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Last Modified: बुधवार, 17 जनवरी 2018 (15:32 IST)

आखिर क्यों है तोगड़िया को एनकाउंटर का डर ?

आखिर क्यों है तोगड़िया को एनकाउंटर का डर ? - Togadia afraid of encounter
नई दिल्ली। विश्व हिंदू परिषद के नेता डॉ. प्रवीण तोगडि़या के खिलाफ एकाएक मामले खुलने, उनके अचानक लापता हो जाने, फिर कुछ घंटों बाद बेहोशी की हालत में मिलने, होश में आने के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर यह आरोप लगाना कि गुजरात और राजस्थान की पुलिस उनका एककाउंटर करना चाहती है, एक बड़ा सवाल खड़ा करता है ? लेकिन मावुकता से भरी फिल्मी कहानी के सामने आने के बाद सवाल यह भी उठता है कि आखिर मामला क्यों और कैसे इस हद तक बिगड़ा। 
 
विशेष रूप से तब जबकि एक समय तोगडिया को प्रधानमंत्री मोदी का प्रिय पात्र माना जाता था। पर सूत्रों का कहना है कि सतह पर सभी कुछ ठीक दिखने के बावजूद अंदर ही अंदर बहुत कुछ पक रहा है। इसकी खिचड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस के तौर पर सामने आई। कहा जा रहा है कि विहिप में तोगड़िया का अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यकाल 31 दिसंबर 2017 को खत्म हो रहा था। और आरएसएस और भाजपा नए लोगों को विहिप की कमान देना चाहती थी, लेकिन तोगड़िया पद से नहीं हटना चाहते हैं।
 
तोगड़िया के अलावा विहिप के अध्यक्ष राघव रेड्डी का भी कार्यकाल समाप्त हो रहा था तथा संघ, रेड्डी की जगह वी. कोकजे को अध्यक्ष बनाना चाहती थी लेकिन तोगड़िया ऐसा होने नहीं देना चाहते हैं। उन्होंने रेड्डी को पद पर बनाए रखने पर जोर दिया ताकि उन्हें भी पद से हटने के लिए नहीं कहा जाए। इस तरह दोनों पक्षों में मतभेद भी बढ़ गए।
 
पिछले समय में भुवनेश्वर में हुई विहिप की कार्यकारी बोर्ड की बैठक में दोनों संगठन के नेताओं के बीच तनातनी बढ़ी और बात दोनों को हटाए जाने तक पहुंच गई। बैठक के कुछ दिनों बाद तोगड़िया ने न केवल एक बड़ी सभा कर शक्ति प्रदर्शन किया वरन उन्होंने राम मंदिर और गोरक्षा को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना भी कर डाली। 
 
इतना ही नहीं, उन्होंने गोसेवा के लिए कांग्रेस की तारीफ भी कर दी। इस मामले में विहिप के एक नेता का कहना है कि भाजपा और आरएसएस के बड़े नेताओं को तोगड़िया का शक्ति प्रदर्शन सहन नहीं हुआ। इसी के चलते उनके खिलाफ 15 दिनों में गुजरात में एक और दूसरा राजस्थान में वर्षों पुराने मामले खोले गए।
 
जानकार सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी और प्रवीण तोगड़िया के संबंधों में पिछले 15 वर्षों से कड़वाहट चल रही है। कभी एक स्कूटर पर साथ घूमने वाले ये दोनों नेता 2002 से एक दूसरे के खिलाफ हो गए हैं। यह कड़वाहट तब और बढ़ गई जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। तब मोदी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि तोगड़िया और विहिप राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।  
 
यहीं से दोनों के बीच दरार चौड़ी होती गई और मोदी द्वारा दरकिनार किए जाने से तोगड़िया नाराज हो गए। यह विवाद तब और बढ़ गया जब गुजरात सरकार ने विकास कार्यों के लिए गांधीनगर में मंदिरों को ढहा दिया था। पिछले दिन तोगड़िया अपनी प्रेस कांफ्रेंस के बीच में ही रोने लगे थे और उन्होंने कहा कहा, 'हम मौत से नहीं डरने वाले, एनकाउंटर से नहीं डरने वाले।' लेकिन तोगड़िया जैसे आक्रामक नेता का यह कहना बड़े गंभीर सवाल खड़े करता है। 
 
तोगडि़या ने आईबी पर साजिश रचने का आरोप लगाया है। तोगड़िया कभी भाजपा नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते थे और भाजपा के बड़े नेताओं के साथ मंच पर नजर आते थे, ऐसे में वे अपने खिलाफ साजिश करने वाले का नाम क्यों नहीं बता रहे हैं ? तोगड़िया Z+ सिक्योरिटी के बावजूद 12 घंटे गायब कैसे हो गए ? आखिर कैसे अस्पताल में पहुंचे ?
 
सोमवार को राजस्थान पुलिस तोगड़िया को गिरफ्तार करने आई थी क्योंकि उनके खिलाफ राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। 15 वर्ष पुराने मामले में जिले की गंगानगर कोर्ट ने तोगड़िया के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, भाजपा इस बात से बेहद नाराज है कि तोगड़िया और विहिप कार्यकर्ताओं ने गुजरात के विधानसभा चुनाव में पार्टी के खिलाफ काम किया और पार्टी की सीटें 99 पर सिमट गई। 
 
भाजपा, संघ के नेताओं की तोगडि़या और विहिप के खिलाफ आरोपों की लम्बी सूची है। कहा जाता है कि विधानसभा चुनाव में विहिप कार्यकर्ताओं ने भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी करने की काफी कोशिशें कीं। उन्होंने पाटीदार आंदोलन की आग में घी डालने का काम किया और लोगों में भाजपा के खिलाफ गुस्से को भड़काने का काम किया। 
 
तोगड़िया को संघ की तरफ से साफ निर्देश थे कि वे राजनीतिक मुद्दों में दखल नहीं देंगे लेकिन चुनाव से पहले उन्होंने गुजरात में कई किसान और युवा रैलियों को संबोधित किया और राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की। यह सभी को पता है कि अब भाजपा का मौजूदा नेतृत्व पार्टी और संघ के अंदर से उठने वाली आलोचनाओं को कतई बर्दाश्त नहीं करता। 
 
हालांकि संघ के पदाधिकारी संगठन में किसी भी तरह की खींचतान की बात नहीं मानते हों लेकिन संघ परिवार के अंदर चल रही खींचतान से वे सभी लोग वाकिफ हैं। जो उस पर करीब से नजर रखते हैं, लेकिन किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि पार्टी के सर्वेसर्वा तोगडि़या को ठिकाने लगाने और डरा-धमका कर चुप कराने का यह तरीका भी इस्तेमाल करेंगे। 
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