गुरु नरेन्द्र गिरि की मौत के बाद मुश्किल बढ़ी, जानिए क्यों विवादों में रहते हैं आनंद गिरी...
प्रयागराज। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस ने सोमवार को उनके शिष्य आनंद गिरि और आद्या तिवारी को हिरासत में लिया है। योग गुरु स्वामी आनंद गिरि लग्जरी लाइफ जीते हैं। उन्हें महंगी गाड़ियों में घूमने, महंगे मोबाइल रखने और कीमती कपड़े पहनने कर शौक है।
महंत नरेंद्र गिरि का प्रिय शिष्य रहे आनंद गिरी संगम में लेटे हनुमान मंदिर के छोटे महंत हुआ करते थे। आनंद गिरि को मंदिर से जुड़े कई अधिकार प्राप्त थे। लगातार विवादों में रहने और संत परंपरा का निर्वहन न करने की वजह से नरेन्द्र गिरी उनसे नाराज हो गए और उन्हें निष्काषित कर दिया गया।
2016 में आस्ट्रेलिया गए आनंद गिरी उस समय विवादों में घिर गए थे जब उन पर होटल के कमरे में दो महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और महिलाओं से मारपीट के आरोप लगे। महिलाओं की शिकायत पर उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। बाद में महंत नरेंद्र गिरि के दखल और वकीलों की मदद से रिहा कराया गया था।
बीते दिनों स्वामी नरेन्द्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरि का आपसी विवाद बेहद सुर्खियों में रहा है। नरेन्द्र गिरि ने अपने शिष्य आनंद को अखाड़ा परिषद तथा मठ बाघंबरी गद्दी के पद से विमुक्त कर दिया था, जिसके बाद गुरु और शिष्य ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए थे। इस प्रकरण में साधु-संत महंत नरेन्द्र गिरि के साथ खड़े हुए थे, खुद को घिरता और अकेले पाकर आनंद गिरि ने स्वामी नरेन्द्र गिरि से माफी मांगी थी, लेकिन उनका मठ से निष्कासन वापस नहीं हुआ था।
अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि से विवाद के बाद योग गुरु स्वामी आनंद गिरि ने मई में दो वीडियो जारी कर मंदिर के रुपयों के दुरुपयोग के आरोप लगाए थे। एक वीडियो में बार-बालाएं थिरक रही थीं और उनके साथ बड़े हनुमान मंदिर व मठ से जुड़े लोग डांस कर रहे थे। दूसरे वीडियो में मंत्रोच्चार के बीच नोटों की बारिश हो रही थी। इसमें महंत नरेंद्र गिरि दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद दे रहे थे।
आनंद गिरि ने कहा कि यह मठ-मंदिरों का षड्यंत्र है। कुछ लोग मठ-मंदिरों का पैसा साजिश के तहत अपने घरों पर पहुंचा रहे थे। जिनकी 2000 की आमदनी नहीं थी, उनके 5 करोड़ और 8 करोड़ रुपए के मकान हो गए। जिन लोगों ने गुरुजी को ब्लैकमेल करके पैसा कमाया है, वही इस हत्या के पीछे हैं। इसमें मठ के लड़के और अधिकारियों का हाथ हो सकता है।