नई दिल्ली। आरक्षण की मांग कर रहे जाटों ने आज घोषणा की कि वे शनिवार को प्रस्तावित अपने कार्यक्रम के तहत दिल्ली कूच नहीं करेंगे। इस फैसले से राष्ट्रीय राजधानी को बड़ी राहत मिली है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ यहां चार घंटे की लंबी बैठक के बाद जाट आंदोलन के नेताओं ने कहा कि समुदाय की मांगें मान ली गई हैं और इसलिए आंदोलन रद्द रहेगा। बातचीत के दौरान केंद्र सरकार के दो जाट मंत्री बीरेंद्र सिंह और पी पी चौधरी भी उपस्थित थे।
इस ऐलान के बाद राहत महसूस कर रहे दिल्ली के अधिकारियों ने कल राजधानी में लगने वाली पाबंदियों को वापस ले लिया। दिल्ली मेट्रो ने कहा कि उसकी सेवाएं कल सामान्य रूप से चलेंगी और केवल संसद भवन के आसपास के कुछ स्टेशनों से निकासी पर रोक रहेगी।
हालांकि आज हरियाणा के फरीदाबाद में हिंसा हुई जब पुलिस ने जाट आंदोलनकारियों को दिल्ली की ओर बढ़ने से रोक लिया। संघर्ष में एक एसपी, एक डीएसपी और 16 अन्य पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 35 लोग घायल हो गए। दोनों पक्षों में बातचीत के बाद खट्टर ने संवाददाता सम्मेलन में वादा किया कि जाटों को पूरा न्याय मिलेगा और उनकी मांगें जायज हैं।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण देने की प्रक्रिया जल्द शुरू करेगी, वहीं राज्य स्तर पर, उच्च न्यायालय का निर्णय आते ही जल्द कार्रवाई शुरू की जाएगी। खट्टर ने कहा कि आज हुए फैसलों के तहत हरियाणा सरकार प्रदर्शनकारियों पर 2010 से 2017 के बीच दर्ज मामलों का पुन: मूल्यांकन करेगी और जाटों को पूरा न्याय दिया जाएगा।
खट्टर ने कहा, इन प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के परिजनों और विकलांग हुए लोगों को स्थाई नौकरियां दी जाएंगी। प्रदर्शन में घायल हुए लोगों को भी जल्द क्षतिपूर्ति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की भूमिका की जांच की जाएगी ताकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके।
खट्टर के साथ बैठे अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति (एआईजेएएसएस) के अध्यक्ष और आंदोलन के नेता यशपाल मलिक ने कहा, हमने दिल्ली कूच के अपने कार्यक्रम और आंदोलन को रद्द कर दिया है। राज्य सरकार ने हमारी मांगें मान ली हैं। कल जाट दिल्ली नहीं आएंगे। उन्होंने कहा कि जाटों को सरकार पर पूरा भरोसा है।
हालांकि उन्होंने कहा कि हरियाणा में कुछ जगहों पर धरने जारी रहेंगे क्योंकि हमें उन्हें आज के फैसले के बारे में बताना है और इसमें पांच-छह दिन लग जाएंगे। मलिक ने कहा कि हम इसे 26 मार्च तक करेंगे। कुछ जगहों पर हमारी मांगें पूरी होने तक या कोई नया फैसला होने तक धरना सांकेतिक तरीके से होगा। इन धरनों में केवल हमारी समिति के सदस्य रहेंगे।
हरियाणा के कई हिस्सों में 29 जनवरी से जाट धरने पर बैठे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने राज्य की जनता से शांति और भाईचारा बनाये रखने में सहयोग की अपील की। पिछले साल फरवरी में हरियाणा में जाटों के इसी तरह के आरक्षण आंदोलन ने बड़े स्तर पर हिंसा का रूप ले लिया था जिसमें करीब 30 लोगों की मौत हो गयी थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे।
कल प्रस्तावित दिल्ली कूच को देखते हुए पहले दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में निषेधाज्ञा लागू कर दी गयी थी। जाट समुदाय के लोग आरक्षण के अलावा पिछले साल के अपने आंदोलन के दौरान जेल में बंद किये गये अपने लोगों की रिहाई की भी मांग कर रहे हैं। वे पिछले साल प्रदर्शन के दौरान दर्ज मामलों को वापस लेने की और आंदोलन में भाग लेते हुए मारे गये लोगों के परिजनों तथा घायलों को सरकारी नौकरी देने की भी मांग कर रहे हैं। (भाषा)