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Last Modified: शुक्रवार, 3 जून 2016 (12:45 IST)

मथुरा हिंसा : एक रुपए में 40 लीटर पेट्रोल चाहते थे, अजीब थीं मांगें..

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मथुरा। बाबा जय गुरुदेव से अलग हुए समूह के कार्यकताओं ने धरना देने का बहाना बनाकर 2 वर्ष पहले जवाहर बाग की सैकड़ों एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया था। उनकी मांगों में भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द करना, वर्तमान मुद्रा की जगह आजाद हिन्द फौज मुद्रा शुरू करना, 1 रुपए में 60 लीटर डीजल और 1 रुपए में 40 लीटर पेट्रोल की बिक्री करना शामिल है।
 
यहां गुरुवार शाम को पुलिस और जवाहर बाग पर कब्जा जमाए बैठे लोगों के बीच हुई हिंसक झड़प के चलते रात 2.30 बजे मथुरा पहुंचे गृह सचिव मणि प्रसाद और अपर महानिदेशक पुलिस (कानून एवं व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने कहा कि घटना को अंजाम देने वाले 200 लोगों की पहचान की गई है जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर उनके खिलाफ उचित कानूनी धारा के तहत कार्रवाई की जाएगी।
 
उन्होंने बताया कि जवाहर बाग में जो लोग अनधिकृत रूप से कब्जा किए हुए थे, उनके खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जगह खाली कराने का आदेश दिया था जिसके अनुपालन के लिए पुलिस चाहती थी कि यह कार्रवाई शांतिपूर्वक हो जाए। इसीलिए पुलिस पार्टी कार्रवाई के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए रेकी करने के इरादे से गई थी किंतु अवैध रूप से वहां डटे हुए लोगों ने गैरकानूनी हथियारों के साथ उन पर हमला कर दिया।
 
अधिकारियों ने बताया कि इससे अपर पुलिस अधीक्षक (नगर) मुकुल द्विवेदी और फरह पुलिस थाने के प्रभारी संतोष कुमार यादव पहले घायल हुए और फिर एक-एक कर उनकी मृत्यु हो गई। मजिस्ट्रेट और सीओ सिटी चक्रपाणी त्रिपाठी सहित अनेक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।
 
उन्होंने बताया कि बाग में तलाशी के दौरान 12 अतिक्रमणकारियों के भी शव बरामद हुए। इनके अलावा पुलिस के 55 तथा दूसरे पक्ष के 2 दर्जन लोग जख्मी हुए हैं जिनमें से कुछ की हालत नाजुक है।
 
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जावेद अहमद और प्रधान सचिव (गृह) देबाशीष पांडा यहां के लिए रवाना हो गए हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि उन्होंने मथुरा में स्थिति की समीक्षा की है।
 
राजनाथ ने कहा कि मैंने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री से बात की है और मथुरा में स्थिति की समीक्षा की है। मैंने उन्हें केंद्र की ओर से हरसंभव मदद मुहैया कराए जाने का आश्वासन दिया है।
 
उन्होंने कहा कि मैं मथुरा में हुई इस घटना में लोगों के मारे जाने को लेकर दु:खी हूं। ईश्वर शोक-संतप्त परिवारों को शक्ति प्रदान करे। पुलिस ने बताया कि मध्यप्रदेश की पंजीकरण संख्या वाले कुछ वाहन बरामद किए गए हैं।
 
एक अधिकारी ने कहा कि अतिक्रमणकारियों के खिलाफ लोगों के मन में इतना अधिक गुस्सा था कि वे जब वहां से भाग रहे थे तो लोगों ने उन्हें बुरी तरह पीटा। जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया था कि अतिक्रमणकारियों ने न सिर्फ हथगोलों का इस्तेमाल किया, बल्कि पेड़ों के ऊपर मोर्चा संभालकर स्वचालित हथियारों से भी गोलीबारी की।
 
उन्होंने बताया कि हथगोलों एवं एलपीजी सिलेंडरों में विस्फोट होने और कई झोपड़ियों में आग लगने के कारण पूरे इलाके में धुआं भर गया। 
 
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल में प्रशासन के अधिकारियों को यह जमीन खाली कराने का आदेश दिया था। मथुरा जिला प्रशासन ने अप्रैल में प्रदर्शनकारियों को नोटिस जारी करते हुए उनसे जमीन खाली करने को कहा था। यह भूमि उत्तरप्रदेश सरकार के बागवानी विभाग के तहत आती है और इसे खाली कराने की इसके अधिकारियों की तमाम कोशिशें नाकाम रही थीं।
 
इस बीच मथुरा से सांसद हेमामालिनी ने इस घटना पर हैरानी एवं दुख प्रकट किया और सवाल किया कि उत्तरप्रदेश पुलिस ने पिछले 2 वर्षों में इस मामले में कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?भाजपा सांसद ने कहा कि यह बहुत दुखदायी है और मैं बहुत-बहुत सकते में हूं कि पुलिसकर्मियों एवं लोगों ने अपनी जान गंवाई है। मैंने सुना है कि वे 2 साल से जमीन पर कब्जा जमाए हुए थे।
 
हेमामालिनी ने कहा कि इसके लिए उत्तरप्रदेश सरकार को जवाबदेह बनाना होगा। वह जवाबदेह है। मैं मुख्यमंत्री से इस बारे में पूछूंगी और उन्हें 2 वर्ष पहले इस मामले में कार्रवाई करनी चाहिए थी। इस तरह की चीज अब क्यों हुई? मैं केंद्र को भी पत्र लिखूंगी।
 
मुख्यमंत्री ने मारे गए पुलिसकर्मियों के परिवारों को 20-20 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दिए जाने की घोषणा की है। (भाषा)
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