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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : मंगलवार, 20 जुलाई 2021 (20:16 IST)

मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण या समान नागरिक संहिता पर कानून बना कर मोदी सरकार फिर रचेगी ‘अगस्त इतिहास’? जानें पूरा प्लान!

मानसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण या समान नागरिक संहिता पर कानून बना कर मोदी सरकार फिर रचेगी ‘अगस्त इतिहास’? जानें पूरा प्लान! - Modi government will create history again by enacting a law on population control and Uniform Civil Code in the monsoon session?
2019 में प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता पर दूसरी बार काबिज होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और उनकी सरकार ने बीते दो सालों में दो बड़े कामों के जरिए 5 अगस्त की तारीख को इतिहास में दर्ज कर दिया है। प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटाने का ऐतिहासिक फैसला किया था वहीं ठीक एक साल बार 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर की आधारशिला अपने हाथों से रख कर 5 अगस्त की तारीख को इतिहास में दर्ज के साथ 1980 से भाजपा के गठन के बाद देश की जनता से उसके सबसे बड़े चुनावी वादे (चुनावी घोषणा पत्र का एजेंडा) को पूरा कर दिया था।

ऐसे में इस बार फिर देश की निगाहें इस बार फिर 5 अगस्त 2021 की तारीख पर टिकी हुई है। क्या 5 अगस्त 2021 को मोदी सरकार को कोई बड़ा निर्णय लेकर ऐतिहासिक फैसलों की हैट्रिक लगाएगी? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी क्या इस बार अगस्त में फिर एक नया इतिहास में रचने जा रही है? यह सवाल सियासी गलियारों में अब तेजी से पूछा जाने लगा है। 
 
सोमवार से संसद के मानसून सत्र के पहले दिन विपक्ष के हंगामे के बाद गृहमंत्री अमित शाह का बयान कि ‘’विघटनकारी और अवरोधक शक्तियां अपने षडयंत्रों से भारत की विकास यात्रा को नहीं रोक पायेंगी। मानसून सत्र देश में विकास के नये मापदंड स्थापित करेगा’’,ने ऐसे कयासों को और मजबूती दे दी है। 
 
अपने बड़े फैसलों को लेकर देश के साथ विपक्ष को चौंकाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके खास सिपाहसालार गृहमंत्री अमित शाह क्या संसद के मानसून सत्र में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण पर कोई बड़ा निर्णय लेकर एक बार विपक्ष को भौंचक्का कर देंगे,पूरे देश की निगाहें इस बात पर टिक गई है।  
 
जनसंख्या नियंत्रण पर संसद में विधेयक-संसद के मानसून सत्र के आगाज के साथ ही जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की कवायद तेज हो गई है। भाजपा सांसद राकेश सिन्हा का जनसंख्या नियंत्रण का प्राइवेट मेंबर बिल (विधेयक) राज्यसभा में पेश हो चुका है और सदन में 6 अगस्त को राकेश सिन्हा के प्राइवेट बिल पर चर्चा हो सकती है। वहीं गोरखपुर से भाजपा सांसद रवि किशन भी लोकसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर्स बिल 23 जुलाई को पेश करेंगे। इसके साथ ही राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल ने भी जनसंख्या नियंत्रण पर प्राइवेट मेंबर बिल दिया है। 
 
समान नागरिक संहिता पर भी बिल-वहीं दूसरी ओर संसद के मानसून सत्र में राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा समान नागरिक संहिता पर प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आएंगे। ऐसे में जब पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट ने देश में समान नागरिक संहिता होने की जरूरत बताने और लाने का सही समय बताने के साथ केंद्र सरकार से इस मामले में जरूरी कदम उठाने को कहा है, तब माना जा रहा है कि सरकार के पास समान नागरिक संहिता को लागू करवाने के लिए यह एक अच्छा मौका है और इसके लागू कर भाजपा अपने घोषणा पत्र के एक और एजेंडे को पूरा कर सकती है। 
 
प्राइवेट मेंबर बिल बन सकता है कानून?- संसद में पेश होने वाले प्राइवेट मेंबर बिल पर क्या सरकार कानून बना सकती है इसको समझने के लिए ‘वेबदुनिया’ ने देश के जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से बात की। ‘वेबदुनिया’ से चर्चा में सुभाष कश्यप कहते हैं कि जहां तक नियमों और संविधान का सवाल हैं, सरकार प्राइवेट मेंबर बिल का सपोर्ट कर सकती है। 
संविधान और सदन के नियमों के अनुसार जो भी बिल सदन में बहुमत से पास हो जाए वह राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन जाता है ऐसे अगर सरकार ने प्राइवेट मेंबर बिल को अपना समर्थन दे दिया तो वह कानून बन जाता है यानि सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से अगर ऐसे बिल के समर्थन में हो जाएगा तो वह बिल पास हो जाएगा और कानून बन जाएगा। अभी तक संसद में सिर्फ 14 प्राइवेट मेंबर बिल पास हुए है जिनको सरकार का समर्थन हासिल था।  
 
प्राइवेट मेंबर बिल क्या हैं- ‘वेबदुनिया’ से बातचीत में संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि सदन में दो तरह के मेंबर होते है। एक तो मंत्री (मिनिस्टर) स्पीकर और डिप्टी स्पीकर और दूसरे जो अन्य सदस्य यह सदस्य प्राइवेट मेंबर्स कहलाते है। संसद में दो तरह के विधेयक (बिल) लाए जा सकते हैं एक वह जो सरकार लाती है उसे सरकारी बिल कहते है। साधारण तौर पर सरकार जो बिल लाती है वह पास ही हो जाते है क्योंकि सरकार बहुमत की होती है। वहीं सदन के जो सदस्य मंत्री और स्पीकर और डिप्टी स्पीकर नहीं होते है वह प्राइवेट मेंबर्स कहलाते है और वह जो विधेयक (बिल) लेकर आते है उन्हें प्राइवेट मेंबर बिल कहते है। 
 
सत्र में सरकार भी ला सकती है बिल-संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में से किसी एक सदन में विधेयक (बिल) लाने के लिए प्राइवेट मेंबर को एक महीने पहले नोटिस देना होता है और सरकार को सामान्य तौर पर एक हफ्ते पहले नोटिस देना होता है लेकिन सदन का स्पीकर सरकार की ओर से पेश होने वाले विधेयक को पेश करने के नियमों में रिलेक्शन कर सकता है। सरकार की ओर से बिल एक या दो दिन के नोटिस पर या स्पीकर की अनुमति से तुरंत भी पेश किया जा सकता है। अगर मोदी सरकार के पिछले बड़े फैसलों को देखा जाए तो जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का फैसला हो या ट्रिपल तलाक कानून का मामला सरकार अचानक से बड़े फैसलों को लेकर विपक्ष के साथ देश को चौंका चुकी है।  

ऐसे में जब संसद का मानसून सत्र 13 अगस्त तक चलना है तो देखना दिलचस्प होगा कि जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता पर लाए जाने वाले प्राइवेट मेंबर बिल पर सरकार का क्या रुख रहता है या मोदी सरकार एक बार फिर मानसून सत्र में नया कानून बना कर इस पर पूरे देश के निगाहें लगी है।