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Last Updated : शुक्रवार, 10 मई 2024 (08:04 IST)

श्रद्धालुओं के लिए खुले केदारनाथ के कपाट, चारधाम यात्रा शुरू

श्रद्धालुओं के लिए खुले केदारनाथ के कपाट, चारधाम यात्रा शुरू - kedarnath gates open for pilgrims, chardham yatra begins
Chardham Yatra 2024 : उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल क्षेत्र में स्थित केदारनाथ के कपाट शुक्रवार को अक्षय तृतीया के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस अवसर पर बाबा केदारनाथ के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर के कपाटोद्घाटन के लिए मंदिर को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है। इसके साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का आरंभ हो गई। ALSO READ: Kedarnath Dham Yatra 2024: कैसे करें केदारनाथ धाम यात्रा का रजिस्ट्रेशन
 
केदारनाथ के कपाट  सुबह सात बजे खुल गए, यमुनोत्री के कपाट सुबह साढ़े 10 बजे जबकि गंगोत्री के कपाट दोपहर बाद 12 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे। बद्रीनाथ के कपाट 12 मई को सुबह 6 बजे खुलेंगे।
 
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, जय बाबा केदार! आप सभी भक्तजनों का चारधाम यात्रा 2024 में हार्दिक स्वागत और अभिनंदन। आप सभी से अनुरोध है कि यात्रा के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें, सिंगल यूज़ प्लास्टिक का प्रयोग करने से बचें। हमारी सरकार द्वारा चारधाम आने वाले बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।
 
यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह : यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है और गुरुवार शाम चार बजे तक चार धामों के लिए 22 लाख से अधिक श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। चारधाम यात्रा पंजीकरण बुलेटिन के अनुसार, वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप और व्हाटसऐप के माध्यम से अब तक पंजीकरण की संख्या 22,28,928 पहुंच चुकी है। ALSO READ: Kaidarnath Yatra 2024: जानिए कैसे पहुंचे केदारनाथ धाम
 
देश-विदेश से पहुंचेंगे लाखों श्रद्धालु : हर साल गर्मियों में होने वाली चारधाम यात्रा के शुरू होने का स्थानीय जनता को भी इंतजार रहता है। छह माह तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालु और पर्यटक जनता के रोजगार और आजीविका का साधन हैं और इसीलिए चारधाम यात्रा को गढ़वाल हिमालय की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है।
 
चारों धामों के सर्दियों में भारी बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण उनके कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल दोबारा अप्रैल-मई में फिर खोल दिए जाते हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta