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Last Modified: बुधवार, 24 मई 2017 (08:21 IST)

जीप से बांधे कश्मीरी ने कहा- मैं पत्थरबाज नहीं, मेजर ने कहा- ऐसा इसलिए करना पड़ा

जीप से बांधे कश्मीरी ने कहा- मैं पत्थरबाज नहीं, मेजर ने कहा- ऐसा इसलिए करना पड़ा - major gogoi says the youth tied to jeep was provoking people for stone pelting
श्रीनगर। सेना की जीप से बांधे जाने वाले व्यक्ति फारूक अहमद दार ने मंगलवार को कहा कि वह पथराव करने वाला नहीं बल्कि एक 'छोटा आदमी' है और वह केवल वोट देने के लिए घर से बाहर गया था। दार शॉल पर कढ़ाई करने वाला एक कारीगर है जिसे पिछले महीने चुनाव के दौरान सेना ने बांधकर शहर भर में घुमाया था।
 
गोगोई का बयान :
दूसरी ओर दार को जीप से बांधने वाले मेजर लीतुल गोगोई ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में उस पर सुरक्षा बलों पर पथराव करने वाले लोगों के समूह में शामिल होने का आरोप लगाया। गोगोई ने कहा कि मैंने ऐसा इसलिए किया, ताकी स्थानीय लोगों की जान बताई जा सकें। मतदान के घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए उन्होंने कहा कि मुझे इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस के एक कर्मी का कॉल आया कि बांदीपोरा में एक मतदान के बाहर 400 से 500 लोगों की भीड़ जमा है और पथराव कर मतदानकर्मियों को जख्मी कर रहे हैं। मैं वहां 30 मिनट के अंद पहुंचा, जिसके बाद मेरे जवानों ने हालात को नियंत्रण में लिया। लेकिन सुबह 10.30 बजे के आसपास फिर मुझे डिस्ट्रेस कॉल आया, जिसमें कहा गया कि उतलिंगाम में करीब 1200 लोग पथराव कर रहे हैं और पेट्रोल बम भी फेंक रहे हैं। तब वक्त जाया किए बिना हम उतलिंगाम के लिए निकल पड़े, जो वहां से 1.5 किलोमीटर दूर है। उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर पहुंचने के बाद वह अपने वाहन से निकलने में सक्षम नहीं थे। गोगोई ने कहा कि उन्होंने भीड़ से पथराव न करने की बार बार अपील की लेकिन वे नहीं मानें। उन्होंने कहा कि तब उसके बाद मैंने उस व्यक्ति को देखा जो मेरे वाहन से मात्र 30 मीटर दूर था। मैंने अपने क्यूआरटी के जवानों को उसे पकड़ने के लिए कहा। जब वे उसकी तरफ बढ़े तो वह भीड़ की ओर भागने लगा। घटना स्थल से भागने के लिए उसने मोटरसाइकल का सहारा लिया। जवान उसे पकड़ने में कामयाब रहे और उसे मतदान केंद्र के अंदर ले गए। लेकिन मस्जिद से घोषणा के बाद और अधिक संख्या में लोग मतदान केंद्र के बाहर जमा हो गए। जब हमने खुद को वहां से निकल पाने में अक्षम पाया, तो मैंने मेगा माइक से बाहर दार को जीप से बांधने की घोषणा की, जिसके बाद पथराव बंद हो गया और हमें वहां से बाहर निकलने का समय मिल गया और अपने वाहन में जा बैठे। 
 
दार का बयान : 
दार ने कहा, 'अगर ऐसा होता तो वे मुझे पुलिस को सौंप देते।' उसने कहा कि संबंधित मेजर को प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किए जाने के बारे में जानकर उसे ताज्जुब हुआ। दार ने सवाल किया, 'क्या किसी व्यक्ति को कई किलोमीटर तक खींचना बहादुरी का काम है?' 
 
उसने याद किया कि वह नौ अप्रैल को श्रीनगर लोकसभा उपचुनाव के लिए मतदान करने के बाद वह अपने एक रिश्तेदार की शोकसभा में हिस्सा लेने जा रहा था और रयार गांव के पास मेजर ने उसे उठा लिया और उसका इस्तेमाल कश्मीर में पथराव करने वालों के खिलाफ 'मानव कवच' के रूप में किया। दार ने बताया, 'रयार में सेना के 13 राष्ट्रीय राइफल के शिविर के सामने छोड़े जाने से पहले मुझे कई गांवों में घुमाया गया था।' मेजर ने हांलाकि मीडिया के समक्ष दावा किया कि दार को सैनिकों ने पथराव करते समय पकड़ा था।
 
इस कथित घटना के वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों ने जमकर रोष प्रकट किया था। इसके बाद सेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी का आदेश दिया। जम्मू और कश्मीर पुलिस ने भी मामला दर्ज किया है। दार ने कहा कि नौ अप्रैल की घटना से जुड़ी जानकारी देने के लिए उसे अब तक पुलिस या सेना की ओर से नहीं बुलाया गया है, जिसने घटना की कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी का आदेश दिया था।
 
जांच के बारे में व्यक्ति ने कहा, 'यह महज ढकोसला है।' दार ने कहा, 'वे कभी गंभीर थे ही नहीं। मैं एक छोटा आदमी हूं और किसी को क्यों फर्क पड़ेगा।' उन्होंने बडगाम जिले के चिल स्थित अपने आवास पर बताया, 'घटना को एक माह से अधिक हो चुका है और अब भी स्थानीय पुलिस ने मुझसे उसके बारे में नहीं पूछा है। यहां तक कि मेरा बयान भी दर्ज नहीं किया गया है।' 
 
वोट देने के लिए घर से बाहर निकलने पर खेद जाहिर करते हुए दार ने कहा, 'मैं इस बात से हैरान हूं कि क्या किसी व्यक्ति को जीप से बांधना उनकी जवाबी कार्रवाई का हिस्सा है।' उसने कहा, 'मैंने मतदान किया और जाहिरा तौर पर इसके लिए दंडित किया गया।' दार के मुताबिक घटना के बाद उसकी जिंदगी बदल गयी है।

जारी रहेगी जांच : पुलिसमेजर को सेना द्वारा सम्मानित किए जाने के बाबजूद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि इस मामले में जांच जारी रहेगी। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि किन परिस्थितियों में वह घटना घटी।कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) मुनीर खान ने सोपोर में पत्रकारों को बताया कि एफआईआर खारिज नहीं की गई है। उन्होंने कहा- "जांच होगी और उसके परिणाम साझा किए जाएंगे। एक बार एफआईआर दर्ज होने पर जांच पूरी की जाती है। एफआईआर का मतलब जांच शुरू होना है।" मालूम हो, इस घटना का वीडियो सार्वजनिक होते ही लोगों में आक्रोश पैदा होने पर पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की और सेना ने कोर्ट ऑफ इक्वान्यरी का आदेश दिया।
 
सम्मान पर सियासत : इस बीच, मेजर गोगोई के सम्मान पर कई राजनीतिक दलों ने ऐतराज जताया है। जदयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने कहा कि जांच पूरी होने से पहले सरकार को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए था। इससे कश्मीर की स्थिति और बिगड़ेगी। यादव ने कहा- "कश्मीर में स्थिति विकट है। कोई भी कदम जांच के नतीजों के आधार पर उठाना चाहिए।" वहीं, भाकपा के वरिष्ठ नेता डी. राजा ने हालांकि गोगोई के सम्मान पर तो कुछ नहीं बोला, लेकिन कश्मीर के बहाने उन्होंने केंद्र पर निशाना साधा। राजा ने कहा- "सेना प्रमुख ने जो किया वह सेना का मसला है। इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है। कश्मीर में स्थिति हर रोज बिगड़ रही है। बच्चे भी प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं। केंद्र को राज्य की जनता का विश्वास जीतने के लिए कदम उठाने चाहिए। कश्मीर की समस्या का समाधान राजनीतिक स्तर पर करने की जरूरत है।" (एजेंसी)
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