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Last Updated : बुधवार, 16 दिसंबर 2020 (20:28 IST)

किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 3500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी

Prakash Javadekar | किसान आंदोलन के बीच मोदी सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 3500 करोड़ रुपए की मंजूरी दी
नई दिल्ली। सरकार ने चीनी मिलों के लिए चालू विपणन वर्ष (2020-21) में 60 लाख टन चीनी निर्यात को 3,500 करोड़ रुपए की निर्यात सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। उम्मीद है कि इससे चीनी मिलों की बिक्री बढ़ेगी और नकद धन आने से उन्हें किसानों के गन्ने के बकाए का भुगतान करने में मदद मिलेगी।
 
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (सीसीईए) की बैठक के बाद कहा कि सीसीईए ने 60 लाख टन चीनी निर्यात के लिए 3,500 करोड़ रुपए की सब्सिडी को मंजूरी दी है। सब्सिडी की राशि सीधे किसानों को दी जाएगी। सीसीईए ने चालू विपणन वर्ष के लिए 6 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से सब्सिडी को मंजूरी दी है। 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में यह 10.50 रुपए प्रति किलोग्राम थी।
जावड़ेकर ने कहा कि चीनी उद्योग के साथ गन्ना किसान भी संकट में हैं। देश में चीनी का उत्पादन खपत से अधिक है। इस बार उत्पादन अनुमानित 310 लाख टन रहेगा जबकि घरेलू मांग 260 लाख टन की है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से 5 करोड़ किसानों और चीनी मिलों तथा अन्य संबद्ध गतिविधियों में कार्य करने वाले 5 लाख श्रमिकों को लाभ होगा। चीनी मिलों को निर्यात से 18,000 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा।
 
खाद्य मंत्रालय ने अलग से जारी बयान में कहा कि किसान अपना गन्ना चीनी मिलों को बेचते हैं लेकिन किसानों को चीनी मिल मालिकों से उनका पैसा नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि उनके पास चीनी का अधिशेष भंडार है। बयान में कहा गया है कि इस चिंता को दूर करने के लिए सरकार चीनी के अधिशेष स्टॉक को निकालने में मदद कर रही है। इससे गन्ना किसानों को उनके बकाया का भुगतान हो सकेगा। सरकार इसके लिए 3,500 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
बयान में कहा गया है कि यह राशि सीधे चीनी मिलों की ओर से किसानों के खाते में डाली जाएगी। यदि उसके बाद कुछ राशि बचती है तो उसे चीनी मिलों के खातों में डाला जाएगा। सब्सिडी का उद्देश्य विपणन की लागत मसलन रखरखाव, अद्यतन, अन्य प्रसंस्करण खर्च तथा अंतरराष्ट्रीय और आंतरिक परिवहन की लागत और निर्यात पर ढुलाई शुल्क की भरपाई करना है।
सरकार ने 2019-20 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान एकमुश्त 10,448 रुपए प्रति टन की निर्यात सब्सिडी दी थी। इससे सरकारी खजाने पर 6,268 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा था। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीनी मिलों ने 2019-20 के विपणन सत्र में 60 लाख टन निर्धारित कोटा की तुलना में 57 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। पिछले 2 साल के दौरान अधिशेष स्टॉक को निकालने तथा नकदी संकट से जूझ रही मिलों को गन्ना किसानों के भुगतान में मदद के लिए सरकार निर्यात सब्सिडी दे रही है।
 
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने पिछले महीने कहा था कि सरकार चीनी निर्यात सब्सिडी को विस्तार देने पर विचार कर रही है, क्योंकि भारत के पास अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी चीनी बेचने के लिए अच्छा अवसर है। सचिव ने कहा था कि इस साल थाईलैंड का उत्पादन कम रहने का अनुमान है, वहीं ब्राजील में पैराई अप्रैल, 2021 में शुरू होगी। ऐसे में अप्रैल तक भारत के पास निर्यात का अच्छा अवसर है। (भाषा)
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