मंदी के लिए ओला, ऊबर पर ठीकरा फोड़ना वित्तमंत्री को पड़ा भारी, सोशल मीडिया पर हुईं ट्रोल
21 साल बाद देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर सबसे खराब हालत से गुजर रहा है। ऑटो मेकर्स की संस्था SIAM के मुताबिक 1997-98 के बाद बीते अगस्त में गाड़ियों की बिक्री में सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिली है। सिएम के मुताबिक अगस्त महीने में कारों की बिक्री में 41 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी के चलते देश की कई नामी कंपनियों ने अपने प्लांच को बंद करना और उत्पादन को घटाना शुरु कर दिया है। देश की सबसे वाहन निर्माता कंपनी मारूति ने पिछले दिनों अपने दो प्लांट भी बंद कर कर्मचारियों की छंटनी शुरु कर दी है तो हैवी वाहन बनाने वाली प्रमुख कंपनी अशोक लीलैंड ने गाड़ियों की बिक्री नहीं होने के चलते सितंबर में 18 दिन तक अपने प्लांट बंद करने का एलान कर दिया है।
ओला, ऊबर की सोच जिम्मेदार - मंदी की चपेट में आने से ऑटोमोबाइल सेक्टर सरकार से राहत की मांग कर रहा है। दूसरी ओर सरकार राहत देने की जगह हर दिन ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी का ठीकरा अपनी कमियों की जगह दूसरों पर फोड़ रही है।
मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में आई मंदी की ठीकरा ओला और उबर पर फोड़ दिया था। वितमंत्री से जब मीडिया ने ऑटोमोबाइल सेक्टर में मंदी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आज गाड़ियों को लेकर युवाओं की सोच बदली है, वह खुद की गाड़ी खरीदकर किश्त देने के बजाए ओला,ऊबर को पंसद कर रहे है।
सोशल मीडिया पर हुई ट्रोल – ऑटो सेक्टर में मंदी के लिए युवाओं की ओला. ऊबर के इस्तेमाल करने की सोच को जिम्मेदार बताने के वित्त मंत्री के बयान को सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल किया गया। ट्वीटर पर साक्षी जोशी ने लिखा कि आजकल टैक्टर वाले भी ओला-उबर इस्तेमाल कर रहे हैं क्या ?
वहीं सौरभ श्रीवास्तव ने लिखा कि थैंक गॉड फाइनेंस मिनिस्टर ने स्मार्ट बाइक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जिसे इन दिनों हम इस्तेमाल कर रहे है।
ट्वीटर पर वित्तमंत्री के बयान पर तंज कसते हुए जीतेश रोचलानी ने लिखा और अब आगे ये बताया जाएगा कि रुपया ग्रेविटी की वजह से गिर रहा है।
ऑटोमोबाइल सेक्टर ने किया खारिज – वित्तमंत्री के इस बयान को ऑटोमोबाइल सेक्टर ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति के चेयरमैन केसी भार्गव ने कहा कि इसके लिए ओला उबर को जिम्मेदार ठहराना सहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि देश के बैंकिंग सिस्टम की कमजोर निर्णय शक्ति और कारों का महंगा होना इस सेक्टर में मंदी के लिए जिम्मेदारा है।
पिछले लंबे समय से गाड़ियों की बिक्री नहीं होने से ऑटोमोबाइल सेक्टर सरकार से राहत की मांग कर रहा है। सेक्टर सरकार से गड़ियों की बिक्री पर लगने वाले जीएसटी को 28 से घटाकर 18 फीसदी करने की मांग कर रहा है। अब सरकरा की ओर से जीएसटी को लेकर कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला है। 20 सितंबर को गोवा में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में ऑटो सेक्टर को जीएसटी से राहत देने पर कोई फैसला हो सकता है।