भोपाल। लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में जारी लगातार हिंसा के बाद अब ममता सरकार के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं। इस बात की चर्चा जोरों से हैं कि क्या केंद्र ममता की सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन बंगाल में लगाने की तैयारी में है?
बंगाल में राजनीतिक हिंसा में अब तक कई लोगों के मारे जाने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक एडवाइजरी जारी करके बंगाल की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि एक हफ्ते से जारी हिंसा को देखते हुए लगता है कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह विफल हो गई है।
गृहमंत्री अमित शाह ने बंगाल में हिंसा की घटनाओं पर राज्य सरकार से एक रिपोर्ट भी मांगी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बंगाल में शनिवार को हिंसक झड़प में अब तक कुल 8 लोगों की मौत हुई है जिसमें 5 बीजेपी और 3 टीएमसी के कार्यकर्ता हैं।
बंगाल में हुई ताजा हिंसा के बाद भाजपा अक्रामक हो गई है। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के विरोध में आज प्रदेश भर में काला दिवस मना रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता सड़क पर उतरे हैं।
इस बीच भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सकती है। कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अगर बंगाल में ऐसे हालात रहे तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, वहीं ममता सरकार ने भाजपा पर गृह मंत्रालय का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा बंगाल में हिंसा कराकर हालात और माहौल खराब कर रही है।
दिल्ली में राज्यपाल : इस बीच 8 जून को उत्तर 24 परगना में हुई हिंसा के बाद अब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी प्रधानमंत्री और अमित शाह से शिष्टाचार मुलाकात हुई।
राज्यपाल ने कहा कि गृहमंत्री से मुलाकात में उन्होंने बंगाल की ताजा स्थिति के बारे में बताया और दोनों की बीच सामान्य बातचीत हुई, वहीं राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन पर किसी भी तरह की बातचीत से इंकार कर दिया। उधर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर गृह मंत्रालय में एक बड़ी बैठक कर रहे है जिसमें बंगाल की ताजा स्थिति पर चर्चा हो सकती है।
उल्टा पड़ सकता है भाजपा का दांव : वहीं बंगाल की ताजा सियासी हालात पर वरिष्ठ पत्रकार आनंद पांडे कहते हैं कि भाजपा भले ही राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग केंद्र सरकार से कर रही हो और अगर केंद्र सरकार ममता सरकार को बर्खास्तगी जैसा कोई फैसला लेती है तो उनके नजरिए से भाजपा को यह दांव उसके लिए उल्टा पड़ सकता है।
वेबदुनिया से बातचीत में आनंद पांडे कहते हैं कि बंगाली अस्मिता पर अपनी चुनावी लड़ाई लड़ने वाली ममता बनर्जी आज भी बंगाल में लोकप्रिय है। इसमें कोई शक नहीं है। ममता केंद्र सरकार के ऐसे किसी फैसले को तुरंत बंगाल की अस्मिता से जोड़ देगी और इसका फायदा आने वाले समय में चुनाव में टीएमसी को मिला सकता है।
इसका उदाहरण देते हुए कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के समय भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के रोड के दौरान ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति तोड़े जाने को ममता ने बंगाल का अपमान बताते हुए पूरा सियासी परिदृश्य ही बदल दिया और उसके बाद हुए चुनाव में उस इलाके में भाजपा का खाता भी नहीं खुला।
आनंद पांडे कहते हैं कि जय श्री राम के नारे नहीं लगाने पर अभी जो लोग ममता बनर्जी के खिलाफ जा रहे हैं। राष्ट्रपति शासन लगने पर ममता के साथ आ जाएंगे। अगर केंद्र, राज्य में राष्ट्रपति लगाता है कि ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल में इस समय अपनी सियासी कैडर को बचाए रखने की लड़ाई लड़ रही है उनके लिए ये फैसला संजीवनी साबित हो जाएगा।