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Last Modified: सोमवार, 19 अक्टूबर 2020 (21:04 IST)

समाज से हिंसा और नफरत की सोच खत्म करेगी नई सांस्कृतिक नीति:मनीष सिसोदिया

समाज से हिंसा और नफरत की सोच खत्म करेगी नई सांस्कृतिक नीति:मनीष सिसोदिया - New cultural policy will end thinking of violence and hate from society: Manish Sisodia
आज के दौर में हिंसा और नफरत बढ़ रही है तथा चौतरफा पतन दिख रहा है। ऐसे में कला संस्कृति का सार्थक योगदान हो,इसके लिए दिल्ली सरकार एक समग्र सांस्कृतिक नीति बना रही है। दिल्ली सांस्कृतिक नीति सलाहकार समिति की पहली ऑनलाइन बैठक में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि समाज को नफरत और चारित्रिक पतन के खिलाफ खड़ा करने में कला और संस्कृति को अपनी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने कहा कि सच को सच कहने की सबसे ज्यादा ताकत कला संस्कृति में ही है और हम इस सांस्कृतिक नीति के जरिए शहर के सोचने का मिजाज बदलना चाहते हैं। 
 
बैठक में मनीष सिसोदिया ने चर्चित नाटक मसखरा मौलियर का उदाहरण दिया। इसमें मसखरा कहता है- "कौन रोकेगा मुझे, अगर हंसते-हंसते सच कह जाऊं तो?" सिसोदिया ने कहा कि हम दिल्ली में ऐसा सांस्कृतिक माहौल बनाना चाहते हैं, जहां हर दिन कुछ अच्छी गतिविधियां हों। जिस तरह लोग अपने मेहमानों को सिनेमा घर और रेस्टोरेंट ले जाते हैं, उसी तरह अब दिल्ली के लोगों के पास सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जाने के कई विकल्प होंगे।
 
बैठक में मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सबकी है, इसलिए दिल्ली में पूरे देश का सांस्कृतिक माहौल दिखना चाहिए। कश्मीर या बिहार या किसी अन्य राज्य की सरकार अपने राज्य की भाषा और संस्कृति पर केंद्रित रह सकती है, लेकिन दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी होने का गौरव है। इसलिए देश के जिस भी हिस्से के लोग यहाँ आते हों, उन्हें यहाँ अपनी संस्कृति की झलक दिखाई पड़े।  दिल्ली को कला और संस्कृति का जीवंत केंद्र बनाने की दिशा में सरकार तेजी से काम कर रही है। 
 
उन्होनें कहा कि यह एक बड़ा सपना है। इसे साकार करने के लिए एक सांस्कृतिक नीति बनाई जा रही है। इसके लिए दिल्ली सरकार के कला संस्कृति और भाषा विभाग ने पंद्रह सदस्यीय समिति सलाहकार समिति बनाई है। यह दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी। 

स्कूलों में लागू हो थिएटर शिक्षा- बैठक में अभिनेता मनोज वाजपेयी ने कहा कि लंबे समय से मेरा सपना है कि अगर किसी सरकार से नजदीकी रिश्ता हो, तो स्कूलों में थिएटर की शिक्षा लागू करने की सलाह दूं। वाजपेयी ने स्कूलों के साथ ही स्लम और चौराहों के बच्चों को भी थियेटर शिक्षा के माध्यम से मुख्यधारा में लाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि पेरिस में हर चौक चौराहे और मेट्रो के समीप तरह तरह के नृत्य संगीत के कार्यक्रम होते रहते हैं। बैठक में मनोज वाजपेयी ने दिल्ली में भी कलाकारों को कला प्रदर्शन के लिए जगह मुहैया कराने का सुझाव दिया ताकि दिल्ली को सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर और ऊपर लाया जा सके।
 
सलाहकार समिति में कला-संस्कृति की हस्तियों एवं विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इनमें अभिनेता मनोज वाजपेयी और जावेद जाफरी, कला नीति विशेषज्ञ पूजा सूद, जेएनयू के स्कूल ऑफ आर्ट्स और सौंदर्यशास्त्र की प्रोफेसर ईरा भास्कर शामिल हैं। साथ ही, दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट के प्रिंसिपल अश्विनी कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता विनीत नागर, लोक नृत्यांगना बीना व्यास भी समिति में शामिल हैं। इसी तरह, संगीत प्रोड्यूसर बृन देसाई, कला विशेषज्ञ अभिनंदिता दयाल माथुर, कलाकार एवं शोधकर्ता भगवती प्रसाद एवं लतिका गुप्ता, कलाकार एवं शिक्षाविद आस्था चौहान को सदस्य बनाया गया है।