लोकपाल मामले में सरकार के जवाब से नाखुश उच्चतम न्यायालय
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने लोकपाल की सर्च कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति के संबंध में केन्द्र की ओर से दिए गए जवाब पर नाखुशी जताई है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आर. भानुमति और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने केन्द्र से कहा है कि वह सर्च कमेटी पर उचित विवरण देने के लिए ताजा हलफनामा दायर करे।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने एक हलफनामा दायर करते हुए कहा कि चयन समिति की बैठक हुई थी लेकिन सर्च कमेटी के लिए नामों पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि ऐसी नियुक्तियों के लिए कानूनी प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए सर्च कमेटी के सदस्यों की नियुक्ति के लिए जल्दी ही फिर से बैठक होगी।
याचिका दायर करने वाले एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि केन्द्र ने अगली बैठक की तारीख तय नहीं की है और कानून पारित होने के पांच साल बाद भी वे लोकपाल की नियुक्ति में टालमटोल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि या तो संभावित प्राधिकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए या फिर न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त अधिकार का प्रयोग कर लोकपाल की नियुक्ति कर सकता है। अनुच्छेद 142 के तहत उच्चतम न्यायालय को अपने आदेशों को लागू करवाने का अधिकार प्राप्त है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह केन्द्र के जवाब से असंतुष्ट है और सरकार चार सप्ताह के भीतर जरूरी सूचनाओं के साथ नया हलफनामा दायर करे।
इससे पहले केन्द्र सरकार ने न्यायालय को सूचित किया था कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली लोकपाल चयन समिति की बैठक 19 जुलाई को होनी है, जिसमें सर्च कमेटी का गठन किया जाएगा। शीर्ष अदालत इस मामले में न्यायालय के फैसले पर अमल नहीं होने के कारण सरकार के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही है। (भाषा)