता है। 
 
वाहनों में क्या होता है बीएस का अर्थ : भारत में गाड़ियों के प्रदूषण को मापने के लिए बीएस का प्रयोग किया जाता है। बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर लिखा होता है उस गाड़ी से उतने ही कम प्रदूषण होने की संभावना होती है। जैसे बीएस-2 वाहन, बीएस-3 वाहन और बीएस-4 वाहन। बीएस के आगे संख्या के बढ़ते जाने का अर्थ है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। वाहनों के बीएस मानक देश का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है। 
 
बीएस-2 से हुई थी शुरुआत : भारत में इसकी शुरुआत बीएस-2 से हुई थी। इसके बाद बीएस-4 प्रयोग किया जाने लगा। जब बीएस-4 इंजन का प्रयोग शुरू हुआ, तब कहा गया था कि बीएस-3 मानक के मुकाबले बीएस-4 मानक वाले इंजन उत्सर्जन में भारी कमी लाएंगे। ये वाहन कम प्रदूषण करेंगे यानी यह माना गया था कि बीएस-3 मानक वाले इंजन के मुकाबले बीएस-4 वाले इंजनों का प्रयोग सुरक्षित है।