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Last Modified: सोमवार, 4 अक्टूबर 2021 (23:50 IST)

लखीमपुर खीरी में शांति नहीं सन्नाटा पसरा है, चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं सुरक्षाकर्मी

लखीमपुर खीरी में शांति नहीं सन्नाटा पसरा है, चप्पे-चप्पे पर तैनात हैं सुरक्षाकर्मी - Lakhimpur Kheri Case : There is no peace, there is silence
लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश)। लखीमपुर खीरी के तिकुनिया क्षेत्र में रविवार को हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत के एक दिन बाद सोमवार को वहां शांति है, लेकिन माहौल में सहजता नहीं है। राज्‍य सरकार द्वारा किसानों की मांग मान लेने के बाद आंदोलनकारी किसानों के शवों का पोस्टमार्टम कराने पर सहमत हो गए हैं। 
 
प्रांतीय राजधानी लखनऊ से करीब 150 किलोमीटर दूर जिले के अधिकांश चौराहों पर पुलिस बल की भारी मौजूदगी देखी गई। तिकोनिया की घटना को लेकर देशभर में फैले आक्रोश के मद्देनजर सुरक्षाकर्मी, एसएसबी जवान और राज्य पुलिस बड़ी संख्या में मौके पर मौजूद हैं। बड़ी संख्या में उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा राज्यों के पंजीकरण संख्या वाले वाहन उस स्थान के पास देखे गए जहां एसयूवी से कुचलकर किसानों की मौत हुई और दो एसयूवी वाहन पलटकर क्षतिग्रस्त हो गए।
 
इंटरनेट सेवाएं निलंबित : जिला प्रशासन द्वारा सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू करने और इंटरनेट सेवाएं निलंबित करने के साथ, तिकोनिया में, जिला मुख्यालय से लगभग 60 किमी और राजधानी लखनऊ से लगभग 225 किमी दूर, अधिकांश दुकानें बंद रहीं। एक एसयूवी जहां सड़क के दाईं ओर पलटी हुई दिखाई दे रही थी, वहीं दूसरी मुख्य सड़क से दूर सड़क के बाईं ओर गिरी हुई थी। 
 
उधमसिंह नगर उत्तराखंड के धर्मबीर सिंह और जरनैल सिंह काले नाम के एक व्यक्ति ने रविवार की घटना के बारे में बात करते हुए कहा कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे थे। हमें न्याय मिलना चाहिए। अगर दोषियों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो हम आंदोलन तेज करेंगे और देशव्यापी विरोध भी करेंगे।
 
उत्तराखंड से आए 2000 वाहन : उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड से 2000 वाहन आए हैं। स्थानीय नागरिक पूरी तरह से आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में हैं। पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के दो किसानों ने कहा कि वे हमारे लिए लंगर का आयोजन कर रहे हैं। सोमवार तड़के घटनास्थल पर पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ बैठकर अपनी मांगें मीडियाकर्मियों के सामने रखीं।
 
दुर्घटना में मरे चारों किसानों के शवों का पोस्टमार्टम जिला मुख्यालय स्थित पोस्टमार्टम हाउस में कराया गया और शव उनके परिजन को सौंप दिए गए। मारे गए चार किसानों में से 2 स्थानीय थे और 2 पड़ोसी बहराइच जिले के थे। राज्य सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित करने और मृतकों के परिवारों के लिए 45 लाख रुपए मुआवजे की घोषणा के बाद आंदोलनकारी किसान पोस्टमार्टम के लिए सहमत हुए।
 
जानकारी के मुताबिक केंद्रीय अर्धसैनिक बल, सशस्त्र सीमा बल (लगभग 500 कर्मियों की संख्या) की लगभग 5 कंपनियां और पड़ोसी जिलों हरदोई, उन्नाव और लखीमपुर से लाई गईं राज्य पुलिस की दो कंपनियां तिकोनिया में किसी भी अप्रिय स्थिति को रोकने के लिए सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही हैं।
 
स्थानीय ग्रामीण मंसूर अली ने कहा कि साथी ग्रामीणों ने देखा कि रविवार को अचानक तेज रफ्तार एसयूवी आई और आंदोलन कर रहे लोगों को कुचलते हुए आगे जाकर दो एसयूवी सड़क किनारे पलट गईं। न केवल तिकोनिया में, बल्कि पूरे लखीमपुर खीरी जिले में रविवार के आयोजन और चारों ओर निषेधाज्ञा के मद्देनजर सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। जिले के अधिकांश चौराहों पर भारी पुलिस उपस्थिति देखी गई।
 
धारा 144 लागू : लखीमपुर शहर से तिकोनिया की ओर जाने वाली सड़क के किनारे स्थित अधिकांश दुकानें बंद रहीं। हालांकि, दवाओं और अन्य जरूरी सामानों के दुकान खुले रहे। जिले में सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू है और रविवार की नृशंस घटना के मद्देनजर कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उपाय के तहत इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं।
 
मृतक किसानों की पहचान बहराइच जिले के दलजीत सिंह (42) और गुरविंदर सिंह (22) तथा खीरी में पलिया थाना क्षेत्र के चौखड़ा फार्म के लवप्रीत सिंह (30) और धौरहरा थाना क्षेत्र के नंदपुरवा गांव के नछत्तर सिंह (65) के रूप में हुई है।
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी से दो बार के सांसद और केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा 'टेनी' के विरोध में रविवार को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया और इसके बाद भड़की हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हो गई।
 
किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री मिश्रा का बेटा जिस एसयूवी में सवार था, उसी ने किसानों को कुचल दिया जिसमें 4 किसानों की मौत हो गई। हालांकि मिश्रा ने आरोप को खारिज किया है। बाद में भीड़ के हमले में चार अन्य लोग मारे गए थे। 
 
बहराइच में गुस्सा : लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में 4 किसानों समेत 8 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से दो किसान बहराइच के थे। घटना को लेकर गांव और इलाके के लोगों में दुख और नाराजगी है। इसके विरोध में सपा कार्यकर्ताओं ने कई स्थानों पर मुख्यमंत्री के पुतले फूंके और मौन सत्याग्रह किया। तमाम संगठनों ने जिलाधिकारी के माध्यम से ज्ञापन देकर घटना का विरोध जताया है। इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का सोमवार को बहराइच व श्रावस्ती का प्रस्तावित दौरा रद्द कर दिया गया था।
 
मृतकों में 22 वर्षीय अविवाहित गुरविंदर सिंह बहराइच जिले के मटेरा थाना क्षेत्र के मोहरनिया के निवासी थे। गुरविंदर गुरुद्वारे के ग्रंथी थे, इसलिए लोग इन्हें ज्ञानीजी भी कहते थे। गुरविंदर अक्सर लखीमपुर के तिकुनिया स्थित गुरुद्वारे में पाठ करने जाते थे। परिजनों ने बताया कि वह साधु प्रकृति का था और किसी तरह के झगड़े व विवाद से दूर रहता था। दूसरे किसान दलजीत सिंह (42) नानपारा कोतवाली क्षेत्र के बंजारन टांडा गांव के निवासी थे।
 
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