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Last Updated : बुधवार, 24 जनवरी 2018 (22:05 IST)

आडवाणी बोले, शास्‍त्रीजी को नहीं था आरएसएस से वैमनस्‍य...

आडवाणी बोले, शास्‍त्रीजी को नहीं था आरएसएस से वैमनस्‍य... - Lal Krishna Advani, Lal Bahadur Shastri, RSS
नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने बुधवार को कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के साथ वैचारिक रूप से कोई वैमनस्य नहीं रखते थे और प्रधानमंत्री रहते हुए वे गुरु गोलवलकर को अक्सर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया करते थे। शास्त्री को ‘समर्पित कांग्रेसी’ करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि अपने निजी गुणों की वजह से उन्होंने देश का विश्वास जीता।
 
 
उन्होंने आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गनाइजर’ के 70 साल पूरा होने के अवसर पर आए संस्करण में छपे एक संपादकीय में यह बात की है। इस लेख में आडवाणी ने कहा, नेहरू से उलट, शास्त्री ने जनसंघ और आरएसएस को लेकर किसी तरह का वैमनस्य नहीं रखा। वह गुरुजी को राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए बुलाया करते थे। आडवाणी का यह लेख उनकी जीवनी ‘माई कंट्री, माई लाइफ’ से लिया गया है।
 
 
‘आर्गनाइजर’ से 1960 में बतौर सहायक संपादक जुड़ने वाले आडवाणी ने कहा कि वे इस साप्ताहिक के प्रतिनिधि के तौर पर शास्त्री से कई बार मिले। उन्होंने कहा, हर मुलाकात में मुझ पर इस छोटे कद, लेकिन बड़े हृदय वाले प्रधानमंत्री की सकारात्मक छाप पड़ी। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, धोती-कुर्ता एक नेता का पहनावा है। यह पत्रकारों को नहीं भाता। मेरे साथियों ने मुझसे यह बात कही थी। मैंने अपने साथियों की ओर से दी गई सलाह में कुछ उचित पाया और फिर से पतलून पहनने लगा।
 
 
आडवाणी ने लिखा कि 1977 में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहते हुए वे ख्वाजा अहमद अब्बास और पृथ्वीराज कपूर से मिले और वे दोनों यह जानकर हैरान रह गए कि ‘हमारे यहां एक मंत्री है। पहले फिल्म आलोचक हुआ करता था।’ शास्त्री 1964 से 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी पिछले साल शास्त्री की तारीफ की थी। (भाषा)