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Last Modified: देवबंद (सहारनपुर) , शनिवार, 13 जनवरी 2018 (18:30 IST)

एक और फतवा, मुस्लिम औरतों को इसकी भी इजाजत नहीं...

एक और फतवा, मुस्लिम औरतों को इसकी भी इजाजत नहीं... - Muslim women Darul Uloom Deoband
देवबंद (सहारनपुर)। देश की प्रमुख इस्लामिक शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद ने शनिवार को एक फतवे में कहा कि औरतों को इस्लाम के प्रचार की अनुमति नहीं है। दिल्ली के हाफिज उबैद उर रहीम ने दारूल उलूम के फतवा विभाग से सवाल पूछा था कि क्या मुस्लिम औरतें धर्म प्रचार कर सकती हैं और इसके लिए घरों से बाहर निकलकर अकेले यात्रा कर सकती हैं।

दारूल उलूम के मुफ्तियों ने एक राय से जवाब दिया कि इस्लाम में औरतों को धर्म प्रचार की इजाजत नहीं दी गई है। मुफ्तियों का साफ कहना था कि इस्लाम औरतों को धर्म प्रचार की इजाजत नहीं देता। उधर, इस्लाम के जानकार एवं लेखक बदर काजमी का इस फतवे पर कहना था कि इस्लाम में पुरुष और औरतों को बराबर का दर्जा है।

दोनों को शिक्षा हासिल करने और शिक्षा देने का बराबर का अधिकार है, इसलिए यह कहना कि मुस्लिम महिलाएं घरों से नहीं निकल सकतीं और धर्म प्रचार नहीं कर सकती, उचित नहीं है।  उन्होंने कहा कि दारूल उलूम के नाम पर देश में मुस्लिम लड़कियों और औरतों को इस्लामिक शिक्षा देने के लिए अनेक संस्थाएं खुली हैं, जहां वे कुरान हदीस और इस्लाम संबंधी शिक्षा प्राप्त करती हैं।

वहां से निकलकर वे उसका प्रचार प्रसार करती हैं। ऐसे फतवे देते समय मुफ्तियों को इस बात पर भी गम्भीरता से गौर करना चाहिए। काजमी कहते हैं कि दारूल उलूम के उलेमा न जाने किस जमाने की बातें करते हैं। इस संस्था को आज के युग की वास्तविकताओं और व्यावहारिकता दोनों को समझकर अपनी बात रखनी चाहिए। देश और दुनिया में मुस्लिम औरतें शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों की तरह ऊंचाइयों को छू रही हैं और जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। (वार्ता)
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