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Last Modified: गुरुवार, 19 मई 2022 (20:06 IST)

राजीव हत्याकांड में पेरारिवलन को बहुत पहले रिहा किया जाना चाहिए था : न्यायमूर्ति थॉमस

राजीव हत्याकांड में पेरारिवलन को बहुत पहले रिहा किया जाना चाहिए था : न्यायमूर्ति थॉमस - Justice Thomas said Perarivalan should have been released long ago in the Rajiv assassination case
तिरुवनंतपुरम। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश केटी थॉमस ने गुरुवार को कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड के साजिशकर्ताओं में से एक एजी पेरारिवलन को बहुत पहले रिहा कर दिया जाना चाहिए था।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्ति का इस्तेमाल करते हुए बुधवार को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था और कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल को पेरारिवलन की रिहाई के संबंध में मंत्रिमंडल की ‘बाध्यकारी’ सलाह राष्ट्रपति को अग्रसारित नहीं करनी चाहिए थी। पेरारिवलन ने राजीव गांधी हत्याकांड में 30 साल से अधिक जेल की सजा काट ली है।

वर्ष 1999 में पेरारिवलन और तीन अन्य की मौत की सजा बरकरार रखने वाली शीर्ष अदालत की पीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति थॉमस ने कहा कि 14 साल जेल की सजा काट लेने के बाद दोषियों को छूट दी जानी चाहिए थी।

उन्होंने कहा, अब 30 साल बीत चुके हैं। उसे (पेरारिवलन को) 14 वर्ष की सजा पूरी करने के बाद बहुत पहले रिहा कर दिया जाना चाहिए था। पूर्व न्यायाधीश ने आगे कहा कि पेरारिवलन को दी गई राहत अब इस मामले के अन्य दोषियों पर भी लागू होगी।

न्यायमूर्ति थॉमस ने कहा, उनके (अपराधियों के) बीच क्यों भेदभाव हो। पूर्व न्यायाधीश ने बताया कि उन्होंने 2017 में कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को एक पत्र लिखकर पेरारिवलन एवं अन्य की रिहाई के लिए राष्ट्रपति से आग्रह करने का अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा, मैंने केवल पेरारिवलन के लिए ही नहीं, बल्कि सभी के लिए अनुरोध किया था। मैंने सोनिया गांधी से यह कहते हुए अनुरोध किया था कि आपकी ओर से राष्ट्रपति को पत्र भेजना किसी अन्य की ओर से पत्र भेजने की तुलना में ज्यादा प्रभावी होगा।

न्यायमूर्ति थॉमस ने कहा, मैंने पत्र भेजा। बस। उन्होंने (सोनिया ने) इसका कोई जवाब नहीं दिया। मैं उनसे पत्र के जवाब की अपेक्षा कर रहा था, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।

जब उनसे पूछा गया कि आखिर कौन सी वजह थी कि उन्हें सोनिया गांधी को पत्र भेजने के लिए प्रेरित किया और क्या दोषियों के परिजनों ने उनसे मुलाकात की थी, न्यायमूर्ति थॉमस ने कहा, दोषियों के परिजनों में से किसी ने भी उनसे मुलाकात नहीं की थी, न ही किसी के माध्यम से मुझसे संपर्क किया था।

उन्होंने कहा, यह (1991 का राजीव हत्याकांड) एक अनोखा मामला था, जहां एक बम से कई लोगों की मौत हुई थी। हत्यारी खुद भी मारी गई थी। पेरारिवलन सहित अन्य अभियुक्त साजिश में शामिल थे। महात्मा गांधी की हत्या के मामले में भी नाथूराम गोडसे हत्यारा था और गोपाल गोडसे साजिश में शामिल था।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा, (तत्कालीन) केंद्र सरकार ने गोपाल गोडसे को 14 साल की सजा काट लेने के बाद रिहा कर दिया था। ठीक उसी प्रकार राजीव गांधी हत्याकांड में भी किया जाना चाहिए था। इसलिए मैंने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था।

जब उनसे यह पूछा गया कि वह पेरारिवलन से मिलना क्यों चाहते थे, न्यायमूर्ति थॉमस ने कहा, मैंने उसे नहीं देखा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर निचली अदालतों में न्यायाधीश अभियुक्त को देखते हैं, लेकिन शीर्ष अदालत में अभियुक्त को नहीं देख पाते।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा, मैंने उसे नहीं देखा था। हमारे पास केवल उसका केस रिकॉर्ड था और इसलिए मैं उससे मिलना चाहता था। उन्होंने आगे कहा कि यह पेरारिवलन को उनकी निजी सलाह है कि वह ‘शादी कर ले और परिवार बसाए’ क्योंकि उसके ये अधिकार जेल में रहने के दौरान नहीं दिए गए।

उनसे पूछा गया कि वह पेरारिवलन के बारे में अपने बयान पर उन पीड़ितों के परिजनों की प्रतिक्रिया के बारे में क्या सोचते हैं, जिनकी मौत उस हत्याकांड में हो गई थी, न्यायमूर्ति थॉमस ने कहा, मैं केवल अपना मंतव्य व्यक्त कर रहा हूं। मेरा मंतव्य हत्याकांड के शिकार लोगों के परिजनों और सगे-संबंधियों से भिन्न हो सकता है।(भाषा)
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